सऊदी अरब के सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फहद बिन अब्दुल्ला मोहम्मद अल-मुतायर सोमवार को तीन दिवसीय ऐतिहासिक यात्रा पर भारत आए. ये किसी भी सऊदी सेना प्रमुख की पहली भारत यात्रा थी. लेफ्टिनेंट जनरल ने अपनी यात्रा के दौरान भारत के थल सेना प्रमुख एमएम नरवणे से मुलाकात की. इस मुलाकात की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हैं. लेकिन तस्वीर से ज्यादा चर्चा तस्वीर के बैकग्राउंड की हो रही है.
दरअसल, बैकग्राउंड में जो तस्वीर लगी है, उसमें पाकिस्तान के लेफ्टिनेंट जनरल आमिर अब्दुल्ला खान नियाजी भारतीय सैन्य अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण दस्वावेज पर हस्ताक्षर करते दिख रहे हैं. ये तस्वीर 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम की है जब भारत ने पाकिस्तान की सेना को हरा दिया था.
बैकग्राउंड की तस्वीर को लेकर भारत के तरफ से लोग खूब प्रतिक्रिया दे रहे हैं. इस तस्वीर से पाकिस्तानी भी चिढ़े हुए नजर आ रहे हैं.
दोनों सेना प्रमुखों के मुलाकात की तस्वीर एडिशनल डायरेक्टरेट जनरल ऑफ पब्लिक इंफोर्मेशन (ADG PI- Indian Army) के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट करते हुए लिखा गया, 'सऊदी अरब के रॉयल सऊदी लैंड फोर्सेज कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल फहद बिन अब्दुल्ला मोहम्मद अल-मुतायर ने जनरल एमएम नरवणे से मुलाकात की और दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को और बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की.'
इन तस्वीरों को शेयर करते हुए पत्रकार कबीर तनेजा ने ट्वीट किया, 'कल ओमान के नौसेना प्रमुख के दौरे के बाद अब सऊदी अरब के सेना प्रमुख दिल्ली में हैं. भारत और खाड़ी देशों के बीच लगातार रक्षा सहयोग बढ़ रहा है.'
वहीं समरी रिपोर्ट की तरफ से एक ट्वीट में लिखा गया, 'भारतीय सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने सऊदी सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फहद बिन अब्दुल्ला मोहम्मद अल-मुताई से मुलाकात की. बैकग्राउंड की तस्वीर में पाकिस्तानी सेना को 16 दिसंबर 1971 को ढाका में भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण के दस्तावेज पर हस्ताक्षर करते हुए दिखाया गया है.'
एंकर विनित मल्होत्रा ने तस्वीर शेयर करते हुए ट्वीट किया, 'एक अकेली तस्वीर हजार शब्दों के बराबर है. भारतीय सेना प्रमुख सऊदी अरब के सेना प्रमुख के साथ. जरा बैकग्राउंड तो देखिए.'
विजय कुमार नाम के एक यूजर ने लिखा, 'ये पाकिस्तान को क्यों जला रहे हो? वैसे ही कर्ज में दबा पड़ा है.'
सावन मिश्रा नाम के एक यूजर ने लिखा, 'बैकग्राउंड तस्वीर देखिए....1971 भारत-पाक युद्ध में 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने धुटने टेक दिए थे.'
क्या बोले पाकिस्तानी?
पाकिस्तान के मिजाब ग्रुप के ऑपरेशन डायरेक्टर मोहम्मद इब्राहिस काजी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया, 'सऊदी सेना प्रमुख के प्रोटोकॉल के लिए यह बेहतर विकल्प होता कि वो इस तस्वीर के साथ पोज न देते. यह हिंदुस्तान की सेना द्वारा पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच तनाव पैदा करने के उद्देश्य से किया गया है. एक मुस्लिम देश के सैन्य नेता को इस स्थिति में देखना बेहद दर्दनाक है.'
पाकिस्तान से ब्रिलिएंट माइंड नाम के एक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया, 'सऊदी सेना प्रमुख पहली बार भारत के दौरे पर हैं. बैकग्राउंड की तस्वीर को देखें जिसमें 1971 के युद्ध में भारत से पाकिस्तान की हार और पाकिस्तानी सेना के आत्मसमर्पण को दिखाया गया है. पाकिस्तान और पाकिस्तानी सेना के लिए कितने शर्म की बात है. उम्मत-ए-मुस्लिमा का चूरन अब कैसे बिकेगा?
पत्रकार नायला इनायत ने तस्वीर शेयर करते हुए लिखा, 'पाकिस्तान भी मुलाकात में मौजूद रहा.'
सऊदी सेना प्रमुख को दिया गया गार्ड ऑफ ऑनर
सऊदी के मिलिट्री कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल फहद बिन अब्दुल्ला मोहम्मद अल-मुतायर 14 फरवरी यानी सोमवार को भारत के दौर पर आए थे. भारत में उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर से सम्मानित किया गया. इसके बाद वो थल सेना प्रमुख एमएम नरवणे से मिले. मुलाकात के दौरान दोनों सेना प्रमुखों ने आपसी संबंधों को मजबूत करने पर जोर दिया.
पिछले कुछ सालों में भारत और सऊदी अरब को रिश्तों में मजबूती आई है. इससे पहले साल 2020 में नरवणे सऊदी की यात्रा पर गए थे. ये किसी भारतीय सेना प्रमुख की पहली सऊदी यात्रा थी.
सऊदी मिलिट्री कमांडर 16 फरवरी को अपने देश लौट गए. उनकी यात्रा को ऐतिहासिक बताते हुए भारत के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा, 'रॉयल सऊदी लैंड फोर्सेज कमांडर की भारत की यह पहली यात्रा है और यह दोनों देशों के बीच मजबूत द्विपक्षीय रक्षा सहयोग का प्रतीक है.'
बयान में आगे कहा गया, 'इस यात्रा का उद्देश्य दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को बढ़ावा देना है. भारत और सऊदी अरब के बीच संबंध आर्थिक समृद्धि में साझा हितों, आतंकवाद के संकट को खत्म करने और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के कारण बढ़े हैं. रक्षा कूटनीति सभी संबंधों के प्रमुख सिद्धांतों में से एक है.'