श्रीलंका ने चीन को एक लाख टोक मकाक बंदरों का एक्सपोर्ट करने के फैसले पर रोक लगा दी है. पर्यावरण हितैषी संगठनों के जारी विरोध प्रदर्शन के बीच मामला कोर्ट में पहुंचने पर श्रीलंका के अटॉर्नी जनरल ने अपीलीय कोर्ट को इस फैसले की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि उन्हें वन्यजीव और संरक्षण विभाग से निर्देश मिले हैं कि वे बंदरों को चीन में निर्यात करने के लिए कदम नहीं उठाएंगे. दरअसल याचिकाकर्ताओं ने बंदरों के प्रस्तावित निर्यात को रोकने के लिए आदेश जारी करने के लिए अपील न्यायालय के हस्तक्षेप की मांग की थी. श्रीलंका में इस प्रजाति के 30 लाख से ज्यादा बंदर हैं. ये बंदर स्थानीय फसलों को बड़े पैमाने पर खराब कर देते हैं. बंदरों के निर्यात से श्रीलंकाई किसानों को अपनी फसल की रक्षा करने में मदद मिलेगी.
प्राणि उद्यान से जुड़ी और पशु प्रजनन से जुड़ी चीन की एक निजी कंपनी ने श्रीलंका के कृषि मंत्रालय से कुछ महीने पहले इस संबंध में अनुरोध किया था. श्रीलंका, आरएआरई श्रीलंका, जस्टिस फॉर एनिमल और अन्य ने अपीलीय अदालत में कृषि मंत्री महिंदा अमरवीरा के बयान के हवाले से कहा कि टोक मकाक बंदरों को श्रीलंका से चीन को निर्यात करने की योजना बनाई जा रही थी.
याचिकाकर्ताओं ने अपीलीय न्यायालय से हस्तक्षेप करने का अनुरोध करते हुए कहा कि श्रीलंका से चीन को टोक मकाक बंदरों के प्रस्तावित निर्यात को रोकने के लिए आदेश जारी किया जाए. जब मामला उठाया गया तो अटॉर्नी जनरल ने खुली अदालत में कहा कि उन्हें वन्यजीव और संरक्षण विभाग से जानकारी मिली है कि वे बंदरों को चीन को निर्यात करने की दिशा में आगे कार्रवाई नहीं करेंगे.
श्रीलंका के कृषि मंत्री महिंदा अमरवीरा ने 12 अप्रैल को बीबीसी को बताया था कि श्रीलंका से चीन को भेजे जाने वाले एक लाख बंदरों के मुद्दे पर विचार करने के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है. चीन ने श्रीलंका से वहां के एक हजार चिड़ियाघरों के लिए बंदरों की डिमांड की है. आर्थिक तंगी के दौर से उबारने के लिए अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए बंदरों को निर्यात करने की तैयारी है.
उन्होंने आगे बताया था कि चीन के साथ बंदरों की मांग को लेकर तीन दौर की बातचीत पूरी हो गई है. बातचीत अंतिम दौर में है. अमरवीरा का मत था कि बंदरों के निर्यात से श्रीलंकाई किसानों को अपनी फसल की रक्षा करने में मदद मिलेगी. कृषि मंत्री ने बताया था कि श्रीलंका में बंदर और गिलहरियों से देश को करीब 10 करोड़ नारियलों का नुकसान पहुंचता है. इससे करीब 157 करोड़ रुपये की क्षति होती है.
वहीं पर्यावरणविदों का कहना था कि कोई भी निर्णय लेने से पहले बंदरों की काउंटिंग होनी चाहिए. चीन बंदरों को क्यों बुलवा रहा है, यह हम जानना चाहते हैं, क्या वे इन बंदरों पर शोध करना चाहते हैं? क्या वे इन्हें खाने के मकसद से तो नहीं खरीद रहे? श्रीलंका में भले ही बंदर संरक्षित प्राणियों की लिस्ट में नहीं हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय रेड लिस्ट में इन बंदरों को खत्म होने वाली प्रजातियों की लिस्ट में शामिल किया गया है.