विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने जहां कोरोना वायरस को ग्लोबल इमरजेंसी करार दिया है वहीं स्थानीय बाजारों में N95 मास्क की किल्लत महसूस की जा रही है. दरअसल, भारी डिमांड की वजह से N95 मास्क के भारी निर्यात की वजह से ऐसी स्थिति बनी है. N95 मास्क को कोरोना वायरस से सुरक्षित रहने में कारगर माना जा रहा है.
ऑल फूड एंड ड्रग लाइसेंस होल्डर्स (AFDLH) फाउंडेशन ने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण को शुक्रवार को चिट्ठी भेज कर सर्जिकल फेस मास्क और N95 फेस मास्क के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की मांग की क्योंकि ये स्थानीय बाजारों में उपलब्ध नहीं हो पा रहे.
यह भी पढ़ें- महाराष्ट्र: कोरोना वायरस से लोगों में दहशत, 6 मरीज आइसोलेशन वार्ड में भर्ती
चिट्ठी में कहा गया है, 'फेस मास्क निर्माताओं को इनके बड़ी मात्रा में आर्डर मिल रहे हैं और इन्हें 10 गुणा तक अधिक दामों में बेचा जा रहा है. इसकी वजह से भारतीय नागरिकों को जरूरत पड़ने पर इन मास्क का मिलना मुश्किल हो रहा है. इसलिए इन मास्क के निर्यात और इनकी कीमतों को नियंत्रित किया जाना चाहिए.'
N95 रेस्पिरेटर इस तरह डिजाइन है जिससे कि वो चेहरे के बहुत करीब रहता है. इस वजह से ये हवा में मौजूद कणों को अच्छी तरह फिल्टर करता है. N95 फेस मास्क ऑनलाइन स्टोर्स पर उपलब्ध हैं लेकिन डिलिवरी में दो हफ्ते का वक्त लग रहा है. इसलिए लोग ऐसा करने से बच रहे हैं.
ये भी पढ़ें: क्रूज पर सवार थे 6000 यात्री, कोरोना के एक अलर्ट पर मची अफरातफरी
AFDLH फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अभय पांडे ने कहा, 'अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में भारी और लाभदायक मांग को देखते हुए निर्माता स्थानीय बाज़ार की ज़रूरतों को नज़रअंदाज़ कर रहे हैं और निर्यात ऑर्डरों को पूरा करने में लगे हैं.
इस तरह की कारोबारी गतिविधियों ने भारतीय लोगों को वायरस से सुरक्षित रहने के लिए मास्क उपलब्ध ना होने का खतरा उत्पन्न कर दिया है. इसलिए हम सरकार से मांग करते हैं कि वो इन मास्क के निर्यात पर प्रतिबंध लगाए और स्थानीय बाज़ार में इनकी कीमतों को कंट्रोल करे.'