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मुशर्रफ को लेकर नवाज रह पाएंगे 'शरीफ'?

14 साल पहले परवेज मुशर्रफ ने नवाज शरीफ का तख्ता पलटकर उन्हें देश छोड़ने पर मजबूर किया था. अब बाजी पलट गई है. मुशर्रफ जेल में हैं और 14 साल बाद नवाज शरीफ इस हैसियत में हैं, जहां से पूछ सकें कि बोल तेरे साथ क्या सुलूक किया जाए.

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14 साल पहले परवेज मुशर्रफ ने नवाज शरीफ का तख्ता पलटकर उन्हें देश छोड़ने पर मजबूर किया था. अब बाजी पलट गई है. मुशर्रफ जेल में हैं और 14 साल बाद नवाज शरीफ इस हैसियत में हैं, जहां से पूछ सकें कि बोल तेरे साथ क्या सुलूक किया जाए.

मियां मुशर्रफ बड़े अरमान लेकर पाकिस्तान आए थे. आंखों में एक बार फिर से पाकिस्तान की हुकूमत पर काबिज होने के सपने पल रहे थे लेकिन हुकूमत मिल गई नवाज शरीफ को. उन नवाज शरीफ को जिनकी सरकार का 1999 में तख्तापलट किया था परवेज मुशर्रफ ने. सरकार तो गई ही, नवाज शरीफ को देश छोड़कर भी जाना पड़ा था. अब नवाज शरीफ के हाथ में हुकूमत है, मियां मुशर्रफ को तलाशना भी नहीं है, वो तो देशद्रोह के इल्जाम में जेल में ही हैं, लेकिन अब आगे क्या होगा. नवाज शरीफ के लिए भी आसान नहीं होगा वो दुश्मनी भुलाना, जिसकी नींव 14 साल पहले पड़ी थी.

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मुशर्रफ और नवाज की दुश्मनी शुरू हुई थी 1999 से. तब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री थे नवाज शरीफ और सेना की कमान थी परवेज मुशर्ऱफ के हाथ में. करगिल युद्ध से पहले दोनों के रिश्ते भी काफी अच्छे थे लेकिन मिशन करगिल फ्लॉप होने के बाद दोनों एक दूसरे को पद से हटाने की फिराक में जुट गए थे.

पाकिस्तान में रोज तख्तापलट की अफवाह उड़ने लगी थी. इसी बीच परवेज मुशर्रफ श्रीलंका सेना की 50वीं सालगिरह के समारोह में शामिल होने कोलंबो गए.

12 अक्टूबर को  मुशर्ऱफ कोलंबो से कराची लौट रहे थे, लेकिन कराची एयरपोर्ट में उनके विमान को उतरने की इजाजत नहीं मिली. ये आदेश प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के दफ्तर से दिया गया था. आनन-फानन में ही नवाज शरीफ ने ख्वाजा जियाउद्दीन को नया सेना प्रमुख भी घोषित कर दिया, लेकिन तब तक मुशर्रफ की वफादार फौज रावलपिंडी से निकल चुकी थी और उसने जल्द ही प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को उनके घर में नजरबंद कर दिया.

नवाज ने आखिरी चाल चली और कराची एयरपोर्ट पर आदेश दिया कि मुशर्रफ के विमान को भारत भेज दिया जाए लेकिन यहां भी उनका पासा उलटा पलट गया, एयरपोर्ट पर भी सेना का कब्जा हो चुका था. 12 अक्टूबर 1999 की रात को पाकिस्तान में तख्तापलट हो गया.

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जनता की चुनी हुई सरकार सत्ता से बेदखल हो गई और पाकिस्तान पर एक बार फिर फौज का हुकूमत काबिज हो गई. मुशर्रफ ने खुद को पाकिस्तान का चीफ एक्जीक्यूटिव घोषित कर कमान अपने हाथ में ले ली और संविधान को सस्पेंड करके इमरजेंसी का एलान कर दिया.

तख्ता पलट के बाद नवाज शरीफ को एक सरकारी गेस्ट हाउस में नजरबंद कर दिया गया और लाहौर स्थित उनके घर को जनता के लिए खोल दिया गया. नवाज पर अपहरण, हत्या की कोशिश और देशद्रोह का मुकदमा चलाया गया. मार्च 2000 में एंटी टेररिज्म कोर्ट में नवाज शरीफ का ट्रायल शुरू हुआ. नवाज शरीफ को आदियाला जेल में रखा गया था, ये वही जेल है जहां पर जुल्फीकार अली भुट्टो का ट्रायल हुआ था और फिर 1979 में उन्हें फांसी दे दी गयी थी.

नवाज शरीफ के ट्रायल के दौरान ही उनके वकील की गोली मारकर हत्या कर दी गयी. इस घटना से दहशत और बढ़ गई. पूरे पाकिस्तान में ये खबरें उड़ी हुईं थी कि ये मुकदमा तो एक दिखावा है, फौजी हुकूमत नवाज शरीफ के साथ वही करने वाली है जो 1979 में जनरल जियाउल हक ने जुल्फीकार अली भुट्टो के साथ किया था. पाकिस्तान के सूत्रों के मुताबिक परवेज मुशर्ऱफ और उनके फौजी अफसर भी इसी हक में थे.

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लेकिन सउदी अरब और अमेरिका, नवाज शरीफ को छोड़ने के लिए लगातार दबाव बनाए हुए थे. दिसंबर 2000 में अदालत फैसला सुनाने ही वाली थी कि तभी मुशर्ऱफ के साथ नवाज शरीफ की डील हो गई और समझौते के तहत नवाज शरीफ अपने पूरे परिवार के साथ देश छोड़कर सउदी अरब चले गए.

14 साल बाद पाकिस्तान में नवाज शरीफ की नई पारी शुरू हो रही है. तकदीर का खेल देखिए अब मुशर्रफ घर में कैद हैं और उन पर भी देशद्रोह समेत कई आरोप हैं. फर्क बस इतना है कि 14 साल पहले फैसला मुशर्रफ ने किया था अब बारी नवाज शरीफ की है.

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