scorecardresearch
 

रानिल विक्रमसिंघे बने श्रीलंका के नए प्रधानमंत्री, देश को संकट से निकालना सबसे बड़ी चुनौती

आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका को नया प्रधानमंत्री मिल गया है. Ranil Wickremesinghe श्रीलंका के नए पीएम घोषित कर दिए गए हैं. राष्ट्रपति की तरफ से उन्हें पीएम बनने के लिए शुभकामनाएं भी दे दी गई हैं.

Advertisement
X
रानिल विक्रमसिंघे बने श्रीलंका के नए प्रधानमंत्री
रानिल विक्रमसिंघे बने श्रीलंका के नए प्रधानमंत्री
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पहले भी प्रधानमंत्री का पद संभाल चुके रानिल
  • पिछले चुनाव में उनकी पार्टी ने जीती सिर्फ एक सीट

आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका को नया प्रधानमंत्री मिल गया है. Ranil Wickremesinghe श्रीलंका के नए पीएम घोषित कर दिए गए हैं. राष्ट्रपति की तरफ से उन्हें पीएम बनने के लिए शुभकामनाएं भी दे दी गई हैं. पहले इस रेस में विपक्षी पार्टी के ही नेता साजिथ प्रेमदासा आगे बताए जा रहे थे. उन्होंने राष्ट्रपति राजपक्षे को अपनी तरफ से एक चिट्ठी भी लिख दी थी. लेकिन अब श्रीलंका को आर्थिक संकट के बाहर निकालने की जिम्मेदारी रानिल विक्रमसिंघे की होने वाली है.

Advertisement

राष्ट्रपति से मुलाकात और फिर पीएम बन लिए रानिल

रानिल विक्रमसिंघे यूनाइटेड नेशनल पार्टी के चीफ हैं और उनका एक लंबा रानजीतिक करियर रहा है. ऐसे में इस मुश्किल समय में उन्हें प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी मिलना काफी मायने रखता है. वैसे बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री बनाए जाने से पहले रानिल विक्रमसिंघे की राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे से अकेले में एक मुलाकात हुई थी. उस मुलाकात के बाद ही उनके नाम पर मुहर लग गई थी.

वैसे यहां पर ये जानना जरूरी हो जाता है कि इससे पहले भी रानिल विक्रमसिंघे प्रधानमंत्री का पद संभाल चुके हैं. वे चार बार श्रीलंका के पीएम बन चुके हैं. वर्तमान में उनकी पार्टी की 225 संसदीय सदन में सिर्फ एक ही सीट है. इससे पहले 2018 में उन्हें प्रधानमंत्री के पद से हटा दिया गया था. तब राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना ने उन्हें बर्खास्त किया था, लेकिन दो महीने के भीतर वे दोबारा पीएम भी बना दिए गए थे.

Advertisement

नए प्रधानमंत्री के सामने चुनौतियों का पहाड़

अब जब श्रीलंका अपनी आजादी के बाद के सबसे खराब दौर से गुजर रहा है, रानिल विक्रमसिंघे को फिर पीएम बना बड़ा दांव चला गया है. उनके सामने कई बड़ी चुनौतियां हैं. सबसे बड़ी तो कर्ज तले डूबती अर्थव्यवस्था को बचाना है. इस समय श्रीलंका भारी कर्ज में चल रहा है, हालात इतने खराब हैं कि कर्ज चुकाने के लिए भी कर्जा लेने की नौबत आ गई है. ऐसे में इस स्थिति से श्रीलंका को निकालना उनकी बड़ी प्राथमिकता रहने वाला है.

इसके अलावा राजनीतिक अस्थिरता की वजह से श्रीलंका में बड़े स्तर पर हिंसा देखने को मिली है. विरोध प्रदर्शन तो हो ही रहे हैं, साथ ही साथ सरकारी प्रापर्टी को भी नुकसान पहुंचाया जा रहा है, ऐसे में कानून व्यवस्था को फिर दुरुस्त करना भी उनके के लिए बड़ी चुनौती बनने वाला है. वहीं इस समय श्रीलंका में महंगाई भी सारे रिकॉर्ड तोड़ रही है, जरूरी वस्तुओं की भारी कमी देखने को मिल रही है. ऐसे में इस क्षेत्र में भी जनता को तुरंत राहत की जरूरत है. रानिल ये कैसे करते हैं, इस पर सभी की नजर रहने वाली है.

रानिल विक्रमसिंघे का राजनीतिक करियर

रानिल विक्रमसिंघे के निजी जीवन की बात करें तो उनका जन्म 24 मार्च, 1949 को कोलंबो में हुआ था. वे एक संपन्न परिवार से आते हैं जहां पर उनके पिता खुद एक जाने-माने वकील रहे थे. खुद रानिल ने भी वकालत कर रखी है और सीलोन यूनिवर्सिटी से उनकी पढ़ाई पूरी हुई है. फिर 70 के दशक में रानिल ने राजनीति में आने का फैसला किया और वे श्रीलंका की सबसे पुरानी पार्टी  यूनाइटेड नेशनल पार्टी के साथ जुड़ गए. शुरुआत से ही राजनीति के मामले में उनके फैसलों की तारीफ होने लगी थी, जनता के साथ भी एक कनेक्ट था. ऐसे में जब 1977 में उन्होंने पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ा, उन्होंने उसमें एक बड़ी जीत दर्ज की. उसके बाद वे सबसे पहले विदेश मंत्रालय के डिप्टी मिनिस्टर बनाए गए, पद ज्यादा बड़ा नहीं था, लेकिन शुरुआत उनकी हो गई थी. इसके बाद उन्होंने युवा, रोजगार से लेकर कई अहम मंत्रालय संभाले. 

Advertisement

अब उसी अनुभव के आधार पर रानिल विक्रमसिंघे को 73 साल की उम्र में फिर प्रधानमंत्री का पद दे दिया गया है. उनसे उम्मीद की जा रही है कि वे अपने अनुभव का इस्तेमाल कर श्रीलंका को इस कर्ज के मायाजाल से बाहर निकालेंगे और देश की अर्थव्यवस्था को फिर पटरी पर लाने का काम करेंगे.

Advertisement
Advertisement