सबसे पहले जानते हैं पावेल एंटोव की कहानी. एंटोव रूस के सबसे अमीर सांसद (फोर्ब्स की लिस्ट के मुताबिक) और कारोबारी थे, जिन्होंने इसी साल जून में रूस के खिलाफ यूक्रेन को सपोर्ट किया था. इससे पहले भी वे कई बार पुतिन की आलोचना कर चुके थे. फिलहाल वे टूरिस्ट वीजा पर उड़ीसा आए थे, जहां एक होटल की तीसरी मंजिल से गिरकर उनकी मौत हो गई. उनके साथ गए एक और रूसी यात्री की भी संदिग्ध हालातों में लाश मिली. अब बकौल पुलिस, मामला सुलझ चुका है, लेकिन रूस में सत्ता विरोधियों की रहस्यमयी मौत का मामला फिर तूल पकड़ चुका है.
साल 2020 में उछला था मामला
लगभग दो साल पहले पुतिन के कट्टर आलोचक नेता एलेक्सी नवेलनी कॉफी पीने के बाद गंभीर रूप से बीमार होकर कोमा में चले गए. उनके समर्थकों ने आरोप लगाया कि सत्तापक्ष ने उन्हें नोविचोक नाम का जहर दिया है. बहुत लंबे समय बाद वे ठीक हो सके. तब पूरी दुनिया के नेताओं की नजर मामले पर थी और सब उनकी बीमारी को कहीं न कहीं पुतिन से जोड़ रहे थे. ये अकेला मामला नहीं, रूस का राजनैतिक इतिहास काफी जहरीला है, जिसमें विरोधियों को नए-नए तरीके से जहर देकर खत्म करने के आरोप शामिल हैं. वहां सिस्टम के खिलाफ जाना जान जोखिम में डालना ही है.
चर्चित मामले, जहां जहर देने का लगा आरोप
साल 2018 में पूर्व रूसी डिटेक्टिव सर्गेई स्क्रिप्ल को उनकी बेटी समेत जहर देकर मारने की कोशिश की गई. उस वक्त वे ब्रिटेन में थे. तब खुद ब्रिटिश सरकार ने संदेह जताया कि उन्हें नर्व एजेंट नोविचोक दिया गया था. रिकवरी के बाद दोनों पिता-पुत्री ब्रिटेन छोड़कर किसी और देश चले गए, जिस बारे में खास जानकारी नहीं मिलती.
साल 2017 में सोशल एक्टिविस्ट व्लादिमिर कारा मर्जा मॉस्को के अस्पताल में बेहद गंभीर हालातों में भर्ती हुए. लैब में उनके खून में असामान्य धातुओं के मिलने की पुष्टि हुई, जबकि कुछ ही घंटों पहले वे एकदम स्वस्थ थे. एक्टिविस्ट की पत्नी ने सार्वजनिक तौर पर आरोप लगाया था कि चूंकि उनके पति पुतिन की नीतियों के खिलाफ बोलते हैं, इसलिए उन्हें जहर दिया गया.
रूस में राजनैतिक जासूसों के साथ कई बार ऐसा हो चुका
साल 2006 का मामला काफी चर्चित रहा, जिसमें पूर्व जासूस अलेक्जेंडर लितविनेंको को ब्रिटेन में कथित तौर पर चाय या सुशी में जहर दे दिया गया. इसके बाद एकाएक ही अलेक्जेंडर बीमार हुए और दो हफ्तों के भीतर ही रेडिएशन सिंड्रोम के चलते उनकी मौत हो गई. लंबे समय तक कहा जाता रहा कि अलेक्जेंडर रूस की सत्ता के खिलाफ कई बातें जानते थे, और ब्रिटेन में उन्हें बेच रहे थे. इसी वजह से उन्हें पोलेनियम 210 दे दिया गया.
पुतिन से पहले भी रूस में सत्ता विरोधियों को जहर देकर मारने के आरोप लगे
चालीस के दशक में जोसेफ स्टालिन के धुर विरोधी नेता और सोशल वर्कर लिऑन ट्रोट्स्की को अजब ही तरीके से मारा गया. वे तब मैक्सिको में शरण लिए हुए थे. वहां जोसेफ स्टालिन के एक एजेंट ने लिऑन के सिर पर बर्फ का टुकड़ा फेंक दिया. बर्फ में जहर मिली हुई थी, जिसके स्किन के भीतर जाते ही लिऑन बीमार पड़े और कुछ ही दिनों में उनकी मौत हो गई. मौत से पहले भी वे कई बार हमले की आशंका जता चुके थे.
अजब हालातों में हुई मौत का आरोप मैक्सिको ने तत्कालीन सोवियत संघ की सिक्योरिटी एजेंसी केजीबी पर लगाया था. हालांकि कभी भी इसकी पुष्टि नहीं हो सकी. ऐसा ही बाकी तमाम मामलों में हुआ. जहर देने के आरोप लगते रहे, और तब भी नए मामले आते रहे. रूस की सत्ता ने इसपर कभी कोई कमेंट नहीं किया.
जहर के इन फॉर्म्स के नाम लिए जाते रहे
रूस में सत्ता विरोधियों को मारने के लिए कथित तौर पर जिन दो तरह के पॉइजन का उपयोग हुआ, उनमें से एक है नोविचोक, और दूसरा पोलेनियम 210. नोविचोक एक तरह का नर्व एजेंट है, जिसे सोवियत संघ के दौर में स्टेट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑर्गेनिक केमिस्ट्री एंड टेक्नोलॉजी ने तैयार किया था. इसे बनाने वाले रूसी वैज्ञानिकों ने दावा किया कि ये कई प्रचलित नर्व एजेंट्स से कहीं ज्यादा खतरनाक है. साल 2020 में एलेक्सी नवेलिनी के कोमा में जाने के बाद नोविचोक के बारे में काफी बात हुई थी.
अब बात करते हैं पोलेनियम 210 की, जो एक रेडियोएक्टिव तत्व है
नोबेल पुरस्कार विजेता मेरी क्यूरी ने साल 1898 में इसकी खोज की थी, जिसे नाम दिया रेडियम एफ. बाद में नाम पोलेनियम 210 कर दिया गया. माना जाता है कि मेरी क्यूरी की अपनी बेटी इरीन जूलियट क्यूरी की मौत इसी जहर के चलते हुई. इरीन लगातार लैब में काम करती थीं, जहां वे रेडियो एक्टिव तत्व पोलेनियम 210 के संपर्क में आती थीं, शायद इसी वजह से उन्हें ब्लड कैंसर हो गया.