पिछले साल गर्भपात के बाद भारतीय दंतचिकित्सक सविता हलप्पनवार की मौत की घटना से सबक लेते हुए आयरलैंड की कैबिनेट ने गर्भपात पर एक विवादित कानून पर आम सहमति बनाई है, जिसके तहत जीवन रक्षक गर्भपात की अनुमति दी जाएगी.
सविता की मौत के बाद सरकार द्वारा देश के सख्त गर्भपात विरोधी कानून में बदलाव लाने के वादे के बाद इस नए प्रस्तावित बिल से इसको लेकर स्पष्टता आएगी.
इस नए ऐतिहासिक विधेयक को हालांकि अभी आयरिश संसद के दोनों सदनों में पारित होना होगा और यह मां की जिंदगी पर खतरा होने पर सीमित कानूनी गर्भपात की अनुमति देगा.
गौरतलब है कि 31 वर्षीय सविता 17 सप्ताह की गर्भवती थी जब उसे यूनिवर्सिटी हास्पिटल में भर्ती कराया गया था और मृत बच्चे को जन्म देने के चार दिन बाद उसकी खून में जहर फैल जाने से मौत हो गई थी.
पिछले महीने उसकी मौत की जांच में कहा गया कि गर्भपात कराने के उसके दो अनुरोध इसलिए खारिज कर दिये गये क्योंकि आयरलैंड ‘कैथोलिक देश’ है. सविता मामले में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हंगामा होने के बाद गर्भपात पर देश के कड़े कानूनों की समीक्षा कर रही आयरिश सरकार ने इस मुद्दे पर आम सहमति बनाने का आश्वासन दिया था.
नये कानून का मतलब यह होगा कि आपातकालीन गर्भपात के आग्रहों पर विचार विमर्श करते वक्त अस्पतालों को स्पष्ट कानूनी दिशानिर्देश दिये जाएंगे. ‘द प्रोटेक्शन आफ लाइफ डयूरिंग प्रेगनेंसी बिल’ (गर्भावस्था के दौरान जीवन बचाने संबंधी विधेयक) ने आयरिश प्रधानमंत्री एंडा केनी की सरकार और पार्टी के ही कुछ कैथोलिक रूढिवादियों को बांट दिया है.
नये विधेयक में बलात्कार या घातक भ्रूण असामान्यता जैसे मामले शामिल नहीं हैं.
आयरिश मीडिया की खबरों के अनुसार, कम से कम 11 महिलाएं गर्भपात के लिए हर दिन देश छोडकर ब्रिटेन जा रही हैं.