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पाकिस्तान: दिलीप कुमार और राजकपूर के पैतृक मकानों की बिक्री में मकान मालिक ने फंसाया अड़ंगा!

दिलीप कुमार के पैतृक आवास के मालिक ने कहा है कि वे सरकार द्वारा तय की गई कीमतों पर अपने मकान को नहीं बेचेंगे क्योंकि अथॉरिटी ने उसकी कीमत बहुत कम आंकी है.

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दिलीप कुमार और राजकपूर के पैतृक मकान पाकिस्तान में हैं (फाइल फोटो)
दिलीप कुमार और राजकपूर के पैतृक मकान पाकिस्तान में हैं (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पाकिस्तानी सरकार मकानों की दे रही है कम कीमत
  • मकानों के मालिकों का कहना है हम इस दर पर नहीं बेचेंगे
  • दोनों मकान ऐतिहासिक धरोहर घोषित हो चुके हैं

बॉलीवुड अभिनेता दिलीप कुमार के चाहने वाले दुनियाभर में हैं. उन्हीं का पैतृक आवास पाकिस्तान के खैबर-पख्तूनख्वा प्रान्त में है, जिसके बेचने की बात चल रही है. दिलीप कुमार के पैतृक आवास के मालिक ने उस मकान को सरकार द्वारा फिक्स किए गए दामों पर बेचने से इंकार कर दिया है. उन्होंने कहा है कि वे सरकार द्वारा तय की गई कीमतों पर अपने मकान को नहीं बेचेंगे क्योंकि अथॉरिटी ने उसकी कीमत बहुत कम आंकी है. उन्होंने कहा है कि वे उस घर को 25 करोड़ रुपए में ही बेचेंगे.

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आपको बता दें कि पाकिस्तान के खैबर प्रान्त सरकार ने दिलीप खान के इस चार माले वाले पैतृक आवास (101 स्क्वायर मीटर) की कीमत फिक्स करते हुए इसे राष्ट्रीय धरोहर घोषित कर दिया था. सरकार ने इसकी कीमत 80.56 लाख रुपए तय की थी. लेकिन अब इसके मालिक हाजी लाल मुहम्मद ने कहा है कि वे इसे 25 करोड़ रुपए में बेचेंगे न कि सरकारी रेट पर.

मुहम्मद ने कहा है कि उन्होंने इस प्रॉपर्टी को साल 2005 में 51 लाख रुपए में खरीदा था. जिसमें इस मकान से जुड़े कागजात भी तैयार करवाने पड़े थे. उन्होंने आगे कहा कि 16 साल बाद भी केवल 80.56 लाख रुपए तय किया जाना एकदम अन्याय है. जिस इलाके में मकान है यानी ख्वानी बाजार, खुदादाद किस्सा मोहल्ला में प्रॉपर्टी की कीमतें बहुत अधिक हैं. जहां एक माले (Marla) की कीमत 5 करोड़ रुपए है. ऐसे में उनके 4 माले के मकान की कीमत 25 करोड़ हुई. वे सरकार से अपने मकान की कीमत 25 करोड़ रुपए करने की मांग करते हैं. उन्होंने कहा कि ''4 माले का मकान कैसे 80 लाख रुपए में बेचा जा सकता है?''

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इससे पहले बॉलीवुड अभिनेता राजकपूर के मकान की कीमत भी सरकार ने 1.5 करोड़ रूपए तय की थी. लेकिन उस मकान के मालिक ने 6 माले (151.75 स्क्वायर मीटर) के अपने मकान की कीमत 200 करोड़ रुपए माँगी थी. राजकपूर का घर जिसे कपूर हवेली भी कहा जाता है, किस्सा ख्वानी बाजार में ही स्थित है.

जनवरी महीने में खैबर पख्तून की राज्य सरकार ने इन दोनों ऐतिहासिक मकानों को खरीदने के लिए 2.35 करोड़ रुपए का बजट एप्रूव कर दिया है. इससे पहले दोनों ही मकानों के मालिकों ने इन मकानों की जगह की इम्पोर्टेंस देखते हुए इनको तोड़कर कमर्शियल प्लाजा बनाने का प्रयास किया है. लेकिन ऐतिहासिक महत्त्व की इन धरोहरों को राज्य सरकार ने अब संरक्षण में ले लिया है.

 

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