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यूनिवर्सिटी के ग्रुप का सदस्‍य बनने के लिए नंगे बदन होती है पिटाई, पहननी पड़ती हैं नैपीज

आपने कॉलेज में होने वाली रैगिंग के बारे में खूब सुना होगा, लेकिन क्‍या आपने कभी सुना है कि यूनिवर्सिटी के किसी ग्रुप में शामिल होने के लिए कितनी यातनाओं और थर्ड डिग्री से होकर गुजरना पड़ता है.

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आपने कॉलेज में होने वाली रैगिंग के बारे में खूब सुना होगा, लेकिन क्‍या आपने कभी सुना है कि यूनिवर्सिटी के किसी ग्रुप में शामिल होने के लिए कितनी यातनाओं और थर्ड डिग्री से होकर गुजरना पड़ता है. जी हां, अमेरिका की एक यूनिवर्सिटी की कुख्‍यात फ्रटर्निटी के एक पूर्व सदस्‍य ने खुलासा किया है कि किस तरह फ्रटर्निटी का सदस्‍य बनने के लिए उसे मारा-पीटा गया और बर्फ से भरी बाल्‍टी में नंगे बदन खड़ा रखा गया. लेकिन यातना और दर्द की इंतेहां यहीं पर खत्‍म नहीं होती.

उस वक्‍त जस्टिन स्‍टुअर्ट 19 साल के थे और अमेरिका के मैरीलैंड की सेलिसबरी यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहे थे. तब स्‍टुअर्ट 'सिग्‍मा एल्‍फा इप्‍सीलॉन' नाम की फ्रटर्निटी की ब्रांच के नए-नए सदस्‍य बने थे. दूसरे सदस्‍यों के साथ ही स्‍टुअर्ट को फ्रटर्निटी में शामिल होने के लिए ग्रुप की खतरनाक रस्‍मों को निभाना के लिए कड़ी यातनाओं से होकर गुजरना पड़ा. आपको बता दें कि 'सिग्‍मा एल्‍फा इप्‍सीलॉन फ्रटर्निटी' का गठन अमेरिका की अलाबामा यूनिवर्सिटी में 9 मार्च 1956 को हुआ था. यह फ्रटर्निटी शराब, ड्रग्‍स, प्रताड़ना और कड़े टास्‍क से होने वाली मौतों के लिए कुख्‍यात है.

स्‍टुअर्ट बताते हैं कि उन्‍हें बर्फ से भरी बाल्‍टी में नंगे बदन खड़े रहकर फ्रटर्निटी के सिद्धांतों को पढ़ने के लिए मजबूर किया जाता था. इस दौरान उन्‍हें सिर्फ अंडरवियर पहनना होता था और फ्रटर्निटी के बाकी सदस्‍य उन पर पानी की बाल्टियां उड़ेलते थे. उन्‍होंने यह भी बताया कि साल 2012 में उन्‍हें आठ हफ्तों तक डंडों से पीटा गया. यही नहीं उन्‍हें तब तक पानी पीने के लिए कहा जाता था जब तक कि वे बेहोश ना हो जाएं. यही नहीं उन्‍हें नैपीज और महिलाओं के कपड़े पहनने पड़ते थे.

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उन्‍होंने बताया कि एक बार तो फ्रटर्निटी के नए सदस्‍यों को बेसमेंट में नौ घंटे तक बंद कर दिया गया और इस दौरान उन्‍हें ना तो खाना दिया गया और ना ही पानी. उन्‍हें टॉयलेट जाने की भी इजाजत नहीं थी. स्‍टुअर्ट का कहना है कि फ्रटर्निटी के सदस्‍यों के साथ ग्‍वाटानामो बे के बंदियों की तरह बर्ताव किया जाता था. आपको बता दें कि 2012 की इस रिपोर्ट को अब जाकर सार्वजनिक किया गया है.

विदेशी अखबार 'द इंडीपेंडेंट' के मुताबिक स्‍टुअर्ट अब किसी दूसरी यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहे हैं और उनका कहना है कि बीता कल उन्‍हें आज भी परेशान करता है. वे कहते हैं, 'मुझे कभी-कभी बेसमेंट में हुए अत्‍याचारों के सपने आते हैं. मुझे चीखने-चिल्‍लाने की आवाजें सुनाई देती हैं. ऐसा लगता है कि मानो वो अभी मुझ पर हमला कर देंगे. फिर मेरी आंख खुल जाती है और मैं अपने बुरे सपने से बाहर आ जाता हूं'.

स्‍टुअर्ट ने यूनिवर्सिटी के अधिकारियों से उनके साथ हुए अत्‍याचार की शिकायत की थी, जिसके बाद सिग्‍मा एल्‍फा इप्‍सीलॉन फ्रटर्निटी को इस साल फरवरी तक बैन कर दिया गया. इस बैन से फ्रटर्निटी के कुछ सदस्‍य तो इतने नाराज हो गए कि उन्‍होंने यूनिवर्सिटीको डोनेशन देना बंद कर दिया.

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आपको बता दें कि अमेरिका के लगभग हर एक राज्‍य में इस फ्रटर्निटी की शाखाएं हैं. और अब तक इसके खिलाफ 100 से भी ज्‍यादा बार अनुशासनात्‍मक कार्रवाई की जा चुकी है. 2009 से लेकर अब तक इसकी 15 शाखाएं निरस्‍त हो गईं हैं.

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