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सऊदी अरब का खजाना हुआ खाली! क्या पूरा हो पाएगा क्राउन प्रिंस MBS का ये बड़ा सपना?

सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने अपने 'विजन 2030' के तहत अरबों डॉलर के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट्स तो शुरू कर दिए हैं लेकिन तेल बाजार में स्थिरता से पैसे की किल्लत हो रही है. सऊदी अरब सॉवरेन वेल्थ बॉन्ड खर्च कर रहा है. अगर जल्द ही तेल की कीमतें नहीं बढ़ती हैं तो सऊदी कर्ज में जा सकता है.

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'विजन 2030' के तहत बन रहा नियोम शहर सऊदी क्राउन प्रिंस के बड़े सपनों में से एक है (Photo- SPA/Reuters)
'विजन 2030' के तहत बन रहा नियोम शहर सऊदी क्राउन प्रिंस के बड़े सपनों में से एक है (Photo- SPA/Reuters)

पिछले साल सऊदी अरब अपना संप्रभु धन कोष (सॉवरेन वेल्थ फंड) खर्च करने वाला दुनिया का शीर्ष देश बन गया. साल 2023 में सऊदी ने अपने कुल निवेश किए गए संप्रभु धन कोष 124 अरब डॉलर का एक चौथाई हिस्सा खर्च कर दिया.

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किंगडम देश और विदेश में अपने प्रोजेक्ट्स पर खूब खर्च कर रहा है. भविष्य के शहर नियोम पर सऊदी को भारी खर्च आ रहा है जिसकी लागत 500 अरब डॉलर है और एक नए एयरलाइन का भी निर्माण कर रहा है जिसमें अरबों खर्च हो रहे हैं.

सऊदी अरब के मेगाप्रोजेक्ट्स की वजह से पिछले साल पब्लिक इन्वेस्टमेंट फंड की नकदी और राजकोषीय संपत्ति में भारी गिरावट आई है. वॉल स्ट्रीट जर्नल को इसी हफ्ते सऊदी अधिकारियों ने बताया कि 2022 में यह 105 अरब डॉलर से घटकर सितंबर तक लगभग 37 अरब डॉलर हो गई.

सऊदी को अब अपने प्रोजेक्ट्स के लिए पैसे कम पड़ रहे हैं. इधर, तेल की कीमतों में भी बढ़ोतरी नहीं हो रही जिस कारण देश की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. तेल की कीमतें लगभग 80 डॉलर प्रति बैरल पर अटकी हुई हैं.

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MBS के प्रोजेक्ट्स के लिए कम पड़ रहे पैसे

सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान अपने महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट 'विजन 2030' के प्रोजेक्ट्स को फंड देने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. इस प्रोजेक्ट का अहम मकसद सऊदी अर्थव्यवस्था की तेल पर निर्भरता को कम करना है.

लेकिन प्रोजेक्ट के लिए पैसा तेल से ही आना है जिस वजह से सऊदी ने लगातार कोशिश की है कि तेल की कीमतों को बढ़ाया जाए. इसके लिए सऊदी ने तेल उत्पादन में लगातार कमी की है ताकि वैश्विक तेल बाजार में तेल की कमी हो और तेल की कीमतें ऊपर जाएं.

सऊदी अरब को अपने प्रोजेक्ट के लिए सॉवरेन वेल्थ फंड्स का सहारा लेना पड़ रहा है. सॉवरेन वेल्थ फंड किसी भी देश के स्वामित्व वाला निवेश कोष होता है जिसमें सरकार लोगों से पैसा जुटाती है. लोगों को बॉन्ड जारी करके जुटाए गए धन का इस्तेमाल सरकार रियल एस्टेट, धातु, स्टॉक और बॉन्ड जैसी संपत्तियों में निवेश के लिए किया जाता है.

सॉवरेन वेल्थ फंड में कमी को देखते हुए सऊदी अरब ने इसी महीने की शुरुआत में यह घोषणा की कि वो अपना तेल उत्पादन नहीं बढ़ाएगा. 

तेल उत्पादन में वैश्विक कमी को लेकर अरामको की चेतावनी

सऊदी अरब की सरकारी तेल कंपनी अरामको ने इस हफ्ते की शुरुआत में वैश्विक तेल उत्पादन क्षमता को लेकर गंभीर चेतावनी जारी की है. कंपनी ने कहा कि प्राकृतिक रूप से तेल की कमी और आरक्षित तेल को दूसरे स्थानों पर ले जाने की अपर्याप्त सुविधा के कारण हर साल तेल उत्पादन में 60 लाख बैरल प्रतिदिन की कमी हो रही है.

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कंपनी के मुख्य वित्तीय अधिकारी ने कहा कि इस वजह से अतिरिक्त तेल उत्पादन क्षमता में इतनी भारी गिरावट आई है जो कि वर्तमान वैश्विक मांग का 3% है.

अरामको पिछले कई सालों से चेतावनी दे रहा है कि वैश्विक तेल उद्योग को नए खोज और भविष्य के तेल उत्पादन में निवेश करने की जरूरत है. अगर सऊदी और उसके तेल उत्पादक सहयोगियों (OPEC+) का यह पूर्वानुमान सही है तो आने वाले वक्त में तेल उत्पादन में भारी कमी आएगी और तेल की कीमतें अचानक से उछलेंगी.

जब ऐसा होगा तो यह सऊदी के पक्ष में जाएगा, किंगडम को तेल की वो कीमत मिल जाएगी जो उसे अपनी अर्थव्यवस्था में विविधता लाने के लिए चाहिए. लेकिन वो वक्त कब आएगा, कोई नहीं जानता. फिलहाल के लिए, ऐसा लगता है कि सऊदी अरब कर्ज में जा रहा है.

पिछले साल, सॉवरेन वेल्थ फंड ने दो बार ऋण जारी किया था - एक 5.5 अरब डॉलर का बांड, फरवरी में एक ग्रीन बांड, और 3.5 अरब डॉलर का सुकुक बॉन्ड दो जो किश्तों में जारी हुआ था.

सऊदी अरब ने इस साल जनवरी में 12 अरब डॉलर का बांड भी जारी किया था, जिसे भारी संख्या में लोगों ने सब्सक्राइव किया और बॉन्ड के लिए ऑर्डर 30 अरब डॉलर तक पहुंच गए थे.

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सऊदी तेल कंपनी अरामको भी इस साल बॉन्ड जारी कर रही है हालांकि, यह कितना होगा, इसका खुलासा नहीं किया गया है. कंपनी के सीएफओ (Chief Financial Officer) जियाद अल-मुर्शेद ने रॉयटर्स को बताया कि कंपनी लंबी अवधि के बॉन्ड जारी करेगी. उन्होंने कहा कि अरामको भी स्टॉक बेचने की योजना बना रही है.

अमेरिका के तेल उत्पादन में कमी तेल की कीमतों को कर सकता है ऊंचा

सऊदी अरब ने ओपेक प्लस देशों के साथ मिलकर पिछले कई महीनों से तेल उत्पादन में कटौती की है ताकि बाजार में तेल की कमी हो और कीमतें बढ़ें. लेकिन अमेरिका, ब्राजील जैसे गैर-ओपेक देशों ने तेल उत्पादन बढ़ा दिया जिस कारण सऊदी के मंसूबों पर पानी फिर गया. लेकिन अनुमान है कि अमेरिका का तेल उत्पादन कमजोर पड़ेगा.

अगर ऐसा होता है तो तेल की कीमतें बढ़ सकती है और सऊदी, ओपेक प्लस देशों के लिए फायदे का सौदा साबित होगा.

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