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अमेरिका की चेतावनी- ईरान को आखिरी बूंद तक निचोड़ेंगे

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नाटकीय तरीके से ईरान के साथ परमाणु समझौते से बाहर निकलकर एकतरफा प्रतिबंध लगाये हैं. इन प्रतिबंधों को अब तक का सबसे कड़ा कदम माना जा रहा है.

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अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (फोटो- AP)
अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (फोटो- AP)

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अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने एक बार फिर कहा कि उनका देश ईरान को इतना निचोड़ देगा कि उसके अंदर केवल गुठली ही बची रह जाएगी. बोल्टन ने ये बातें ऐसे समय में की है जब एक सप्ताह पहले ही ईरान पर कड़े प्रतिबंध लागू हुए हैं.

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नाटकीय तरीके से ईरान के साथ परमाणु समझौते से बाहर निकलकर एकतरफा प्रतिबंध लगाये हैं. इन प्रतिबंधों को अब तक का सबसे कड़ा कदम माना जा रहा है. इसमें ईरान के तेल आयात को निशाना बनाया गया है और उसके बैंकों को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली से अलग-थलग करने की कोशिश की गई है.

बोल्टन ने एक सम्मेलन से पहले सिंगापुर में कहा, ‘मुझे लगता है कि ईरान की सरकार वास्तविक दबाव में है और हमारा उद्देश्य उन्हें निचोड़ कर रख देना है. जैसा कि अंग्रेज कहते हैं कि तब तक निचोड़ो जब तक की गुठली न चीखने लगे.’ उन्होंने कहा, ‘हम प्रतिबंधों को और बढ़ाने जा रहे है.’

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बता दें कि ईरान के साथ परमाणु समझौते में शामिल अन्य पक्ष अमेरिका के प्रतिबंधों का विरोध कर रहे हैं. विरोध करने वाले देश ब्रिटेन, फ्रांस, चीन और रूस हैं. ये देश समझौते को जारी रखना चाहते हैं. संयुक्त राष्ट्र निरीक्षकों का भी मानना है कि ईरान समझौते की शर्तों पर बना हुआ है. इस मुद्दे पर सउदी अरब अमेरिका का एकमात्र समर्थक देश है.

बीते दिनों ईरान ने भी अमेरिका पर पलटवार करते हुए कहा था कि अमेरिका को अपनी दादागीरी को छोड़ देनी चाहिए. ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता बहराम कासमी के हवाले से कहा कि अमेरिका को अपनी सर्वाधिकारवाद और दमनकारी नीतियों को छोड़ना चाहिए. उन्होंने अमेरिकी अधिकारियों के दावों को अमेरिका का ईरान के खिलाफ मनोवैज्ञानिक युद्ध करार दिया है. उन्होंने कहा कि अमेरिका आर्थिक प्रतिबंधों के जरिए ईरान को हराने में विफल रहा है. अमेरिका का मनोवैज्ञानिक युद्ध पूरी तरह विफल हो चुका है.

अमेरिका ने ईरान पर फिर से आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए हैं, जिसके तहत ईरान से तेल खरीदने और कारोबार करने वाले देशों और कंपनियों पर प्रतिबंधात्मक कार्रवाई का प्रावधान है.

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