तुर्की के दो दिवसीय दौरे के दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने तुर्की को China-Pakistan Economic Corridor (सीपीईसी) प्रोजेक्ट में शामिल होने का प्रस्ताव दिया है. अरबों डॉलर का यह प्रोजेक्ट पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) से होकर गुजरता है. जिस कारण से भारत हमेशा से इसका विरोध करता रहा है.
जुलाई में भारतीय विदेश मंत्रालय ने चेतावनी देते हुए कहा था कि अन्य देशों को इसमें शामिल करने का कोई भी कदम भारत की संप्रुभता एवं क्षेत्रीय अखंडता का सीधा उल्लंघन है.
शहबाज शरीफ ने यह प्रस्ताव राजधानी अंकारा में तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगान के साथ संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस के दौरान पेश किया.
तुर्की को दिया प्रस्ताव
पाकिस्तानी न्यूजपेपर डॉन के मुताबिक, शहबाज शरीफ ने प्रस्ताव देते हुए कहा कि चीन और पाकिस्तान के साथ तुर्की भी इस आर्थिक गलियारे में सहयोगी बने. शरीफ ने कहा कि तुर्की के आने से यह गठबंधन और मजबूत होगा और इससे हम आज की चुनौतियों का सामना कर पाएंगे.
रिपोर्टस के मुताबिक, शहबाज शरीफ ने कहा है कि अगर तुर्की सीपीईसी में शामिल होने के लिए तैयार होता है तो वो चीन के साथ इस मामले पर बात करेंगे. पाकिस्तान ने तुर्की को यह प्रस्ताव ऐसे समय में दिया है, जब भारत के कड़े विरोध के बावजूद दोनों देशों ने (चीन और पाकिस्तान) अफगानिस्तान में भी इस प्रोजेक्ट का विस्तार करने की इच्छा जताई है.
भारत करता रहा है विरोध
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से प्रोजेक्ट गुजरने के कारण भारत हमेशा से इसका विरोध करता रहा है. जून में सीपीईसी में नए देशों को शामिल करने की खबरों के बीच भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी. बयान जारी करते हुए बागची ने कहा था कि इस तरह का कोई भी कदम स्वाभाविक रूप से अनुचित, अवैध और अस्वीकार्य है. विदेश मंत्री ने सख्त लहजे में चेतावनी देते हुए कहा था कि इस प्रकार का कोई भी कदम भारत की संप्रुभता एवं क्षेत्रीय अखंडता के खिलाफ है.
क्या है चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी)
सीपीईसी चीन की महत्वकांक्षी योजना बेल्ट एंड रोड परियोजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. इसका मकसद व्यापार मार्गों को नए तरीके से बनाना है. इस प्रोजेक्ट में चीन ने लगभग 60 अरब डॉलर का निवेश किया है. यह प्रोजेक्ट चीन के शिनजियांग प्रांत को ईरान के पास अरब सागर तट पर स्थित ग्वादर पोर्ट से जोड़ता है. सीपीईसी प्रोजेक्ट पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और अक्साई चीन जैसे विवादित क्षेत्रों से होकर गुजरता है. इस प्रोजेक्ट की मदद से चीन काराकोरम हाइवे से गुजरते हुए अरब सागर तक पहुंच जाएगा.