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भारत से निवेश को लेकर भिड़े श्रीलंका के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री

कोलंबो बंदरगाह पर ईस्ट कंटेनर टर्मिनल को भारतीय निवेश से विकसित करने के प्रस्ताव को लेकर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के बीच अनबन की खबर है.

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सिरिसेना, नरेंद्र मोद और विक्रमसिंघे (फोटो-PTI)
सिरिसेना, नरेंद्र मोद और विक्रमसिंघे (फोटो-PTI)

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श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना और प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के बीच कैबिनेट मीटिंग के दौरान भिड़ंत का मामला सामने आया है. सूत्रों के हवाले से कोलंबो स्थित डेली मिरर अखबार ने दावा किया है कि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के बीच विवाद की स्थिति कोलंबो पोर्ट पर ईस्ट कंटेनर टर्मिनल को भारतीय निवेश से विकसित करने पर बनी.

खबरों के मुताबिक, श्रीलंका के पोर्ट और शिपिंग मंत्री महिंदा समारासिंघे ने कैबिनेट को प्रस्ताव दिया कि ईस्ट कंटेनर कोस्ट को विकसित करने का दायित्व श्रीलंका पोर्ट अथॉरिटी को दिया जाए. वहीं, कैबिनेट बैठक के दौरान श्रीलंका के डेवलपमेंट स्ट्रैटेजी और इंटरनेशनल ट्रेड मिनिस्टर मलिक समाराविक्रमा ने भारतीय निवेश से पोर्ट को विकसित करने का पक्ष रखा. राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के बीच विवाद की स्थिति तब खड़ी हुई जब प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने व्यापार मंत्री के प्रस्ताव को मानने की वकालत की.

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गौरतलब है कि प्रधानमंत्री के इस रुख के बाद राष्ट्रपति सिरिसेना ने कहा कि कोलंबो पोर्ट को सरकार के अधीन रखने की जरूरत है. राष्ट्रपति की दलील के मुताबिक, भारतीय निवेश की मंजूरी देने पर श्रीलंकाई पोर्ट पर उसकी संप्रभुता को खतरा हो सकता है.

गौरतलब है कि इससे पहले श्रीलंका के राष्ट्रपति ने चीनी कंपनी को हंबनटोटा पोर्ट लीज पर दिए जाने का विरोध किया था. हालांकि राष्ट्रपति ने कहा कि हाल ही में बिम्सटेक सम्मेलन के दौरान कोलंबो पोर्ट को विकसित करने के मामले में उनकी भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत हुई थी.

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