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'जंग तो चंद रोज होती है, ज़िंदगी बरसों तलक रोती है
सन्नाटे की गहरी छांव, खामोशी से जलते गांव
ये नदियों पर टूटे हुए पुल, धरती घायल और व्याकुल
ये खेत गमों से झुलसे हुए, ये खाली रस्ते सहमे हुए
ये मातम करता सारा समां, ये जलते घर ये काला धुंआ
ये जलते घर कुछ कहते हैं, बर्बादी के सारे मंजर कुछ कहते हैं'
जेपी दत्ता की फिल्म ‘बॉर्डर’ में जब जंग हो चुकी है और जवानों की लाशें निकल रही हैं, उस वक्त जावेद अख्तर का लिखा ये गीत हरिहरन की आवाज़ में चल रहा होता है. ये शब्द उस दर्द और मंज़र को बयां करने के लिए काफी हैं, जो युद्ध अपने पीछे छोड़कर जाता है.
वो युद्ध असली जीवन से प्रभावित होकर फिल्मी पर्दे पर लड़ा गया था, लेकिन दर्द असली था. अब एक युद्ध फिर हुआ है, रूस और यूक्रेन के बीच जंग चल रही है. इसे जंग कहना भी ठीक नहीं क्योंकि अभी तक वार एक तरफा ही हो रहा है, दो तरफा नहीं. लेकिन मिसाइलों, बम के गोलों और गोलियों की आवाज़ से इतर काफी कुछ दब रहा है और टूट रहा है.
रूस के हमले के बाद यूक्रेन से कई तरह की तस्वीरें आईं, कहीं इमारतें टूट चुकी हैं कुछ जगहों पर लोगों की लंबी लाइन कुछ सामान इकट्ठा कर लेना चाहती है तो कोई अपनी गाड़ी का टैंक फुल करवा रहा है, ताकि यहां से जितना दूर हो सके उतना दूर चला जाए. इन सब से अलग जो कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया की दुनिया में तैरती हुईं असली दुनिया में पहुंचीं, वह इश्क़, रिश्ते और अपनों के बिछड़ने की तस्वीरें हैं.
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युद्ध का इतिहास जब लिखा जा रहा होगा, तब कितने मरे और कितने का नुकसान हुआ. कौन किसकी तरफ था, बस यही बातें लिखी जाएंगी. लेकिन जो हमेशा यादों में रहेगा और जिनको याद कर दिल कसक से भर रहा होगा, वो यहीं तस्वीरें होंगी. जहां एक बाप अपनी छोटी-सी बच्ची को विदा कर रहा है, ताकि वह किसी सुरक्षित जगह चली जाए.
यूक्रेन की एक वीडियो सोशल मीडिया पर आई है, जहां एक बाप अपनी बेटी और पत्नी को गाड़ी में भेज रहा है, ये गाड़ी महिलाओं-बच्चों को सुरक्षित स्थानों पर ले जा रही है. चंद सेकंड के उस वीडियो में पिता फूट-फूटकर रो रहा है, बच्ची जिसकी उम्र 6-7 साल से अधिक नहीं है वो भी अपने पिता के साथ रो रही है.
यह वीडियो यूक्रेन के Donbass प्रांत के Gorlovka शहर का बताया जा रहा है, जो कि आधिकारिक युद्ध शुरू होने से पहले का है. Donbass में जब यूक्रेनी सेना ने एक्शन शुरू किया तब इस ओर के लोग रूस जाने लगे. यहां से महिलाओं-बच्चों को भेजा जा रहा था और यूक्रेन की सेना के खिलाफ घर के मर्द हथियार उठाने के लिए रुक रहे थे.
Ukrainian father saying goodbye to his daughter before he go to defend his country against the Russian invasion.#Ukraine pic.twitter.com/RQdItVPYxy
— Asaad Hanna (@AsaadHannaa) February 24, 2022
एक बेटी, जिसका पहला हीरो उसका खुद का पिता ही होता है. एक बेटी, जो अपने होने वाले पति में पिता की छाप देखना चाहती है. उसी बेटी के सामने उसका पिता बेबस है, उसके लिए कुछ नहीं कर सकता है और सिर्फ बुरी तरह रो रहा है. यही युद्ध का सत्य है.
यूक्रेन की एक तस्वीर और भी है, जिसने हर किसी के दिल को पसीज़ दिया है. एक लड़का-लड़की, यूक्रेन की राजधानी कीव के मेट्रो स्टेशन पर एक दूसरे को थामे हुए खड़े हैं. 24 फरवरी को सामने आई इस तस्वीर में मेट्रो स्टेशन की भगदड़ है, जहां लोग अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर दौड़ रहे हैं.
पीछे मेट्रो चल रही है, लेकिन ये लड़का और लड़की एक-दूसरे को थामे हुए खड़े हैं. जंग के इस वक्त में भी इश्क़ कैसे ज़िंदा रहता है, कैसे एक-दूसरे के साथ दुनिया की किसी भी मुश्किल से बड़ा होता है, कैसे अगर अपने साथ हो तो सबकुछ भुलाया जा सकता है. ये तस्वीर ना जाने कितने सवालों का जवाब अपने अंदर समेटे हुए है.
आंखों में कहीं गई वो बातें एक-सुकून देती हैं कि अगर तबाही आई, तो हम साथ होंगे. लेकिन साथ होने के बाद भी अंत का नतीजा मौत ही होगा, जो हालात पनपे हैं वहां क्योंकि सिर्फ मौत ही नज़र आ भी रही है. उत्तर प्रदेश के अमरोहा में जन्मे पाकिस्तान के मशहूर शायर जौन एलिया का एक शेर भी शायद इसी मौके और तस्वीर को बयां करता है.
कितनी दिलकश हो तुम कितना दिल-जू हूं मैं
क्या सितम है कि हम लोग मर जाएंगे
इस युद्ध का अंत कब होगा, शायद किसी को भी इसका इल्म नहीं है. लेकिन युद्ध होते-होते कई जिंदगियों का अंत हो गया है. दो साल पहले जब कोरोना वायरस ने दुनिया को अपनी चपेट में लिया, हर जगह लाशें बिखर रही थी तब यही मंत्र दिया गया कि इस महामारी ने दुनिया को एक-दूसरे के करीब ला दिया है.
लोगों ने कहा कि अब लोग जिंदगी के प्रति शुक्रगुज़ार हो गए हैं, नफरतें कम हुई हैं और एकजुटता बढ़ गई है. कोरोना का प्रकोप जब कम हुआ, तब अफगानिस्तान में ये बातें झूठी साबित हुईं. तालिबान ने अचानक ही पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा किया, तब भी यही तस्वीरें सामने आई थीं.
अब जब दुनिया कोरोना को पूरी तरह से विदा देने के लिए तैयार हो रही है, तब रूस ने कुछ ऐसा किया जिसकी बात पिछले सत्तर साल से की जा रही थी. तीसरे विश्वयुद्ध की बात हर कोई लंबे वक्त से सुनता आ रहा है, कहा गया कि ये पानी के लिए होगा, ये साइबर वॉर होगी लेकिन सब झूठ निकला. कहानी फिर वही ज़मीन की है, जो सत्तर साल पहले थी.
ख़ून-ए-जिगर का जो भी फन है, सच जानो वो झूठा है
वो जो बहुत सच बोल रहा है, सच जानो वो झूठा है.