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Sri Lanka crisis: सोने की लंका कैसे पाई-पाई को हो गई मोहताज, 51 अरब डॉलर का चढ़ गया विदेशी कर्ज

श्रीलंकाई रुपये की वैल्यू पिछले कुछ दिनों में डॉलर के मुकाबले 80 फीसदी से ज्यादा कम हो चुकी है. मार्च में श्रीलंका में 1 डॉलर की कीमत 201 श्रीलंकाई रुपये थी जो अब 360 श्रीलंकाई रुपये पर आ चुकी है. वहीं, महंगाई दर 17 फीसदी को भी पार कर चुकी है, जो पूरे दक्षिण एशिया के किसी भी देश में महंगाई का सबसे भयानक स्तर है.

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श्रीलंका में गहराता जा रहा है रसोई गैस का संकट (एपी)
श्रीलंका में गहराता जा रहा है रसोई गैस का संकट (एपी)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • श्रीलंका में महंगाई दर 17 फीसदी के भी पार चली गई
  • पेट्रोल, रसोई गैस, दवाइयों की किल्लत से लोग परेशान

आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका की अर्थव्यवस्था दो साल पहले तक दक्षिण एशिया की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्थाओं में से एक मानी जाती थी. कोरोना महामारी की दस्तक से पहले 2019 में विश्व बैंक ने श्रीलंका को दुनिया के हाई मिडिल इनकम वाले देशों की कैटेगरी में अपग्रेड किया था, लेकिन दो साल में श्रीलंका की इकोनॉमी अर्श से फर्श पर आ गई.

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श्रीलंका अब अपना विदेशी कर्ज लौटा पाने में असमर्थ हो चुका है. उसने खुद को दिवालिया घोषित कर दिया है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अभी श्रीलंका में महंगाई दर 17 फीसदी को भी पार कर चुकी है, जो पूरे दक्षिण एशिया के किसी भी देश में महंगाई का सबसे भयानक स्तर है.

डॉलर के मुकाबले 20% रह गई श्रीलंकाई रुपये की कीमत

श्रीलंकाई रुपये की वैल्यू पिछले कुछ दिनों में डॉलर के मुकाबले 80 फीसदी से ज्यादा कम हो चुकी है. मार्च में श्रीलंका में 1 डॉलर की कीमत 201 श्रीलंकाई रुपये थी जो अब 360 श्रीलंकाई रुपये पर आ चुकी है. श्रीलंका के सरकारी आंकड़े बताते हैं कि अप्रैल 2021 तक श्रीलंका के ऊपर कुल 35 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज था, जो एक साल में बढ़कर अब 51 अरब डॉलर पर पहुंच चुका है.

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पैसों की इतनी किल्ल्त कि आधा सोना बेचना पड़ा

श्रीलंका के पास पैसों की इतनी भारी कमी हो चुकी है कि सेंट्रल बैंक ऑफ श्रीलंका को अपने पास रखे गोल्ड रिजर्व में से आधे बेचना पड़ा है. श्रीलंका के केंद्रीय बैंक के पास 2021 की शुरुआत में 6.69 टन सोने का भंडार था, जिसमें से 3.6 टन सोना बेचा गया.

चार साल में आधा हो गया विदेशी मुद्रा भंडार

2018 में जहां श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार 7.5 अरब डॉलर था, वो फरवरी 2022 में गिरकर 2.31 अरब डॉलर रह गया. श्रीलंका सरकार ने मार्च 2020 में विदेशी आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था ताकि विदेशी मुद्रा को बचाया जा सके, लेकिन उसका भी कोई खास असर नहीं पड़ा. उल्टे विदेशी आयात पर बैन लगाने की वजह से श्रीलंका में जरूरी सामान की कमी हो गई.

आयात पर प्रतिबंध लगाने से भी बिगड़े हालात

श्रीलंका सरकार ने जब विदेशी आयात पर प्रतिबंध लगाया तो रसायनिक खाद की कमी हो गई, जिसके बाद सरकार ने पूरे श्रीलंका में जैविक खेती को अनिवार्य बना दिया. रसायनिक खाद की जगह जैविक खाद की तरफ रूख करने से खाद्य उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हुआ. सरकार के इस फैसले के चलते श्रीलंका का कृषि उत्पादन आधा रह गया है. विदेशी आयात पर प्रतिबंध और जैविक खेती की वजह से श्रीलंका में सामान की कमी हुई और कीमतें इतनी ज्यादा अनियंत्रित हो गईं कि श्रीलंका में आर्थिक आपातकाल की नौबत आ गई.

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कोरोना से टूरिज्म सेक्टर को लगा तगड़ा झटका

श्रीलंका की GDP में टूरिज्म का 10 फीसदी से ज्यादा योगदान है. यह श्रीलंका के लिए विदेशी करेंसी का तीसरा सबसे बड़ा सोर्स है. श्रीलंका के टूरिज्म सेक्टर पर 5 लाख श्रीलंकाई सीधे तौर पर और 20 लाख अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हैं. टूरिज्म से श्रीलंका को सालाना 5 अरब डॉलर की कमाई होती थी. टूरिज्म सेक्टर पर कोरोना की मार ने श्रीलंका के विदेशी मुद्रा भंडार में भारी कमी कर दी.

श्रीलंका पर GDP का 104% है विदेशी कर्ज

सेंट्रल बैंक ऑफ श्रीलंका के अनुसार इस वक्त श्रीलंका के ऊपर कुल 51 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज है. विश्व बैंक के मुताबिक श्रीलंका के ऊपर विदेशी कर्ज की रकम उसकी कुल GDP का 104 प्रतिशत हो चुका है. श्रीलंका को अगले 12 महीनों में विदेशी कर्ज की किश्तें भरने के लिए 7.3 अरब डॉलर की जरूरत है जबकि अगले चार साल यानी 2026 तक 26 अरब डॉलर का भुगतान विदेशी कर्ज की किश्तों के तौर पर करना है.

(आज तक ब्यूरो)

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