एक तरफ जहां पाकिस्तान इस्लामिक सहयोग संगठन (Oragnisation Of Islamic Cooperation) के 48वें सत्र में सदस्य देशों के समक्ष जम्मू-कश्मीर का मुद्दा जोर-शोर से उठा रहा है, वहीं दूसरी तरफ ओआईसी के सदस्य देशों के प्रतिनिधि ही भारत के जम्मू-कश्मीर क्षेत्र में एक निवेश सम्मेलन को लेकर मौजूद हैं. मंगलवार को ओआईसी के सदस्य देश सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात ने जम्मू-कश्मीर में एक निवेश सम्मेलन में हिस्सा लिया. हॉन्ग कॉन्ग के प्रतिनिधि भी इस सम्मेलन में शामिल हुए.
पाकिस्तानी मीडिया में भी इस सम्मेलन की चर्चा हो रही है. पाकिस्तान के प्रमुख अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने लिखा है कि इस्लामिक सहयोग संगठन की बैठक के बीच सऊदी अरब और यूएई के प्रतिनिधि कश्मीर में निवेश के लिए पहुंचे हैं.
बीबीसी उर्दू की रिपोर्ट के अनुसार, मंगलवार से शुरू हुआ ये सम्मेलन आने वाले तीन दिनों तक जारी रहेगा. क्षेत्र में निवेश के अवसरों पर बात करने के लिए इन देशों की विभिन्न कंपनियों के 30 सदस्य इस सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं.
निवेश के उद्देश्य से सम्मेलन के दौरान दो हजार एकड़ की भूमि आवंटित की गई है. जम्मू-कश्मीर के प्रधान सचिव के अनुसार, प्रशासन ने निवेश के लिए उस भूमि को आवंटित नहीं किया है जो स्थानीय लोगों की है, बल्कि सरकारी जमीन को निवेश के लिए आवंटित किया गया है.
उन्होंने कहा कि स्थानीय लोग भी भूमि कानूनों में उचित संशोधन के बाद अपनी जमीन को बेचने के मामले में स्वतंत्र रूप से निर्णय ले सकते हैं.
ओआईसी में पाकिस्तान ने उठाया है कश्मीर का मुद्दा
ओआईसी की बैठक में पाकिस्तान ने जोर-शोर से कश्मीर का मुद्दा उठाया है. पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने मंगलवार को ओआईसी के उद्घाटन सत्र में कहा है कि भारत ने जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा गैर-कानूनी तरीके से खत्म कर दिया. उन्होंने कहा कि भारत कश्मीर में बाहरियों को बसाकर वहां के डेमोग्राफी में बदलाव कर रहा है. ये एक युद्ध अपराध है लेकिन इसे लेकर कोई भारत पर प्रतिबंध नहीं लगा रहा है.
उन्होंने मुस्लिम देशों से कहा कि वो सब एकजुट नहीं हैं इसलिए उनकी बात को गंभीरता से नहीं लिया जाता. ओआईसी की बैठक में सऊदी अरब के विदेश मंत्री प्रिंस फैजल बिन फरहान ने भी सधे हुए अंदाज में कश्मीर पर अपनी बात रखी.
उन्होंने कहा, 'हम जम्मू-कश्मीर के लोगों के प्रति अपना समर्थन व्यक्त करते हैं. हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय की तरफ से जम्मू-कश्मीर के मुद्दे के न्यायपूर्ण समाधान के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना करते
हैं.'
जम्मू-कश्मीर में व्यापार को आकर्षित कर रहा है भारत
ऐसे वक्त में जब सऊदी अरब और यूएई के नेता ओआईसी में मौजूद हैं और पाकिस्तान कश्मीर का मुद्दा उठा रहा है, इन देशों के व्यापारिक प्रतिनिधियों का जम्मू-कश्मीर में निवेश के लिए आना बताता है कि इन देशों के लिए भारत कितना महत्वपूर्ण है.
भारत ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाकर जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा खत्म कर दिया था. इसके बाद से ही सरकार ये प्रयास कर रही है कि क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा दिया जाए. एशिया के कई देशों ने जम्मू-कश्मीर में निवेश को लेकर दिलचस्पी भी दिखाई है. इसी क्रम में यूएई, सऊदी अरब और हॉन्गकॉन्ग के व्यापारिक प्रतिनिधि भी जम्मू-कश्मीर के दौरे पर हैं.