हथियारों की खरीद-फरोख्त के मामले में भारत मौजूदा वक्त में दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है. लेकिन हाल ही में आई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि मनमोहन सिंह के कार्यकाल में मोदी सरकार के मुकाबले ज्यादा खरीदे गए. मोदी सरकार ने हथियार खरीदने में थोड़ी कंजूसी दिखाई.
पिछले पांच साल के दौरान हथियारों की वैश्विक खरीद में भारत का हिस्सा 12 फीसदी है. इन आंकड़ों की पुष्टि स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) ने की. साथ ही उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा, 'भारत हथियारों की अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए उत्पादन करने में खुद सक्षम नहीं है.
हाल ही में सिपरी ने एक रिपोर्ट जारी कर बताया कि भारत का आयात 2008-12 की पांच साल की अवधि की तुलना में पिछले पांच साल 2013-17 के दौरान 24 फीसदी बढ़ा है.
सिपरी के वरिष्ठ शोधकर्ता सिमोन वीजीमैन ने लिखा है, 'एक तरफ पाकिस्तान और दूसरी तरफ चीन के साथ तनावों में रहने के कारण भारत में प्रमुख हथियारों की मांग बढ़ गई है, जिसका वह खुद उत्पादन करने में सक्षम नहीं है'. अपनी बात को आगे लिखते हुए बोले कि, चीन इसके एकदम उलट है, चीन अपनी हथियारों की अपनी की जरूरतों को पूरा करने में खुद सक्षम है.
सिपरी के आंकड़ों के मुताबिक भारत का कुल रुझान-संकेतक मूल्य (टीआईवी) 2008-12 के दौरान 14,608 था जो साल 2013-17 में बढ़कर 18,048 हो गया. बता दें, कांग्रेस की सरकार के दौरान साल 2011-13 में जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे. उस समय भारत ने 13,319 टीआईवी मूल्य के हथियारों का आयात किया था. लेकिन साल 2015-17 में बीजेपी सरकार के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अंतर्गत केवल 9,499 टीआईवी मूल्य के हथियार खरीदे. लेकिन साल 2014 के दौरान जब दोनों ही नेता सत्ता में थे उस वक्त 3,227 टीआईवी मूल्य के हथियार खरीदे गए थे.
भारत द्वारा हथियार खरीद हालांकि कांग्रेस नीत संप्रग सरकार के अंतिम तीन साल की तुलना में बीजेपी सरकार के पिछले तीन साल के दौरान कम हुई है.
भारत की परस्पर तुलना में पाकिस्तान का हथियार आयात पिछले पांच साल के दौरान लगातर घटा है. पिछले पांच साल की तुलना में पाकिस्तान का अमेरिका से आयात लगातार कम हुआ है जबकि चीन से उसकी आपूर्ति में वृद्धि हुई है.
शोध रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका से पाकिस्तान का हथियार आयात साल 2008-12 के मुकाबले हाल के पांच वर्षो में 76 फीसदी घटा है. लिहाजा भारत के साथ जारी तनाव और चल रहे आंतरिक संघर्ष के बावजूद पाकिस्तान का हथियार आयात 2008-12 के मुकाबले 2013-17 में 36 फीसदी घटा है. बता दें, 'साल 2013-17 में वैश्विक हथियार आयात में पाकिस्तान का हिस्सा 2.8 फीसदी है'.
सिपरी ने अपनी रिपोर्ट में भारत के साथ-साथ पाकिस्तान और बांग्लादेश के बारे में भी बताया कि चीन पाकिस्तान का साल 2013-17 में हथियारों का मुख्य स्त्रोत चीन रहा और बांग्लादेश में भी चीन के हथियारों का आयात बड़े पैमाने पर हुआ.