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'टू-स्टेट सॉल्यूशन पर होती रहनी चाहिए बात', इजरायल-फिलिस्तीन विवाद पर बोले सऊदी विदेश मंत्री

इजरायल और हमास युद्ध के बीच बीते बुधवार को नॉर्वे, स्पेन और आयरलैंड ने एक बड़ा कदम उठाते हुए फिलिस्तीन को एक राष्ट्र के रूप में मान्यता देने का ऐलान किया था. इन देशों का कहना है कि वे 28 मई से फिलिस्तीन को औपचारिक तौर पर एक राष्ट्र के तौर पर मान्यता देंगे.

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इजरायल फिलिस्तीन संघर्ष
इजरायल फिलिस्तीन संघर्ष

पिछले साल हमास के हमले के बाद से ही इजरायल बौखलाया हुआ है. वह हमास को निशाना बनाकर ताबड़तोड़ गजा और राफा पर हमले कर रहा है. इजरायल और फिलिस्तीन के इस विवाद पर अब सऊदी अरब का बयान आया है.

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सऊदी अरब के विदेश मंत्री ने ब्रसेल्स में कहा कि इजरायल और फिलिस्तीन संघर्ष के लिए दू स्टेट सॉल्यूशन (Two State Solution) जरूरी है और इस पर बात होती रहनी चाहिए.

सऊदी के विदेश मंत्री प्रिंस फैसल बिन फरहान बिन अब्दुल्ला ने कहा कि ये टू स्टेट सॉल्यूशन इजरायल सहित सभी पक्षों के हित में है. उन्होंने गाजा में तत्काल सीजफायर का आह्वान करते हुए बंधकों की रिहाई की मांग भी की. 

इस बीच यूरोपीय यूनियन के शीर्ष राजनयिक जोसेफ बॉरेल ने कहा कि टू स्टेट सॉल्यूशन किसी भी तरह से इजरायल के लिए ना तो पीड़ादायक समाधान होगा ना ही ये उसकी सुरक्षा के लिए खतरा होगा. ये सॉल्यूशन सुरक्षा और समृद्धि के लिए लंबी अवधि की गारंटी है. 

बता दें कि सऊदी अरब और नॉर्वे ने फिलिस्तीन को राष्ट्र के तौर पर मान्यता देने की कवायद के बीच रविवार को ब्रसेल्स में एक मंत्रिस्तरीय बैठक की मेजबानी की थी. इस बैठक में फिलीस्तीन को राष्ट्र के तौर पर मान्यता देने का ऐलान करने वाले स्पेन, आयरलैंड और नॉर्वे का समर्थन करने वाले देश शामिल हुए. 

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क्या है टू-स्टेट सॉल्यूशन?

दशकों से चले आ रहे इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष के बीच टू-स्टेट सॉल्यूशन थ्योरी चर्चा में है. इस प्लान के तहत फिलिस्तीन को अलग स्टेट का दर्जा देने की बात कहई गई है जबकि इजरायल अलग रहेगा. इससे दो अलग-अलग कल्चर और धर्म को मानने वाले शांति से अलग रह सकेंगे.

अभी समस्या ये है कि इजरायल और फिलिस्तीन के बीच कोई सीमा रेखा ही तय नहीं है. इजरायल तो अलग देश है, लेकिन फिलिस्तीन अलग मुल्क नहीं. ये दो हिस्सों में बंटा हुआ है. एक हिस्से पर इस्लामी चरमपंथी संगठन हमास का कब्जा है, जिसे इजरायल समेत कई देश आतंकी संगठन मानते हैं. दूसरा हिस्सा वेस्ट बैंक हैं, जिसपर सरकार तो अलग है, लेकिन इजरायल का सिक्का चलता है.

साल 1991 में अमेरिका की मध्यस्थता के बाद मैड्रिड शांति सम्मेलन में टू-स्टेट सॉल्यूशन की बात उठी. वैसे इससे पहले भी यूएन ये कह चुका था, लेकिन अमेरिकी दखल के बाद इस पर चर्चा बढ़ी. माना जा रहा है कि अलग-अलग होकर रहना ही अकेला हल है, जो इजरायल और फिलिस्तीन के बीच शांति ला सकेगा.

बता दें कि इजरायल और हमास युद्ध के बीच बीते बुधवार को नॉर्वे, स्पेन और आयरलैंड ने एक बड़ा कदम उठाते हुए फिलिस्तीन को एक राष्ट्र के रूप में मान्यता देने का ऐलान किया था. इन देशों का कहना है कि वे 28 मई से फिलिस्तीन को औपचारिक तौर पर एक राष्ट्र के तौर पर मान्यता देंगे.

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इन देशों ने ये घोषणा ऐसे समय पर की, जब अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) में इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू की गिरफ्तारी वॉरेन्ट की मांग की जा रही है. बता दें कि राष्ट्र के तौर पर फिलिस्तीन को मान्यता देने के साथ ये तीनों देश उन 140 से अधिक मुल्कों की सूची में शामिल हो जाएंगे, जिन्होंने वर्षों से फिलिस्तीन को राष्ट्र के तौर पर मान्यता दे रखी है. संयुक्त राष्ट्र के 193 देशों में से लगभग दो तिहाई सदस्य फिलिस्तीन को मान्यता दे चुके हैं. 

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