श्रीलंका में भारी बारिश के कारण हुए भीषण भूस्खलन में कम से कम 10 लोग मारे गए हैं और करीब 160 लोग मलबे में दबे हुए हैं, जिनके बचे रहने की उम्मीद बहुत कम है.
भूस्खलन में अधिकतर भारतीय मूल के बागान कामगारों के घर नष्ट हो गए हैं. भारत ने इस आपदा से निपटने में मदद की पेशकश की है. बचाव कार्य में सेना के साथ ही भारी मशीनों को लगाया गया है. बुधवार शाम को हुए इस भूस्खलन के कारण मध्य बादुला जिले के मीरियाबेद्दा चाय बागान में 120 कामगारों के घर नष्ट हो गए.
आपदा प्रबंधन मंत्री महिंदा अमरवीरा ने कहा, ‘मैंने मौके का दौरा किया और जो मैंने देखा उससे मुझे नहीं लगता कि कोई जीवित बचा होगा.’ श्रीलंकाई राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने आपदा प्रभावित कोसलांदा-मीरिया बेड्डा इस्टेट गांव का दौरा किया और प्रभावित लोगों से मुलाकात की. राजपक्षे कोसलांदा श्री गणेश तमिल स्कूल में स्थापित राहत शिविर भी गए और पीड़ितों की हालत जानी.
उन्होंने भूस्खलन प्रभावित लोगों को राशन भी वितरित किए. आपदा प्रबंधन केंद्र ने 10 लोगों के मारे जाने की पुष्टि की है और कहा कि करीब 160 लोग अब भी लापता हैं. इस आपदा से 320 परिवारों के 1,067 लोग प्रभावित हुए हैं. श्रीलंका के शीर्ष अधिकारियों के अनुसार मलबे में दबे लोगों में से किसी के जिंदा होने की उम्मीद बहुत कम है, लेकिन सेना और पुलिसकर्मी राष्ट्रीय भवन शोध संगठन (एनबीआरओ) की पांच टीमों के साथ राहत अभियानों में जुटे हुए हैं.
श्रीलंकाई सेना ने मलबे में दबे लोगों को निकालने के लिए सुरक्षा बल मुख्यालय से 500 से अधिक सैनिकों की टुकड़ी को लगाया है. इस बीच, बागान मंत्री महिंदा समरसिंघे ने गुरुवार को कहा कि वर्ष 2011 में जारी भूस्खलन चेतावनी की मीरियाबेद्दा चाय बागान ने अनदेखी की. उन्होंने कहा कि इस सिलसिले में जांच की जानी चाहिए कि चाय बागान मालिकों ने चेतावनी की अनदेखी क्यों की, जिसके कारण अब इतने लोग मारे गए. भारत ने भूस्खलन से प्रभावित सैकड़ों लोगों के राहत एवं बचाव के लिए मदद की पेशकश की.
इनपुटः भाषा से