
दो सगे भाई मजीद सीनियर, मजीद जूनियर. दोनों ही बलोच राष्ट्रवाद की आग में तपते हैं. एक आजाद मुल्क का सपना लिए. दोनों ही इस काउज के लिए कुर्बान होते हैं. लेकिन इन दो भाइयों की कुर्बानियां अलग बलूचिस्तान की मांग में ईंधन का काम करती हैं. फिर पाकिस्तानी सेना का सामना करने के लिए बलूचिस्तान की मिट्टी से पनपता है खूंखार फिदायीन दस्ता मजीद ब्रिगेड. ये वही ब्रिगेड है जिसने क्वेटा से पेशावर जा रही जाफर एक्सप्रेस को हाईजैक कर लिया है.
2 अगस्त 1974. स्थान-क्वेटा. एक पेड़ पर चढ़ा युवक एक मौके का इंतजार कर रहा होता है. उसके हाथ में हैंड ग्रेनेड है. वो किसी पल भी ब्लास्ट करने वाला है. इस फिदायीन के टारगेट पर हैं पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फीकार अली भुट्टो. जो एक जलसे में शामिल होने क्वेटा आए थे. इस लड़के का नाम था मजीद सीनियर. मजीद भुट्टो से बदला लेना चाहता था.
मजीद ब्रदर्स की कुर्बानी और फिदायीन दस्ते की कहानी
भुट्टो ने बलूचिस्तान में बलोच हक की बात करने वाली नेशनल आवामी पार्टी की सरकार को बर्खास्त कर दिया था. गौरतलब है कि बलूचिस्तान तो 1947 के बाद से ही एक अलग देश के रूप में अपना वजूद रखना चाहता था. लेकिन तब मुहम्मद अली जिन्ना ने ताकत के दम पर इस सूबे का पाकिस्तान में विलय करा लिया.
बलूचिस्तान की नेशनल आवामी पार्टी अब बलोचों के हक और हुकूक के लिए लड़ती थी. पार्टी चाहती थी कि बलोचिस्तान को अधिक क्षेत्रीय स्वायत्तता मिले. 1971 में बांग्लादेश के अलग होने से उनकी मांग ने और भी रफ्तार पकड़ ली.
उधर भुट्टो 1971 में पाकिस्तान की हार और बांग्लादेश बनने से चिढ़े थे. वे कुछ भी रियायत देने को तैयार नहीं थे. उन्होंने हमेशा बलोच प्रांत की सरकार को कमजोर करने की कोशिश की. और आखिरकार उन्होंने नेशनल आवामी पार्टी की सरकार को ही बर्खास्त कर दिया.
तो ये मजीद की कहानी का बैकग्राउंड है. वो इसी का बदला लेना चाहता था.
मजीद जानता था कि इस ऑपरेशन का मतलब ही उसकी मौत है. लेकिन वो तनिक भी भयभीत नहीं था. हाथ में हैंड ग्रेनेड लेकर वह जुल्फीकार अली भुट्टो के काफिले का इंतजार कर रहा था. उसे हैंड ग्रेनेड फेंकना था. बीबीसी उर्दू ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि इस ऑपरेशन में मजीद की जान चली गई. उसका मिशन कामयाब नहीं हो सका.
लेकिन उसने बलिदानियों के लिए राहें खोल दी थी. बलोच मूवमेंट में उसकी कहानियां प्रेरणा बन गई. मजीद सीनियर की मौत के दो साल बाद उसी के घर में एक और लड़का पैदा हुआ. माता-पिता ने उसका नाम रखा मजीद जूनियर.
मजीद जूनियर की परवरिश भी उसी माहौल में हुई. एक दिन उसकी भी कुर्बानी का वक्त आ गया. तारीख थी 17 मार्च 2010.
बड़े भाई के बाद छोटा भाई भी हुआ बलिदान
अमेरिकी थिंक टैंक द जेम्सटाउन फाउंडेशन के अनुसार क्वेटा के वाहदत कॉलोनी के एक मकान को पाकिस्तानी सेना ने घेर लिया. कहा जाता है कि इस मकान में कई विद्रोही छिपे हुए थे. चारों ओर से घिरा देख मजीद जूनियर हथियार लेकर पाक सैनिकों से भिड़ पड़ा, उसे पता था कि उसकी मौत तय है, लेकिन अपने साथियों को पाकिस्तानी सैनिकों के चंगुल से निकलने का समय देने के लिए उसने लड़ाई जारी रखी. आखिरकार मजीद जूनियर भी मारा गया.
यह भी पढ़ें: वारदात: 30 जवानों की हत्या... 100 से ज्यादा यात्री अभी भी कैद, पाकिस्तान में कैसे ट्रेन हुई हाइजैक?
मजीद जूनियर की मौत बलोच मूवमेंट की बड़ी घटना थी, जब बलोचियों को पता चला कि मजीद सीनियर-जूनियर भाई थे तो वे गम-गुस्से से उबल पड़े. मजीद भाइयों को बलोच लोक कहानियों में एक अलग दर्जा हासिल हुआ.
