सऊदी अरब में इस साल अब तक रिकॉर्डतोड़ 214 लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई है. इनमें 101 विदेशी नागरिक हैं जिनमें पाकिस्तान के सबसे ज्यादा 21 लोगों को फांसी दी गई है. लेकिन यह आंकड़ा 2023 और 2022 के मुकाबले तीन गुना है. इन दोनों सालों में 34-34 विदेशी नागरिकों को फांसी की सजा दी गई थी. लेकिन आखिर ये सजा किन-किन मामलों में दी गई है.
एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, सऊदी अरब में इस साल दी गई मौत की सजा काला जादू से लेकर राजद्रोह, हत्या, रेप और ड्रग्स तस्करी जैसे मामलों में दी गई है.
इस साल सऊदी अरब में सबसे ज्यादा 59 लोगों को ड्रग तस्करी मामले में फांसी की सजा दी गई है. इन 59 में से 46 विदेशी नागरिक है.
ह्यूमन राइट्स वॉच का कहना है कि सऊदी सरकार आमतौर पर असहमति की आवाज को दबाना के लिए मृत्युदंड देती है. किंग सुल्तान द्वारा अपने बेटे मोहम्मद बिन सलमान को अहम पदों पर सत्ता सौंपने के बाद से देश में मृत्युदंज की सजा लगभग दोगुनी हुई है.
सऊदी अरब में किन-किन विदेशियों को मिली मौत की सजा
पाकिस्तान -21
यमन - 20
सीरिया - 14
नाइजीरिया - 10
मिस्र - 9
जॉर्डन - 8
इथियोपिया - 7
भारत, अफगानिस्तान और सूडान - 3
श्रीलंका, इरीट्रिया और फिलीपींस - 1
अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल के अनुसार, सऊदी अरब विदेशी कैदियों को फांसी देने के मामले में तीसरे नंबर पर है. 2023 में चीन और ईरान में सबसे ज्यादा कैदियों को फांसी की सजा दी गई थी. इस साल सितंबर तक सऊदी अरब ने तीन दशकों से ज्यादा समय में सबसे अधिक संख्या में मौत की सजा दी. ये आंकड़ा 2022 में दी गई 196 और 1995 में 192 लोगों को दिए गए मृत्युदंड से कहीं ज्यादा है. 2024 में फांसी की कुल संख्या नवंबर के मध्य तक 274 तक पहुंच गई है. अब तक कुल 92 लोगों को नशीली दवाओं से संबंधित मामलों में फांसी दी गई, जिनमें से 69 विदेशी नागरिकों के थे.
सऊदी अरब के इस्लामी कानून में तीन श्रेणियों में विभिन्न प्रकार के अपराधों के लिए मृत्युदंड की सजा दी जाती है. इसमें किसास (दंडात्मक), हद (अनिवार्य), और ताजीर (विवेकाधीन) का नाम शामिल है. इन श्रेणियों के भीतर सऊदी की अदालतों के पास यह निर्धारित करने के लिए व्यापक शक्तियां हैं कि कौन सा व्यवहार आपराधिक अपराध बन सकता है और इसके परिणामस्वरूप मृत्युदंड समेत क्या दंड हो सकता है. सऊदी अरब ने 2022 में मादक पदार्थों से संबंधित फांसी पर तीन साल की रोक हटा ली थी, जिससे इस वर्ष मौतों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई.
इससे पहले क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने दावा किया था कि सऊदी अरब में मौत की सजा हत्या और कई लोगों की जान को खतरे में डालने से संबंधित मामलों में दी जाती है.