scorecardresearch
 

सऊदी अरब के इस ऐलान से मची पूरी दुनिया में खलबली, भारत की भी बढ़ेगी टेंशन

सऊदी अरब ने स्पष्ट रूप से कह दिया है कि वो तेल की कीमतों को रोकने के लिए कच्चे तेल का उत्पादन नहीं बढ़ाएगा. उसका कहना है कि देश पर्याप्त मात्रा में कच्चे तेल का उत्पादन कर रहा है. सऊदी अरब की माने तो, तेल की कीमतें बढ़ने का कारण तेल की रिफाइनरी में कम निवेश करना है.

Advertisement
X
सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (File Photo)
सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (File Photo)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • दुनियाभर में बढ़ रहा तेल का दाम
  • सऊदी अरब ने इसे रोकने से कोई कदम उठाने से कर रहा इनकार
  • कहा- नहीं बढ़ेगा कच्चे तेल का उत्पादन

पेट्रोलियम के दाम बढ़ने से विश्व के सभी देश महंगाई की चपेट में हैं. अमेरिका में भी महंगाई बढ़ती जा रही है लेकिन तेल के बड़े निर्यातक कच्चे तेल के उत्पादन में बढ़ोतरी लाने पर किसी तरह राजी नहीं दिख रहे हैं. दुनिया के सबसे बड़े तेल उत्पादकों में से एक सऊदी अरब ने स्पष्ट कर दिया है कि वो तेल की बढ़ती कीमतों को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाएगा. सऊदी के विदेश मंत्री प्रिंस फैसल बिन फरहान का तो ये कहना है कि तेल की कोई कमी नहीं है फिर कच्चे तेल का उत्पादन किस आधार पर बढ़ाया जाए.

Advertisement

सऊदी नहीं बढ़ाएगा तेल का उत्पादन

बिजनेस इनसाइडर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, प्रिंस फैसल बिन फरहान ने मंगलवार को दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में कहा, 'जहां तक ​​हम जानते हैं, तेल की कोई कमी नहीं है. सऊदी अरब इस मामले में जो कर सकता था, वो उसने किया है.'

अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) के अनुसार, सऊदी अरब दुनिया का सबसे बड़ा कच्चा तेल निर्यातक है. मार्च में IEA ने तेल की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के प्रयास में स्टॉक से अधिक तेल जारी करने के लिए 10-सूत्रीय योजना तैयार की थी.

दुनियाभर में तेल की कीमतों में उछाल की एक बड़ी वजह रूस-यूक्रेन युद्ध है. रूस दुनिया के सबसे बड़े तेल उत्पादक देशों में से एक है. यूक्रेन पर आक्रमण के कारण रूसी तेल पर कड़े प्रतिबंध लगाए गए जिससे वैश्विक बाजार में तेल की कमी हो गई. कच्चे तेल की कीमतें पिछले साल की तुलना में 70 प्रतिशत बढ़ी हैं. जो कच्चा तेल 110 डॉलर प्रति बैरल था, रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद उस पर अब 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो गई है.

Advertisement

सऊदी के विदेश मंत्री ने वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में स्पष्ट किया कि उनका देश कच्चे तेल के उत्पादन में किसी तरह की बढ़ोतरी नहीं करेगा. उन्होंने कहा, 'हमारा आकलन है कि वास्तव में अभी तेल की आपूर्ति अपेक्षाकृत संतुलित है. लेकिन हमारे सामने जो समस्या है, वो कच्चे तेल को बाजार में लाने से कहीं अधिक मुश्किल है.'

तेल की कीमतों से भारत भी परेशान

तेल की कीमतों में बढ़ोतरी ने भारत, अमेरिका आदि देशों में महंगाई को बढ़ा दिया है. अमेरिका में अप्रैल के महीने में महंगाई दर 8.3 प्रतिशत थी. वहीं, भारत में भी महंगाई दर अप्रैल महीने में 7.8 फीसदी रही. महंगाई की ये स्थिति आगे चलकर और गंभीर हो सकती है.

IEA के कार्यकारी निदेशक फातिह बिरोल ने भी चेतावनी दी है कि गर्मियों में तेल की मांग में बढ़ोतरी वैश्विक मंदी का कारण बन सकती है.

सोमवार को ब्लूमबर्ग टीवी से बात करते हुए बिरोल ने कहा, 'ये गर्मी मुश्किल होगी क्योंकि गर्मियों में तेल की मांग आम तौर पर बढ़ जाती है. वैश्विक ऊर्जा बाजार में तेल की कीमतों को रोकने के लिए हर देश को योगदान देने की जरूरत है.'

लेकिन प्रिंस फैसल का तर्क है कि ऊर्जा की बढ़ती कीमतों को कच्चे तेल की आपूर्ति बढ़ाकर नहीं बल्कि तेल रिफाइनरियों में और निवेश करके रोका जा सकता है. उन्होंने कहा, 'असली समस्या रिफाइन किए हुए तेल की है. पिछले डेढ़-दो सालों में रिफाइनरी क्षमता को बढ़ाने में काफी कम निवेश किया गया है.'

Advertisement

सऊदी अरब पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन OPEC + का नेतृत्व करता है. संगठन ने रूस, ओमान और कजाकिस्तान जैसे साझेदार देशों के साथ मिलकर, अप्रैल 2020 से संयुक्त रूप से कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाने पर रोक लगा दी ताकि कोविड के कारण मांग में गिरावट से निपटा जा सके. यह डील तीन महीने में खत्म हो रही है. 

Advertisement
Advertisement