अफगानिस्तान (Afghanistan) पर अब पूरी तरह से तालिबान (Taliban) का राज स्थापित होने जा रहा है. 31 अगस्त को जब विदेशी सेनाओं को अफगानिस्तान से वापसी हो जाएगी, तब तालिबान अपनी सरकार बनाने की प्रक्रिया शुरू करेगा.
तालिबान के कई ऐसे अहम चेहरे हैं, जो पिछले वक्त में दुनिया के सामने आए हैं. इनमें से एक हैं शेर मोहम्मद अब्बास स्टेनकजई. (Sher Mohammad Abbas Stanekzai)
शेर मोहम्मद अब्बास स्टेनकजई ने हाल ही में बयान दिया है कि तालिबान भारत के साथ अफगानिस्तान के राजनीतिक, आर्थिक, व्यापारिक रिश्तों को बरकरार रखना चाहता है. शेर मोहम्मद अब्बास स्टेनकजई इस वक्त कतर के दोहा में तालिबान के राजनीतिक मामलों के प्रमुख हैं. तालिबान के लिए दोहा इसलिए अहम है, क्योंकि यहां से ही वह दुनिया से बातचीत कर रहा है.
शेर मोहम्मद अब्बास स्टेनकजई का भारत से एक पुराना कनेक्शन भी है. दरअसल, पूर्व में शेर मोहम्मद अब्बास स्टेनकजई अफगानिस्तान की सेना का हिस्सा रह चुके हैं. इसी कनेक्शन के जरिए वह भारत के उत्तराखंड में स्थित इंडियन मिलिट्री एकेडमी (IMA) में ट्रेनिंग ले चुके हैं.
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बता दें कि IMA, देहरादून में अफगानिस्तान समेत एशिया के अन्य देशों के सैनिकों को ट्रेनिंग दी जाती है. ये डिप्लोमेटिक संबंधों के तहत किया जाता है, दशकों से IMA में ये प्रक्रिया जारी है. 1980 के शुरुआती दशक में जब शेर मोहम्मद अब्बास स्टेनकजई अफगानिस्तान की सेना का हिस्सा था, तब वह IMA में ट्रेनिंग के लिए आ चुका है.
सोवियत यूनियन की एंट्री के बाद हुआ एक्टिव
अब शेर मोहम्मद अब्बास स्टेनकजई दोहा में तालिबान के राजनीतिक मामलों का प्रमुख है. और उसकी गिनती तालिबान के वरिष्ठ और अहम चेहरों में की जाती है. जब अफगानिस्तान में सोवियत यूनियन का दखल बढ़ा और उसके खिलाफ लड़ाई शुरू हुई तब शेर मोहम्मद अब्बास स्टेनकजई ने अफगान सेना का साथ छोड़ दूसरा रास्ता चुन लिया.
जानकारी के मुताबिक, शेर मोहम्मद अब्बास स्टेनकजई ने 1996 में तालिबान का दामन थाम लिया. 2001 में जब अमेरिका की अफगानिस्तान में एंट्री हुई तभी से शेर मोहम्मद अब्बास स्टेनकजई दोहा में है और 2015 के बाद से कई देशों के साथ बातचीत में अहम भूमिका निभाई है.