रूस और यूक्रेन के बीच शांति की कोशिशों के दरमियान ताजा हमले की घटनाएं हुई हैं. रूस ने यूक्रेन के ओडेशा पोर्ट के पास गेहूं लोड कर रहे एक जहाज पर मिसाइलों से हमला किया है. इस हमले में 4 विदेशी नागरिकों की मौत हो गई है, जबकि 2 लोग घायल हो गए हैं. यूक्रेन ने कहा है कि ये हमला पूरी तरह से वैसे जहाज पर किया गया है, जिसका जंग से कोई लेना-देना नहीं था.
गौरतलब है कि कल ही रूस ने दावा किया था कि यूक्रेन की तरफ से मॉस्को पर बड़ा ड्रोन हमला किया गया है. एजेंसियों के अनुसार यूक्रेन ने सुबह-सुबह रूसी राजधानी को निशाना बनाया. ये अब तक का सबसे बड़ा ड्रोन हमला था.हमले की वजह से दो एयरपोर्ट को भी बंद करना पड़ा था.
अब रूस ने कल शाम को ही ओडेशा पर हमला किया है. ओडेशा ओब्लास्ट सैन्य प्रशासन के चीफ ओलेह काइपर ने कहा कि हमला 11 मार्च की शाम को किया गया. और अटैक करने के लिए रूस ने बैलेस्टिक मिसाइल का प्रयोग किया.
ओलेह काइपर ने कहा, "कल शाम (11 मार्च) रूस ने ओडेसा के बंदरगाह पर हमला किया. एक बैलिस्टिक मिसाइल ने बारबाडोस के झंडे वाले जहाज एमजे पिनार को क्षतिग्रस्त कर दिया. दुखद रूप से चार सीरियाई नागरिक मारे गए. सबसे कम उम्र का पीड़ित 18 वर्ष का था और सबसे बड़ा 24 वर्ष का था."
हमले में 4 लोगों की मौत हुई और 2 लोग जख्मी हो गए.
ओडेशा ओब्लास्ट सैन्य प्रशासन के चीफ ने कहा कि इस जहाज में गेहूं लोड किया जा रहा था जिसे अल्जीरिया निर्यात के लिए भेजा जाना था. और ये पूरी तरह से गैर मिलिट्री जहाज था. उन्होंने कहा कि हमले में एक दूसरा जहाज और गोदाम क्षतिग्रस्त हो गया.
वहीं 11 मार्च को ही मॉस्को में सुबह सुबह हुए हमले में कई इमारतों में आग लग गई थी. रूस के मेयर ने दावा किया था यूक्रेन ने एक साथ कई ड्रोन मॉस्को की ओर छोड़े थे. मेयर सर्गेई सोबयानिन ने कहा कि शहर की ओर बढ़ते समय कम से कम 60 ड्रोन नष्ट कर दिए गए.
गौरतलब है कि दोनों देशों के बीच तनाव का ताजा दौर तब शुरू हुआ है जब सऊदी अरब में दोनों देशों के बीच अस्थायी युद्धविराम के लिए वार्ता हुई है.
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि यूक्रेन रूस के साथ 30 दिनों के लिए युद्धविराम पर राजी हो गया है. उन्होंने उम्मीद जताई कि मॉस्को भी इस पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देगा. ट्रंप का यह बयान कीव द्वारा मंगलवार को सऊदी अरब के जेद्दा में अमेरिकी प्रतिनिधियों के साथ बातचीत के बाद मास्को के साथ 30 दिन के युद्ध विराम को स्वीकार करने के लिए तैयार होने की बात कहने के बाद आया है.