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विदेश मंत्री जयशंकर ब्रिटेन की यात्रा पर, क्या यूक्रेन पर होगी चर्चा? क्या है एजेंडा

भारत के विदेश मंत्री मंगलवार को ब्रिटेन के दौरे पर जा रहे हैं. अपने इस दौरे में वो ब्रिटिश विदेश सचिव डेविड लैमी से मुलाकात करेंगे. विदेश मंत्री के ब्रिटेन दौरे का समय बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि उनका यह दौरा ऐसे वक्त में हो रहा है जब अमेरिका और यूरोप के बीच यूक्रेन को लेकर तनाव की स्थिति है.

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विदेश मंत्री जयशंकर ब्रिटेन दौरे में ब्रिटिश विदेश सचिव डेविड लैमी से मिलेंगे (Photo-X/@DrSJaishankar)
विदेश मंत्री जयशंकर ब्रिटेन दौरे में ब्रिटिश विदेश सचिव डेविड लैमी से मिलेंगे (Photo-X/@DrSJaishankar)

विदेश मंत्री एस जयशंकर मंगलवार को भारत और ब्रिटेन के बीच द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करने के लिए यूनाइटेड किंगडम और आयरलैंड के छह दिवसीय दौरे पर जाएंगे. जयशंकर सबसे पहले अपने ब्रिटिश समकक्ष विदेश सचिव डेविड लैमी से लंदन में मिलेंगे. विदेश मंत्री का यह ब्रिटेन दौरा बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि यह ऐसे वक्त में हो रहा है जब अमेरिका और यूरोप के बीच यूक्रेन को लेकर तनाव की स्थिति है.

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जयशंकर की ब्रिटेन यात्रा- एजेंडा क्या है?

विदेश मंत्री एस जयशंकर की ब्रिटेन यात्रा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के बीच हुई गर्मागर्म बहस के बाद हो रही है. जेलेंस्की और ट्रंप के बीच जोरदार बहस की चर्चा यूरोप समेत पूरी दुनिया में है. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या विदेश मंत्री जयशंकर और ब्रिटिश विदेश मंत्री लैमी रूस-यूक्रेन युद्ध पर चर्चा करेंगे.

शनिवार को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की से मिले थे. इस दौरान उन्होंने कहा था कि ब्रिटेन, यूक्रेन, फ्रांस और अन्य देश मिलकर युद्ध खत्म करने के लिए एक पीस प्लान पर काम करेंगे जिसे ट्रंप के सामने पेश किया जाएगा.

उन्होंने कहा कि यह समय सिर्फ बात करने का नहीं बल्कि कार्रवाई करने का समय है और उन्होंने स्थायी शांति के लिए मजबूत नेतृत्व और एकता का आह्वान किया. रविवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्टार्मर ने कहा कि यूरोप को इस प्रयास का नेतृत्व करना चाहिए, लेकिन सफल होने के लिए उन्हें अमेरिका का समर्थन भी मिलना चाहिए.

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रूस को लेकर अमेरिका के बदले रुख पर भारत की प्रतिक्रिया

फरवरी 2022 में शुरू हुए रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर भारत शुरू से ही तटस्थ रहा है. भारत ने अब तक न तो रूस, यूक्रेन और न ही अमेरिका, यूरोप का साथ दिया है. पिछले हफ्ते भारत ने यूक्रेन और अमेरिका के दो संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों पर मतदान नहीं किया था. 

युद्ध की शुरुआत से जो बाइडेन प्रशासन तक, अमेरिका इस युद्ध में खुलकर यूक्रेन के साथ था और अरबों डॉलर देकर उसकी मदद की थी लेकिन ट्रंप प्रशासन के आते ही उसका रुख बिल्कुल बदल गया है. अमेरिका अब युद्ध खत्म करने के लिए यूक्रेन के बिना ही रूस से बात कर रहा है और युद्ध लंबा खींचने के लिए जेलेंस्की को दोष दे रहा है.

भारत ने अमेरिका के इस बदले रुख को लेकर अपने रुख में भी बदलाव किया है. पहले जहां भारत युद्ध के लिए "संघर्ष में दो पक्ष" शब्द का इस्तेमाल करत था वहीं, अब भारत ने इसके लिए "संबंधित पक्ष" कहना शुरू कर दिया है. इस व्यापक शब्द में सभी चार पक्ष शामिल हैं - अमेरिका, यूक्रेन, रूस और यूरोप. 

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार अब यह संभावना और भी कम है कि भारत संघर्ष में किसी भी पक्ष का समर्थन करेगा. 

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भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता पर भी होगी बात

विदेश मंत्री जयशंकर और लैमी के बीच भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते (Free Trade Agreement, FTA) पर भी बातचीत होने की उम्मीद है. पिछले महीने ब्रिटेन के व्यापार सचिव जोनाथन रेनॉल्ड्स ने इसी संदर्भ में भारत का दौरा किया था. तब भारत और ब्रिटेन ने इस समझौते पर बातचीत फिर से शुरू की थी.

विदेश मंत्रालय ने कहा है कि जयशंकर की यात्रा भारत और ब्रिटेन के बीच बढ़ते संबंधों को दिखाती है जिसमें रक्षा, व्यापार, स्वास्थ्य, शिक्षा और सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसे क्षेत्रों में मजबूत सहयोग शामिल है.

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