सऊदी अरब अपने राष्ट्रगान और राष्ट्रीय हरे झंडे को लेकर कानून में बदलाव की तरफ बढ़ रहा है. सऊदी अरब के हरे झंडे पर इस्लामिक शब्द अंकित हैं और उस पर एक तलवार बनी हुई है. सऊदी अरब अब इस इस्लाम के हरे झंडे से जुड़े कानूनों को दोबारा परिभाषित करेगा.
समाचार एजेंसी एपी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सऊदी अरब की सरकारी मीडिया ने बताया कि सोमवार की देर रात, राज्य की गैर-निर्वाचित सलाहकार परिषद शूरा ने राष्ट्रगान और राष्ट्रध्वज से जुड़े नियमों में बदलाव के पक्ष में मतदान किया.
परिषद के फैसलों का मौजूदा कानूनों या संरचनाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा लेकिन फिर भी बदलाव के पक्ष में इसका वोट महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके सदस्यों को किंग द्वारा नियुक्त किया जाता है और उनके फैसले अक्सर सरकार के रुख के अनुरूप होते हैं.
सरकार से जुड़े एक अन्य मीडिया संस्थान ने बताया कि राष्ट्रध्वज और राष्ट्रीय प्रतीकों से जुड़े कानून में बदलाव होगा लेकिन राष्ट्रध्वज, राष्ट्रीय नारे और राष्ट्रगान के कंटेंट में किसी तरह का बदलाव नहीं किया जाएगा. शूरा परिषद ने इस संबंध में कोई विस्तृत जानकारी साझा नहीं की.
स्थानीय मीडिया आउटलेट्स ने जानकारी दी कि कानून में प्रस्तावित बदलाव का उद्देश्य देश के प्रतीक के उचित उपयोग को और अधिक स्पष्ट रूप से परिभाषित करना, राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान के महत्व के बारे में जागरुकता बढ़ाना और ध्वज को अपमान या उपेक्षा से बचाना है.
पिछले हफ्ते, सऊदी पुलिस ने चार बांग्लादेशी लोगों को सऊदी ध्वज का अपमान करने के आरोप में गिरफ्तार किया था. उन पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने इसे कचरे में फेंक दिया था.
सऊदी अरब के राष्ट्रगान और राष्ट्रध्वज से जुड़े बदलाव का प्रस्ताव मोहम्मद बिन सलमान के उन सुधारों का हिस्सा है जो वो पिछले कुछ समय से कर रहे हैं. वो देश की अतिरूढ़िवादी छवि को बदलने के लिए कई सुधार कर रहे हैं. इन सुधारों में उन्हें अपने पिता किंग सलमान का समर्थन हासिल है.
क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान सऊदी अरब की पहचान को एक राष्ट्रीय-सांस्कृतिक पहचान के साथ फिर से परिभाषित करने का प्रयास कर रहे हैं, जो पूरी तरह से धर्म यानी इस्लाम द्वारा परिभाषित नहीं है.
मोहम्मद बिन सलमान अपने महत्वाकांक्षी विजन 2030 के तहत विदेशी व्यापार को आकर्षित करने और खाड़ी देशों के बीच प्रतियोगिता में आगे निकलने के लिए कई कानूनों में सुधार कर रहे हैं. सऊदी अरब तेल पर अपनी निर्भरता भी कम करना चाहता है.
1973 में सऊदी अरब के हरे झंडे में सफेद अरबी सुलेख में इस्लाम के पवित्र शब्दों- 'अल्लाह के अलावा कोई भगवान नहीं है; मोहम्मद अल्लाह के रसूल (संदेशवाहक) हैं' को लिखा गया था. उन शब्दों के नीचे एक तलवार की आकृति बनाई गई. तभी से सऊदी अरब इसी झंडे को मानता है.