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श्रीलंका: 44 साल में आज पहली बार सीधे राष्ट्रपति चुनेगी संसद, विक्रमसिंघे को मिल रही कड़ी टक्कर

श्रीलंका में आज राष्ट्रपति चुनाव होने जा रहे हैं. इस मुकाबले में कार्यकारी राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के अलावा दुल्लास अलहप्परुमा और अनुरा कुमारा दिसानायके मैदान में हैं. मुख्य रूप से कड़ा मुकाबला विक्रमसिंघे और अलहप्परुमा के बीच माना जा रहा है.

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रानिल विक्रमसिंघे, दुल्लास अलहप्परुमा, अनुरा कुमारा दिसानायके. (File Photo)
रानिल विक्रमसिंघे, दुल्लास अलहप्परुमा, अनुरा कुमारा दिसानायके. (File Photo)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कार्यकारी राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे भी मैदान में
  • 225 सदस्यीय सदन में बहुमत के लिए चाहिए 113 वोट

श्रीलंका की संसद 44 साल में पहली बार आज (20 जुलाई) त्रिकोणीय मुकाबले में सीधे राष्ट्रपति का चुनाव करेगी. राष्ट्रपति चुनाव की दौड़ में कार्यकारी राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के अलावा दुल्लास अलहप्परुमा और अनुरा कुमारा दिसानायके मैदान में हैं. इन तीनों में से किसी एक को देश छोड़कर भागने वाले गोटाबाया राजपक्षे की जगह राष्ट्रपति चुना जाएगा. 

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चुनाव से पहले दुल्लास अलहप्परुमा, विक्रमसिंघे पर बढ़त बनाते नजर आ रहे हैं. उन्हें अपनी पार्टी के ज्यादातर नेताओं के अलावा विपक्ष का भी समर्थन मिलता दिख रहा है. श्रीलंका के पूर्व विदेश मंत्री जीएल पीरिस ने कहा कि श्रीलंका की सत्ताधारी पार्टी पोदुजाना पेरामुना (SLPP) के अधिकतर नेताओं के अलावा विपक्ष के नेता भी दुल्लास अलहप्परुमा को राष्ट्रपति और साजिथ प्रेमदासा को प्रधानमंत्री बनते देखना चाहते हैं.

हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि 73 साल के विक्रमसिंघे राष्ट्रपति की रेस में अब भी आगे चल रहे हैं. लेकिन 225 सीट वाली संसद में बहुमत साबित करना इतना आसान नहीं होगा. अगर श्रीलंका में आर्थिक हालात बेहद खराब होने से पहले अगस्त 2020 की संसदीय संरचना को देखें, तो 145 की संख्या वाली SLPP पार्टी से 52 सांसद टूट गए थे. इसके बाद पार्टी में 93 सदस्य बचे थे, जो बाद में 4 सदस्यों के लौटने के बाद 97 हो गए थे.

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225 सदस्यीय सदन में विक्रमसिंघे को जादुई आंकड़ा छूने के लिए 113 का समर्थन चाहिए. उन्हें इसके लिए 16 वोटों की और जरूरत है. विक्रमसिंघे को तमिल पार्टी के 12 वोटों में से कम से कम 9 पर भरोसा है. इसके अलावा वे मुख्य विपक्षी समागी जाना बालवेगया (SJB) के दलबदलुओं पर भी भरोसा कर रहे हैं. इनमें से ज्यादातर को विक्रमसिंघे ही राजनीति में लाए हैं.

SJB के नेता साजिथ प्रेमदासा, अलहप्परुमा को समर्थन देने का ऐलान कर चुके हैं. अलहप्परुमा के पक्ष में एक और बड़ी घटना सामने आई है. श्रीलंका फ्रीडम पार्टी (SLFP) भी उन्हें वोट देने का फैसला कर चुकी है. टीपीए नेता सांसद मनो गणेशन ने कहा कि तमिल प्रगतिशील गठबंधन (टीपीए) ने भी सर्वसम्मति से राष्ट्रपति चुनाव में अल्हाप्परुमा का समर्थन करने का फैसला किया है. श्रीलंका मुस्लिम कांग्रेस (SLMC) और ऑल सीलोन मक्कल कांग्रेस (ACMC) ने भी अलहप्परुमा को वोट देने का फैसला किया है.

दूसरी तरफ विक्रमसिंघे को उम्मीद थी कि उन्हें सरकार विरोधी लोकप्रिय आंदोलन 'अरागलया' से समर्थन मिल जाएगा, जिसका नाम सिंहली शब्द 'संघर्ष' के नाम पर रखा गया था. लेकिन अरगलया नेता हरिंडा फोन्सेका ने कहा कि रानिल विक्रमसिंघे राष्ट्रपति पद के लिए वैध उम्मीदवार नहीं हैं. हालांकि, सबसे निर्णायक कारण जो इसे विक्रमसिंघे के पक्ष में हैं, वह यह है कि हाल ही में एसएलपीपी सांसदों में से 70 से ज्यादा को आगजनी और हमलों का सामना करना पड़ा और एक की हत्या भी कर दी गई.

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