2011 में तत्कलीन बलोच नेता असलम बलोच ने बलोच मूवमेंट को आक्रामक और धार देने के लिए एक फिदायीन यानी आत्मघाती दस्ता बनाने के लिए सोचा तो उनके सामने इस दस्ते के लिए जो नाम आया वो था मजीद. फिर वजूद में आया मजीद फिदायीन ब्रिगेड. इसे बाद से ये यूनिट बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) की शाखा के रूप में काम करता है.
जैसा कि नाम से ही पता चलता है मजीद फिदायीन ब्रिगेड का सदस्य बनने का मतलब ही है मौत को आलिंगन. ये दस्ता पाकिस्तान के सैन्य और बिजनेस प्रतिष्ठानों पर आत्मघाती हमले करता है.
मजीद फिदायीन ब्रिगेड बलूचिस्तान के संसाधनों, खासकर प्राकृतिक गैस और खनिजों के कथित शोषण के खिलाफ लड़ता है. इनका मानना है कि पाकिस्तानी सरकार और विशेष रूप से पंजाबी अभिजात वर्ग बलूचिस्तान के संसाधनों का लाभ उठा रहे हैं, जबकि स्थानीय बलूच आबादी को इसका फायदा नहीं मिल रहा.
मजीद फिदायीन ब्रिगेड ने वजूद में आने के साथ ही ताबड़तोड़ हमले कर इस्लामाबाद की नींद हराम कर दी.
मजीद फिदायीन ब्रिगेड ने पहला हमला 2011 में किया और पूर्व मंत्री नसीर मंगल की जान ले ली. ये हमला उन्होंने IED से की थी. इसमें 13 लोग मारे गए और कई जख्मी हुए. इसी ब्रिगेड ने कराची में चीनी दूतावास पर नवंबर 2018 में हमला किया था. मई 2019 में मजीद फियादीन ब्रिगेड ने ग्वादर में स्थित पर्ल कॉन्टिनेंटल (पीसी) होटल पर हमला किया गया, जो चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे का केंद्र है. इस हमले में पांच लोग मारे गए, जबकि तीन हमलावर भी मारे गए. इसके बाद मजीद ब्रिगेड ने कराची यूनिवर्सिटी में स्थित कन्फ्यूशियस इंस्टिट्यूट पर आत्मघाती हमला किया.
विदेशों से फंडिंग और आधुनिक हथियार
अमेरिकी थिंक टैंक द जेम्सटाउन फाउंडेशन लिखता है कि मजीद ब्रिगेड की फंडिंग विदेशों से होती है. विदेशों में रह रहे प्रवासी बलोच इस आंदोलन को मुख्य रूप से पैसा देते हैं. इसके लिए हवाला चैनल का इस्तेमाल किया जाता है.
मजीद फिदायीन ब्रिगेड अच्छी तरह से सुसज्जित है और उसके पास कई उच्च श्रेणी के हथियार हैं जिनका इस्तेमाल ऑपरेशन के दौरान किया गया है.
इन हथियारों में इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED), एंटी-पर्सनल और एंटी-टैंक माइंस, ग्रेनेड, RPG और कई तरह के ऑटोमेटिक हथियार और साथ ही BM-12, 107MM, 109MM टाइप के रॉकेट शामिल हैं.
मजीद फिदायीन ब्रिगेड के आतंकवादियों के पास आत्मघाती जैकेट बनाने के लिए C4 जैसे अत्याधुनिक विस्फोटक भी हैं और वे M4 राइफलों से भी लैस हैं.
फतह स्क्वैड
बलोच विद्रोहियों द्वारा पाकिस्तान में ट्रेन हाईजैकिंग की घटना में बलूचिस्तान लिब्रेशन आर्मी का फतह ब्रिगेड और जीरब यूनिट भी शामिल है,
फतह दस्ता मुख्य रूप से बलूचिस्तान के पहाड़ी क्षेत्र में काम करता है. गौरतलब है कि जहां अभी ट्रेन की हाईजैकिंग हुई है वो पहाड़ी जगह ही है. फतह स्क्वैड गुरिल्ला वॉरफेयर में माहिर है. ये दस्ता सैन्य काफिलों और शिविरों पर घात लगाकर हमला करते हैं.
2024 में ऑपरेशन हेरोफ़ में, फतह दस्ते ने अन्य BLA गुटों के साथ मिलकर बलूचिस्तान की मुख्य सड़कों पर 14 नाकेबंदी की और 62 पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया.
जीरब यूनिट्स और स्पेशल टैक्टिकल ऑपरेशंस स्क्वैड
BLA प्रोफेशनल आर्मी की तरह काम करती है. जीरब (Zephyr Intelligence Research & Analysis Bureau-ZIRAB) यूनिट्स का काम खुफिया जानकारी जुटाना है और उसपर अमल कर पाकिस्तान में हमले को अंजाम देना है. इसकी गतिविधियों की विशेषता हाई वैल्यू वाले टारगेट को अटैक करना और पाकिस्तानी सैन्य योजनाओं को पटरी से उतारना है.
BLA का दावा है कि बलूचिस्तान के शहरों में कथित तौर पर ZIRAB की गुप्त शाखाएं स्थापित की गई हैं. BLA ने दावा किया है कि इसके सदस्यों ने सफलतापूर्वक “दुश्मन के ठिकानों में घुसपैठ की है”. और वे कहीं भी हमले को अंजाम दे सकते हैं.