
क्लाइमेंट चेंज को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की तरफ से आयोजित शिखर सम्मेलन से पहले उनके विशेष दूत जॉन केरी 1 से 9 अप्रैल तक अबू धाबी, नई दिल्ली और ढाका की यात्रा पर हैं. इस दौरान जॉन कैरी यूनाइटेड अरब अमीरात, भारत और बांग्लादेश से जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन को लेकर पार्टियों के 26वें सम्मेलन (COP26) पर चर्चा करेंगे. जॉन कैरी आज भारत पहुंच रहे हैं.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के विशेष दूत जॉन केरी भारत सरकार, निजी क्षेत्र और गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक करेंगे. वहीं जॉन केरी की यात्रा से पहले नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास ने कहा है कि दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक और विज्ञान और नवाचार में एक वैश्विक दिग्गज के रूप में, भारत जलवायु संकट के समाधान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.
अमेरिकी दूतावास ने कहा कि हम भारत को भविष्य में स्वच्छ ऊर्जा अनुसंधान, विकास पर एक महत्वपूर्ण भागीदार के रूप में देखते हैं. हमारा मुख्य फोकस स्वच्छ ऊर्जा और निम्न-कार्बन निवेश के माध्यम से भारत के डिकार्बनाइज़ेशन प्रयासों को समर्थन और प्रोत्साहित करना है, और इसके जीवाश्म ऊर्जा उपयोग को कम करने में भारत का समर्थन करना है. अमेरिका ने कहा है कि भारत जलवायु संकट के समाधान का महत्वपूर्ण हिस्सा है.
भारत दौर पर रूस के विदेश मंत्री
इस बीच, रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव भी भारत के दौरे पर होंगे. वह आज भारत पहुंच रहे हैं. जारी बयान के मुताबिक 5-6 अप्रैल को रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव भारत की यात्रा पर होंगे. नई दिल्ली में वह विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर के साथ बातचीत करेंगे. रूस की तरफ से जारी बयान में दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत बनाने पर जोर दिया गया है.
बयान में कहा गया है कि भारत के साथ विशेष रणनीतिक साझेदारी रूस की विदेश नीति की प्राथमिकताओं में से एक है. दोनों पक्ष एक सक्रिय राजनीतिक संवाद, व्यापार और आर्थिक के साथ ही साथ सैन्य और तकनीकी संबंध, वैज्ञानिक, सांस्कृतिक और मानवीय संपर्क विकसित कर रहे हैं. सुदूर पूर्व और रूस के अन्य क्षेत्रों में भारतीय व्यापार की रुचि बढ़ रही है.
इस दौरान सर्गेई लावरोव बैठकों के साथ-साथ 4-5 सितंबर, 2019 को व्लादिवोस्तोक में आयोजित 20वें रूसी-भारतीय शिखर सम्मेलन के कार्यक्रमों के कार्यान्वयन पर जोर देने के साथ द्विपक्षीय संबंधों के सामयिक मुद्दों पर चर्चा करेंगे. रूस और भारत के विदेशी मंत्रालयों के प्रमुख अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय एजेंडे के महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान करेंगे, जिसमें संयुक्त राष्ट्र, एससीओ और ब्रिक्स में बातचीत शामिल है. इसकी अध्यक्षता इस साल भारत और साथ ही आरआईसी करेगा. एशिया-प्रशांत क्षेत्र और अफगानिस्तान में स्थिति से संबंधित विषयों के महत्वपूर्ण मसलों पर चर्चा की जाएगी.