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'पाकिस्तान को हथियार दिए और हमें...', क्यों भड़के जयशंकर? रूस के साथ रिश्तों पर कह दी बड़ी बात

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जर्मन अखबार को इंटरव्यू दिया है जिसमें उन्होंने रूस के साथ रिश्तोें पर बात की है. उन्होंने रूस से तेल खरीद पर भी खुलकर अपनी बात रखी है. पश्चिमी देशों के पाकिस्तान को हथियार सप्लाई पर भी जयशंकर ने टिप्पणी की है.

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एस जयशंकर ने रूस के साथ भारत के रिश्तों पर अहम बात कही है
एस जयशंकर ने रूस के साथ भारत के रिश्तों पर अहम बात कही है

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि रूस ने कभी भी भारत के हितों को नुकसान नहीं पहुंचाया है. उन्होंने रूस से तेल खरीद का बचाव किया है और कहा है कि अगर रूस से भारत तेल नहीं खरीदता तो तेल बाजार में अफरा तफरी मच गई होती. विदेश मंत्री जयशंकर म्यूनिख सुरक्षा कॉन्फ्रेंस के सिलसिले में जर्मनी में हैं जहां उन्होंने रूस के साथ भारत के रिश्तों पर अहम बात कही है.

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विदेश मंत्री ने जर्मनी के प्रमुख अखबार Handelsblatt को इंटरव्यू दिया है जिसमें रूस से दोस्ती, पाकिस्तान और पश्चिमी मुल्कों पर खुलकर बात की है.

रूस से रिश्तों पर क्या बोले जयशंकर?

विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा है कि भारत और रूस एक स्थिर और दोस्ताना संबंध साझा करते हैं और रूस ने कभी भी भारत के हितों को नुकसान नहीं पहुंचाया है.

उन्होंने कहा, 'कोई भी देश अपने पिछले रिश्तों के आधार पर ही दूसरे देश से रिश्ते रखता है. अगर मैं भारत की आजादी के बाद से देखूं तो, रूस ने कभी भी हमारे हितों को नुकसान नहीं पहुंचाया. हमारे संबंध हमेशा से स्थिर और दोस्ताना रहे हैं...और रूस के साथ हमारा रिश्ता पिछले अनुभवों पर आधारित है.'

'अगर भारत रूस से तेल नहीं खरीदता तो....'

फरवरी 2022 में यूक्रेन के साथ युद्ध शुरू होने के बाद अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिमी देशों ने रूस से तेल खरीदना बंद कर दिया. इसे देखते हुए रूस ने भारत को सस्ती कीमतों पर तेल ऑफर किया जिसे भारत ने सहर्ष स्वीकार लिया.

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उसी साल दिसंबर के महीने में रूसी राजस्व पर चोट करने के लिए रूसी तेल का एक प्राइस कैप तय कर दिया. प्राइस कैप लगने के बाद रूसी तेल की 60 डॉलर प्रति बैरल की अधिकतम कीमत तय हो गई. हालांकि, इन पाबंदियों के बावजूद भी भारत ने रूस से भारी मात्रा में तेल खरीद जारी रखी और कुछ ही समय में रूस भारत का शीर्ष तेल आपूर्तिकर्ता बन गया. 

रूस से भारत की तेल खरीद को लेकर अमेरिका समेत पश्चिमी देशों ने आलोचना की है जिसका भारत ने बखूबी जवाब दिया है.

विदेश मंत्री जयशंकर ने जर्मन अखबार से बातचीत में भी रूस से तेल खरीद के भारत के फैसले का बचाव किया. उन्होंने कहा कि भारत के पास रूस से तेल खरीद के अलावा कोई और विकल्प मौजूद नहीं है.

उन्होंने कहा कि जब रूसी तेल पर प्रतिबंध लगाया गया तो अमीर पश्चिमी देश इतने सक्षम थे कि वो मध्य-पूर्व के तेल आपूर्तिकर्ताओं से महंगा तेल खरीद सकें लेकिन भारत ऐसा नहीं कर सकता था. भारत को रूस से सस्ती कीमतों पर तेल मिला और वो उसने खरीदा.

उन्होंने कहा, 'और हमें क्या करना चाहिए था? कई मामलों में, हमारे मध्य-पूर्वी आपूर्तिकर्ताओं ने यूरोपीय देशों को प्राथमिकता दी क्योंकि वो तेल के लिए ऊंची कीमतें चुका रहे थे. या तो फिर हमें तेल ही नहीं मिलता क्योंकि सारा तेल तो वो ले जाते या फिर हमें कच्चे तेल के लिए उतनी ही कीमत चुकानी पड़ती जितना यूरोपीय देश दे रहे थे. अगर रूस से कोई भी तेल नहीं खरीदता और सभी देश रूस को छोड़कर दूसरे देशों से तेल खरीदते तो तेल बाजार में कीमतें बहुत ऊंची होतीं.'

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पाकिस्तान को पश्चिमी देशों की तरफ से मिलने वाले हथियार पर बोले विदेश मंत्री

जर्मन अखबार से बातचीत में विदेश मंत्री ने पाकिस्तान का जिक्र कर पश्चिमी मुल्कों को आइना भी दिखाया. उन्होंने रूस के साथ भारत के व्यापार और रक्षा संबंधों की तस्दीक करते हुए कहा कि बहुत से पश्चिमी देश पूर्व में पाकिस्तान को हथियारों की आपूर्ति करते थे, वो भारत को हथियार नहीं देते थे, लेकिन पिछले कुछ दशकों में इस ट्रेंड में बदलाव आया है.

उन्होंने कहा, 'हथियारों के मामले में, बहुत से पश्चिमी देश लंबे समय से पाकिस्तान को हथियार देते आए हैं, भारत को नहीं... लेकिन पिछले 10 से 15 सालों में यह स्थिति बदली है और अमेरिका इसका उदाहरण है. हम हमारे हथियार आपूर्तिकर्ताओं में विविधता आई है... अमेरिका, रूस, फ्रांस और इजरायल हमारे मुख्य आपूर्तिकर्ता हैं.'

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