विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव से द्विपक्षीय संबंधों के विभिन्न पहलुओं पर और भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन की तैयारियों को लेकर विस्तृत चर्चा की. लावरोव सोमवार शाम को भारत पहुंचे थे.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताया कि हमने विभिन्न मसलों पर बात की है. उन्होंने बताया कि इस वर्ष के अंत में होने वाली वार्षिक शिखर बैठक के लिए राष्ट्रपति पुतिन की यात्रा की तैयारियों को लेकर हमारी आज की अधिकांश चर्चा हुई. हमारा द्विपक्षीय सहयोग बना हुई है. हमने परमाणु, अंतरिक्ष और रक्षा क्षेत्रों में दीर्घकालिक साझेदारी के बारे में बात की.
विदेश मंत्री ने कहा कि अफगानिस्तान में जो होता है, वह भारत को सीधे प्रभावित करता है. एक राजनीतिक समाधान के परिणामस्वरूप स्वतंत्र, संप्रभु और संयुक्त रूप से अफगानिस्तान पर बात होनी चाहिए.
रूसी विदेश मंत्री लावरोव ने भारत-प्रशांत क्षेत्र पर भारत के दृष्टिकोण पर चर्चा की. लावरोव ने कहा कि हमने अफगानिस्तान में शांतिपूर्ण समझौते, सीरिया, ईरान, यमन में स्थिति पर चर्चा की. हम संयुक्त राष्ट्र, ब्रिक्स, शंघाई सहयोग संगठन में रूस-भारत की अहमियत को मानते हैं.
एस 400 के मुद्दे पर लावरोव ने कहा कि मैंने यह नहीं कह रहा कि अमेरिका भारत पर दबाव डाल रहा है लेकिन अगर कोई भी अन्य देश जो रूस के साथ समझौतों पर हस्ताक्षर करना चाहता है, उस पर दबाव नहीं बनाया जाना चाहिए. हमने अमेरिका से इन बयानों पर चर्चा नहीं की. हमने कहा कि हम अपने सैन्य और सरकार के सहयोग को मजबूत बनाएंगे.
मेक इन इंडिया में रूसी सैन्य उपकरणों के अतिरिक्त उत्पादन पर चर्चा की गई है. वहीं विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने दोनों मंत्रियों की तस्वीर शेयर करते हुए ट्वीट किया कि दीर्घकालिक और समय की कसौटी पर खरे उतरें सहयोगी. विदेश मंत्री जयशंकर ने रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव का स्वागत किया.
लारोव की यात्रा से पहले रूसी दूतावास ने सोमवार को कहा था कि शुभेच्छा, आमसहमति और समानता के सिद्धांतों पर आधारित सामूहिक कार्यों को रूस काफी महत्व देता है और टकराव एवं गुट (ब्लाक) बनाने जैसे कार्यों को खारिज करता है. दूतावास ने कहा कि भारत के साथ खास सामरिक गठजोड़ रूस की विदेश नीति की प्राथमिकताओं में शामिल है.
रूसी दूतावास ने कहा कि लावरोव अपनी यात्रा के दौरान आगामी उच्चस्तरीय बैठकों, द्विपक्षीय संबंधों के विविध आयामों सहित साल 2019 में हुए 20वें भारत-रूस शिखर सम्मेलन के परिणामों के अनुपालन पर व्यापक चर्चा करेंगे. भारत और रूस का वार्षिक शिखर सम्मेलन पिछले वर्ष कोविड-19 महामारी के कारण नहीं हो सका था.