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सऊदी अरब अब यहां लुटाने जा रहा अरबों डॉलर का खजाना, भारत छूट रहा पीछे!

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में तेल समृद्ध देश सऊदी अरब का भारी-भरकम निवेश यह दर्शाता है कि वह वैश्विक व्यापार में विविधता लाने और भू-राजनीति में खुद को एक प्रभावशाली खिलाड़ी के रूप में स्थापित करने की कोशिश रहा है.

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सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (फाइल फोटो)
सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (फाइल फोटो)

क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के नेतृत्व में सऊदी अरब की सरकार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में लगभग 40 अरब डॉलर निवेश करने की योजना बना रही है. इस योजना को लेकर सऊदी अरब के पब्लिक इन्वेस्टमेंट फंड के प्रतिनिधियों ने सिलिकॉन वैली के टॉप वेंचर कैपिटल फर्म में से एक आंद्रेसन होरोविट्ज के साथ संभावित साझेदारी को लेकर बातचीत की है. 

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नाम ना छापने की शर्त पर मामले से अवगत लोगों का कहना है कि सऊदी अरब इस योजना की मदद से एक ऐसी टेक्नोलॉजी की ओर तेजी से कदम बढ़ाने का संकेत दे रहा है जो पहले से ही लोगों के रहने और काम करने के तरीके को नया आकार देना शुरू कर चुकी है.

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में सऊदी अरब का यह निवेश उसे दुनिया का सबसे बड़ा निवेशक बना देगा. यानी अभी तक किसी भी देश ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में इससे ज्यादा निवेश की घोषणा नहीं की है.

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में तेल समृद्ध देश सऊदी अरब का भारी-भरकम निवेश यह भी दर्शाता है कि वह वैश्विक व्यापार में विविधता लाने और भू-राजनीति में खुद को एक प्रभावशाली खिलाड़ी के रूप में स्थापित करने की कोशिश रहा है. इसके लिए सऊदी अरब संप्रभु धन कोष यानी 'Sovereign Wealth Fund'  का इस्तेमाल कर रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, सऊदी अरब का 'Sovereign Wealth Fund' 900 अरब डॉलर से अधिक है.

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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की बड़ी कंपनियों से चर्चा जारी

रिपोर्ट के मुताबिक, निवेश को लेकर सऊदी अरब के अधिकारियों ने आंद्रेसेन होरोविट्ज की भूमिका पर भी चर्चा की है. कैपटल फर्म आंद्रेसेन होरोविट्ज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में एक सक्रिय निवेशक है. निवेश के लिए 40 अरब डॉलर का लक्ष्य जापानी समूह सॉफ्टबैंक द्वारा ग्रहण किया जाएगा. सॉफ्टबैंक लंबे समय से स्टार्ट-अप की दुनिया में सबसे बड़ा निवेशक रहा है. 

निवेश को लेकर उत्साहित और संभावित पार्टनर्स से सऊदी अरब के प्रतिनिधियों ने कहा है कि देश आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जुड़े टेक स्टार्ट-अप शुरू करना चाहता है. मामले से अवगत लोगों के मुताबिक, इस स्टार्ट अप में कंप्यूटिंग की अगली पीढ़ी के लिए जरूरी चिप निर्माता और महंगे एवं विस्तृत डेटा सेंटर शामिल हैं. इसके अलावा, स्वयं की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंपनियां शुरू करने पर भी विचार किया गया है.

मामले से अवगत दो लोगों ने यह भी कहा है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में निवेश की शुरुआत 2024 की दूसरी छमाही में शुरू होने की संभावना है. 40 अरब डॉलर का फंड सऊदी अरब और आंद्रेसन होरोविट्ज दोनों को आर्टिफिशिल इंटेलिजेंस की दुनिया में प्रमुख प्लेयर बना सकता है.

भारत पर क्या होगा असर?

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में एक तरफ सऊदी अरब और अन्य खाड़ी देश जहां बड़े पैमाने पर निवेश के साथ तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. वहीं, भारत जैसे देशों को इस क्षेत्र में अपनी तेजी बनाए रखने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. खुद का AI मिशन लॉन्च होने के बावजूद भारत का निवेश इन देशों की तुलना में काफी कम है. जो भारत को अल्टरनेटिव उपायों की जरूरतों पर जोर देता है. भारत का लक्ष्य AI के क्षेत्र में पहले से स्टैबलिश्ड NVIDIA जैसी कंपनियों के साथ हाथ मिलाकर साझेदारी और टैलेंट पूल का फायदा उठाना है. 

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NVIDIA ने हाल ही में Blackwell B200 चिप का आविष्कार किया है. 208 बिलियन ट्रांजिस्टर का दावा करने वाली यह चिप आर्टिफिशिल इंटेलिजेंस को तेजी से आगे बढ़ाने वाले इनोवेशन का उदाहरण है. खाड़ी देश अमेरिकी कंपनियों के नेतृत्व में जिस तरह से आर्टिफिशिल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं, ऐसे में भारत जैसे देशों पर भी अपनी AI पहल में तेजी लाने का दबाव है.

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