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'बांग्लादेश तालिबान बनने की राह पर...' प्रतिबंधित इस्लामिक समूह के मार्च पर बोले हसीना के पूर्व मंत्री

बांग्लादेश की यूनुस सरकार के तहत वहां कट्टर इस्लामवादियों का प्रभाव बढ़ रहा है. प्रतिबंधित संगठन भी मार्च निकाल रहे हैं. इसे लेकर शेख हसीना सरकार में मंत्री रहे मोहम्मद ए. अराफात ने कहा है कि बांग्लादेश तालिबान बनने की राह पर है.

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बांग्लादेश में इस्लामिक कट्टरपंथी सक्रिय हो गए हैं (Photo- AP)
बांग्लादेश में इस्लामिक कट्टरपंथी सक्रिय हो गए हैं (Photo- AP)

शेख हसीना के बांग्लादेश से जाने के बाद वहां इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन सक्रिय हो गए हैं. शुक्रवार को प्रतिबंधित कट्टर इस्लामिक संगठन हिज्ब-उत-तहरीर 'खिलाफत, खिलाफत' का नारा लगाते हुए राजधानी ढाका की सड़कों पर उतरा जिसमें हजारों कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया.

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प्रतिबंधित संगठन बांग्लादेश में इस्लामी खिलाफत की वापसी की मांग करता है. खिलाफत की मांग करने वाला यह मार्च ऐसे वक्त में हुआ है जब बांग्लादेश में अन्य कट्टरपंथी संगठन भी नियमित रूप से सड़कों पर शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं. बांग्लादेश पर फिलहाल नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली कार्यवाहक सरकार का शासन है. यूनुस की सरकार पर कट्टरपंथियों को शह देने के आरोप लगते रहे हैं.

हिज्ब-उत-तहरीर की विशाल रैली शुक्रवार की नमाज के बाद बैतुल मुकर्रम राष्ट्रीय मस्जिद से शुरू हुई. इस रैली को पुलिस ने रोकने की कोशिश की लेकिन प्रदर्शनकारी पुलिस से भिड़ गए. प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए अधिकारियों को आंसू गैस और साउंड बम का इस्तेमाल करना पड़ा.

इस रैली ने राजनीतिक अनिश्चितता के बीच बांग्लादेश में प्रतिबंधित इस्लामी संगठनों की बढ़ती गतिविधियों को लेकर चिंता पैदा कर दी है.

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'बांग्लादेश तालिबान बनने की राह पर...', बोले शेख हसीना के मंत्री

शेख हसीना की सरकार ने 2009 में हिज्ब-उत-तहरीर पर प्रतिबंध लगा दिया था. छात्र आंदोलन के हिंसक हो जाने के बाद शेख हसीना 5 अगस्त को बांग्लादेश छोड़कर भारत भाग आई थीं. हसीना मंत्रिमंडल के एक पूर्व मंत्री ने कट्टर इस्लामी संगठन के मार्च को लेकर कहा है कि बांग्लादेश तालिबान बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है.

हसीना सरकार में सूचना एवं प्रसारण मंत्री रहे मोहम्मद ए. अराफात ने कहा, 'इस्लामी संगठन हिज्ब-उत-तहरीर पर शेख हसीना ने प्रतिबंध लगाया था. जिहादियों और इस्लामी चरमपंथियों के खिलाफ उनके कड़े रुख के कारण ये समूह हमेशा उनसे नफरत करते थे इसलिए, जुलाई-अगस्त में हुए आंदोलन में इन समूहों ने हिंसा किया था.'

उन्होंने एक्स पर किए एक पोस्ट में लिखा, 'यूनुस की सरकार ने इन समूहों और इस्लामवादियों के प्रति नरम रुख अपनाया, क्योंकि वे शेख हसीना के विरोधी थे. अब, यूनुस के नेतृत्व में बांग्लादेश कट्टरपंथ/तालिबानीकरण की राह पर बढ़ रहा है.'

बांग्लादेश में बढ़ता इस्लामिक कट्टरपंथ भारत की सुरक्षा के लिए चिंता

बांग्लादेश में कट्टरपंथी संगठनों का उदय भारत की सुरक्षा के लिए चिंता का विषय है. भारत ने अक्टूबर 2024 में आतंकवाद विरोधी यूएपीए कानून के तहत हिज्ब-उत-तहरीर और उसके सभी फ्रंट संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया. इस साल फरवरी में एनआईए ने तमिलनाडु से हिज्ब-उत-तहरीर के दो सदस्यों को गिरफ्तार किया था.

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हिज्ब-उत-तहरीर के समर्थकों ने फरवरी में भी एक विरोध-प्रदर्शन किया था. प्रदर्शन गाजा की स्थिति को लेकर था जिसमें अमेरिका के खिलाफ नारे लगाए गए.

विशेषज्ञों का मानना है कि हाल के महीनों में बांग्लादेश में इस्लामी समूहों की सक्रियता बढ़ी है. ढाका विश्वविद्यालय के प्रोफेसर नजमुल अहसन कलीमुल्लाह ने समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा कि इन समूहों ने देश के बदलते राजनीतिक परिदृश्य का लाभ उठाया है.

प्रो. कलीमुल्लाह ने कहा, 'इस्लामवादी बांग्लादेश के पब्लिक स्पेस में अपनी बड़ी जगह बनाने में कामयाब रहे हैं. बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी ने अपनी स्थिति मजबूत की है और हिफाजत-ए-इस्लाम प्रमुख संगठन बन गया है. चारमोनी के पीर जैसी हस्तियों का प्रभाव बढ़ा है. यहां तक कि हिज्ब उत-तहरीर, गैरकानूनी होने के बावजूद, पर्चे, पोस्टर और मार्च के साथ दिखाई दे रहा है. वे प्रेस कॉन्फ्रेंस भी कर रहे हैं.'

कट्टरपंथी समूहों की बढ़ती मौजूदगी बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्षता के लिए भी चिंता पैदा कर रही है. विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि अगर ऐसे संगठन आजाद होकर काम करना जारी रखते हैं तो वो आने वाले समय में कानून व्यवस्था के लिए बड़ी चुनौती बन सकते हैं.

ढाका में हिज्ब-उत-तहरीर का शक्ति प्रदर्शन भारत के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि इन कट्टरपंथी संगठनों ने देश में आतंक फैलाने की कोशिश की है.

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हिज्ब-उत-तहरीर क्या है और इसे क्यों प्रतिबंधित किया गया?

हिज्ब-उत-तहरीर एक इस्लामी संगठन है जिसकी स्थापना 1953 में यरुशलम में हुई थी. इसका उद्देश्य दुनिया के देशों में खिलाफत की स्थापना करना है. खिलाफत में सभी मुस्लिम बहुल देशों को एक ही धार्मिक सरकार के तहत एकजुट होने की बात कही जाती है.

हालांकि, यह समूह शांतिपूर्ण तरीकों से अपने एजेंडे को बढ़ावा देने का दावा करता है, लेकिन कई सरकारों ने इसकी कट्टरपंथी विचारधारा के कारण इसे सुरक्षा के लिए खतरा माना है.

बांग्लादेश में, हिज्ब-उत-तहरीर पर अक्टूबर 2009 में प्रतिबंध लगा दिया गया था. संगठन पर चरमपंथ भड़काने और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पहुंचाने का आरोप लगाया गया था.

प्रतिबंध के बावजूद, समूह ने अपनी गतिविधियां जारी रखी है. सोशल मीडिया और सीक्रेट मीटिंग्स के जरिए संगठन सक्रिय है.

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