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श्रीलंका में राजनीतिक उठापटक! राष्ट्रपति ने किया आपातकाल हटाने का ऐलान

श्रीलंका से बड़ी खबर सामने आ रही है. राष्ट्रपति गोटाभाया राजपक्षे ने देश से आपातकाल हटाने का फैसला कर लिया है. उनकी तरफ से इमरजेंसी हटाने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं.

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श्रीलंका में आर्थिक संकट
श्रीलंका में आर्थिक संकट
स्टोरी हाइलाइट्स
  • श्रीलंका में जल्द हो सकता है सर्वदलीय सरकार का गठन
  • कैबिनेट के सभी मंत्रियों ने दिया पीएम को इस्तीफा

श्रीलंका में लगा आपातकाल हटा दिया गया है. राष्ट्रपति गोटाभाया राजपक्षे ने इस बात का ऐलान कर दिया गया है. उन्होंने पहले बिगड़ती स्थिति को देखते हुए इमरजेंसी लगाने का फैसला लिया था. लेकिन अब उन्होंने उस फैसले को ही रद्द कर दिया है.

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श्रीलंका से आपातकाल हटा

अब जानकारी के लिए बता दें कि श्रीलंका में पहले चार अप्रैल को आपातकाल का ऐलान किया गया था. जब आर्थिक संकट की वजह से जगह-जगह हिंसा शुरू हो गई थी, तब राष्ट्रपति ने स्थिति को काबू में करने के लिए इमरजेंसी लगाने का फैसला लिया था. लेकिन अब उसी आपातकाल वाले फैसले को रद्द कर दिया गया है. इसके पीछे के क्या कारण रहे हैं, ये अभी स्पष्ट नहीं है.

वैसे अभी भी जमीन पर स्थिति काफी खराब बताई जा रही है. महंगाई चरम पर पहुंच चुकी है और लोगों के सब्र का बांध टूट रहा है. डीजल लेने के लिए लंबी-लंबी कतारें लग रही हैं, केरोसीन के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है और कागज की किल्लत की वजह से बच्चों की परीक्षा रद्द करवा दी गई है. खराब होती स्थिति का आलम इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री की पूरी कैबिनेट ने अपना इस्तीफा दे दिया है. यहां तक की पीएम के बेटे ने भी अपने पद को छोड़ने को फैसला लिया है. कहा जा रहा है कि अब श्रीलंका में एक सर्वदलीय सरकार बनाई जा सकती है जहां पर विपक्ष के नेताओं की भी सक्रिय भागीदारी रहेगी.

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जमीन पर क्या स्थिति?

अब ये राजनीतिक उठापटक इतनी तेज इसलिए हो गई है क्योंकि श्रीलंका में स्थिति आउट ऑफ कंट्रोल जाती दिख रही है. श्रीलंका में लंबे समय तक बिजली कटौती ने देश में संचार नेटवर्क को प्रभावित कर दिया है. भारी कर्ज और घटते विदेशी भंडार के कारण श्रीलंका ने अब आयात के लिए भुगतान करने में भी असमर्थ हो गया है. यही वजह है कि इससे देश में ईंधन सहित कई सामान की किल्लत हो गई है.  इस सब के ऊपर कोविड -19 महामारी ने श्रीलंका की अर्थव्यवस्था को भारी झटका दिया. सरकार ने पिछले दो वर्षों में $ 14 बिलियन के नुकसान का अनुमान लगाया. 

एक्सपर्ट मान रहे हैं कि मुफ्त वाले ऐलान और भारी मात्रा में कर्ज लेने की वजह से श्रीलंका की अर्थव्यवस्था की ऐसी हालत हुई है. उस सब के ऊपर क्योंकि अब श्रीलंका के पास विदेशी मुद्रा खत्म होने की कगार पर आ गई है, ऐसे में दूसरे देशों से मदद लेने की पहल भी कमजोर हुई है.

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