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रूस को OPEC+ से निकालने के सवाल पर भड़के Saudi Arabia और UAE, कार्रवाई से किया इनकार

सऊदी और यूएई रूस के मसले पर अबतक निष्पक्ष रहे हैं. लेकिन अब रूस पर कार्रवाई के लिए उन पर दबाव बढ़ता जा रहा है. उनसे उम्मीद की जा रही है कि वो रूस को ओपेक प्लस संगठन से हटा दें. लेकिन इस सवाल पर यूएई और सऊदी अरब दोनों ने ही नाराजगी जताई है और कहा है कि ओपेक प्लस से राजनीति को दूर रखा जाए.

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सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री प्रिंस अब्दुलअजीज बिन सलमान (Photo- Reuters)
सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री प्रिंस अब्दुलअजीज बिन सलमान (Photo- Reuters)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सऊदी अरब, यूएई पर बढ़ा रूस पर कार्रवाई का दबाव
  • लेकिन कार्रवाई को तैयार नहीं खाड़ी देश

यूक्रेन पर रूसी हमले के बीच सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात पर दबाव बढ़ता जा रहा है कि वो रूस के खिलाफ कार्रवाई करें. रूस तेल उत्पादक देशों ओपेक प्लस का सदस्य है. यूक्रेन संकट पर अब तक निष्पक्ष रहे सऊदी और यूएई पर दबाव है कि वो रूस को ओपेक प्लस से निष्कासित कर दें. इसी से जुड़ा एक सवाल जब दोनों देशों के मंत्रियों से एक कार्यक्रम में पूछा गया तो वे भड़क गए. सऊदी के ऊर्जा मंत्री प्रिंस अब्दुलअजीज बिन सलमान ने कहा कि इस तरह की बैठकों में राजनीति को बाहर दरवाजे पर छोड़कर आना चाहिए.

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समाचार एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ओपेक प्लस देशों के एक इवेंट के दौरान मॉडरेटर ने पूछा कि क्या ओपेक प्लस के देशों पर रूस को ओपेक प्लस से निष्कासित करने की नैतिक जिम्मेदारी नहीं है? जवाब में सऊदी और यूएई के ऊर्जा मंत्रियों ने कहा कि तेल उत्पादकों को राजनीति में नहीं पड़ना चाहिए.

सऊदी के ऊर्जा मंत्री प्रिंस अब्दुलअजीज बिन सलमान ने कहा, 'जब इस तरह की बैठकें होती हैं, हर कोई राजनीति को दरवाजे पर छोड़कर आता है. अगर हम ऐसा नहीं करते तो कई बार ऐसे मौके आते जब हम मुश्किल स्थिति से गुजरना पड़ता. यही बात एक वक्त पर इराक के साथ लागू हो सकती थी और ईरान के साथ भी.'

ओपेक प्लस देशों के सबसे बड़े तेल उत्पादक रूस ने 24 फरवरी को यूक्रेन पर हमला किया था जिसके बाद कच्चे तेल की कीमतों में भारी उछाल देखा गया. अमेरिका और लगभग सभी पश्चिमी देशों ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं जिस कारण रूसी तेल के निर्यात में भारी कमी आई है.

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तेल की कमी और बढ़ती कीमतों को देखते हुए अमेरिका तेल के बड़े उत्पादकों यूएई और सऊदी अरब से तेल का उत्पादन बढ़ाने के लिए कह रहा है. लेकिन दोनों ही देशों ने अमेरिका के अनुरोध को बार-बार ठुकराया है. ये बात भी गौर करने लायक है कि हाल के दिनों में दोनों खाड़ी देशों की करीबी रूस से बढ़ी है.

'ओपेक का राजनीतिकरण नहीं कर सकते'

प्रिंस अब्दुलअजीज और संयुक्त अरब अमीरात के ऊर्जा मंत्री सुहैल अल-मजरोई दोनों ने कहा कि ओपेक प्लस का उद्देश्य फिलहाल कच्चे तेल के बाजारों को संतुलित करना और उपभोक्ताओं को संतुष्ट करने पर ध्यान केंद्रित करना है.

संयुक्त अरब अमीरात के ऊर्जा मंत्री ने कहा, 'हमारा केवल और केवल एक मिशन है- तेल बाजार को स्थिर रखना. इसलिए हम इस संगठन का राजनीतिकरण नहीं कर सकते हैं और अपनी बहस में राजनीति को नहीं ला सकते हैं. हमारा उद्देश्य बाजार में स्थिरता लाना है. अगर हम किसी देश को संगठन से निकालने की बात करते हैं तो इसका मतलब है कि हम तेल की कीमतों को और बढ़ा रहे हैं. हम ऐसा कुछ नहीं कर सकते जो हमारे उपभोक्ताओं की इच्छा के विरुद्ध है.'

प्रिंस अब्दुलअजीज ने याद दिलाया कि रूस दुनिया के तेल की खपत के लगभग 10% के बराबर उत्पादन करता है.

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ओपेक प्लस पर अमेरिका और अन्य दूसरे देशों का दबाव है कि तेल की कीमतों को बढ़ने से रोका जाए लेकिन ओपेक प्लस के देशों ने इस महीने तेल की कीमतों में 139 डॉलर (10 हजार 532 रुपये) प्रति बैरल से अधिक का इजाफा किया है. ये साल 2008 के बाद कच्चे तेल की कीमतों में सबसे अधिक उछाल है.

हालांकि, ओपेक प्लस के करीबी सूत्रों का कहना है कि मई के महीने में शायद ओपेक प्लस देश तेल उत्पादन में मामूली वृद्धि कर सकते हैं.

तेल ठिकानों पर हमले के लिए बिना नाम लिए ईरान पर भड़के सऊदी, यूएई

इस्लाम के पवित्र महीने रमजान के लिए एक अस्थायी संघर्ष विराम से ठीक पहले यमन के इरान समर्थित हूती विद्रोहियों ने सऊदी और यूएई के तेल ठिकानों पर हमले तेज कर दिए हैं. हूतियों ने इन हमलों की जिम्मेदारी भी ली है. सऊदी की दिग्गज तेल उत्पादक कंपनी के पेट्रोलियम वितरण स्टेशन पर हूतियों के हालिया हमले से दो भंडारण टैंकों में आग लग गई थी. 

इसे लेकर सऊदी के ऊर्जा मंत्री ने कहा कि ओपेक के अंदर जो राजनीति चल रही है उसे सदस्य देशों को स्वीकार करना होगा.

उन्होंने बिना नाम लिए अपने प्रतिद्वंद्वी और ओपेक सदस्य ईरान पर निशाना साधते हुए कहा, 'मैं आपसे पूछता हूं, कौन इन रॉकेटों और मिसाइलों को हम पर और यूएई पर फेंक रहा है? कौन इसे फंड कर रहा है? प्रशिक्षण कौन दे रहा है हूतियों को? उन्हें इन हथियारों की आपूर्ति कौन कर रहा है? यह ओपेक का एक सदस्य ही है. अब आप खुद समझें कि वो कौन है.' 

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