साउथ कोरिया के पूर्व रक्षा मंत्री किम योंग ह्यून ने गिरफ्तारी से पहले खुदकुशी करने की कोशिश की है. उन्होंने कस्टडी के दौरान ऐसा किया.
किम को देश में तीन दिसंबर को लगे मार्शल लॉ का मास्टरमाइंड माना जाता है. उन्होंने डिटेंशन सेंटर के भीतर अंडरवियर से सुसाइड करने की कोशिश की. न्याय मंत्रालय के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी.
देश में मार्शल लॉ लगाने पर मचे घमासान के बाद किम योंग ने पद से इस्तीफा दे दिया था. उन्हें रविवार को राजधानी सियोल में डिटेन किया गया था. रिपोर्ट्स की मानें तो किम को राष्ट्रपति यून का भरोसेमंद और खास माना जाता है. उन्होंने प्रधानमंत्री हान को दरकिनार कर सीधे राष्ट्रपति से संपर्क कर मार्शल लॉ लगाने का सुझाव दिया था. उनके इस सुझाव के बाद कोई कैबिनेट मीटिंग भी नहीं हुई थी, इससे पीएम और उनकी कैबिनेट मार्शल लॉ की जानकारी से महरूम थे.
राष्ट्रपति के दफ्तर पर पुलिस की रेड
इस बीच राष्ट्रपति यून सुक योल के दफ्तर पर छापेमारी की खबर है. दक्षिण कोरियाई पुलिस ने छापेमारी की है. उन पर देश छोड़कर जाने पर भी प्रतिबंध लगा हुआ है.
दक्षिण कोरिया में मार्शल लॉ लगाने और फिर फैसले से यूटर्न के बाद राष्ट्रपति को लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है. राष्ट्रपति यून सुक योल के चीफ ऑफ स्टाफ सहित कैबिनेट के कई शीर्ष सहयोगियों ने इस्तीफा दे दिया. संसद में राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग लाया जा सकता है. अगर नेशनल असेंबली में दो-तिहाई से ज्यादा सांसद इसके पक्ष में वोट करते हैं तो उनके खिलाफ महाभियोग चलाया जा सकता है. बता दें कि नेशनल असेंबली में राष्ट्रपति की पीपुल पावर पार्टी के 300 में से 108 सांसद हैं.
अगर नेशनल असेंबली में दो-तिहाई से ज्यादा सांसद इसके पक्ष में वोट करते हैं तो उनके खिलाफ महाभियोग चलाया जा सकता है. महाभियोग के प्रस्ताव को संवैधानिक कोर्ट के समक्ष पेश किया जाएगा. यहां नौ में से कम से कम छह जज अगर इसे मंजूरी दे देते हैं तो आगे की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. इस दौरान अंतिम फैसला आने तक राष्ट्रपति को अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करने की मनाही होगी. इस दौरान प्रधानमंत्री अंतरिम नेता के तौर पर कामकाज देखेंगे. महाभियोग होने के 60 दिनों के भीतर चुनाव कराने होंगे.
तीन दिसंबर को क्या हुआ था?
दक्षिण कोरिया की राजनीति में तीन दिसंबर को नाटकीय घटनाक्रम देखने को मिला था. राष्ट्रपति ने चानक ही देश में इमरजेंसी मार्शल लॉ लगाने की घोषणा कर दी थी लेकिन इसके छह घंटे बाद ही उन्होंने इस फैसले को वापस ले लिया था.
राष्ट्रपति यून सुक योल ने मंगलवार देर रात 11 बजे देश को संबोधित कर देश में इमरजेंसी मार्शल लॉ लगाए जाने की घोषणा की थी. उन्होंने इसके पीछे वजह विपक्ष को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा था कि वह सरकार को पंगु बनाने की कोशिश कर रहा है.
राष्ट्रपति योल ने कहा था कि विपक्षी देशविरोधी गतिविधियों में लिप्त है और उत्तर कोरिया के एजेंडे पर काम कर रहा है. उन्होंने कहा कि दक्षिण कोरिया को उत्तर कोरिया की कम्युनिस्ट ताकतों के खतरों से बचाने और देशविरोधी तत्वों को खत्म करने के लिए मैं इमरजेंसी मार्शल लॉ की घोषणा करता हूं. उन्होंने देश की स्वतंत्र और संवैधानिक व्यवस्था की रक्षा के लिए इसे आवश्यक बताया.
राष्ट्रपति ने मार्शल लॉ प्रभावी ढंग से लागू करवाने के लिए सेना जनरल पार्क अन सू को मार्शल लॉ कमांडर नियुक्त किया था, जिसने सभी राजनीतिक गतिविधियों, रैलियों और प्रदर्शनों पर रोक लगा दी थी.
संसद में इमरजेंसी मार्शल लॉ के खिलाफ हुई थी वोटिंग
देश में इमरजेंसी मार्शल लॉ लगाए जाने के बाद नेशनल असेंबली में इस पर वोटिंग के लिए सांसद एकजुट हुए थे. इस दौरान असेंबली में वोटिंग कराई गई, जिसमें 300 में से 190 सासंदों ने मॉर्शल लॉ के विरोध में वोट किया था.
दरअसल देश की संसद में विपक्ष को बहुमत हासिल है, जिस वजह से राष्ट्रपति हमेशा विपक्ष पर सरकार को पंगु बनाने का दावा करते रहे हैं. नेशनल असेंबली में मार्शल लॉ के विरोध में वोटिंग होने के बाद राष्ट्रपति योल ने इस फैसले को तुरंत प्रभाव से वापस ले लिया. संविधान के तहत राष्ट्रपति को संसद के फैसले का पालन करना ही होता है.