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सूडान के राष्ट्रपति भवन पर सेना का कब्जा, क्या अब रुक जाएगा युद्ध? देखें Video

दो सालों पहले सूडान की सेना से प्रतिद्वंद्वी अर्धसैनिकों बलों ने राष्ट्रपति भवन कब्जा लिया था. लेकिन शुक्रवार को सेना ने दोबारा महल को अपने कब्जे में ले लिया है. हालांकि, युद्ध के बीच सूडान का राष्ट्रपति भवन खंडहर में तब्दील हो चुका है.

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सूडान की सेना ने देश के राष्ट्रपति भवन पर दोबारा कब्जा कर लिया है (Photo- Reuters)
सूडान की सेना ने देश के राष्ट्रपति भवन पर दोबारा कब्जा कर लिया है (Photo- Reuters)

सूडान की सेना ने शुक्रवार को कहा कि उसने लगभग दो सालों की लड़ाई के बाद खार्तूम स्थित राष्ट्रपति भवन 'रिपब्लिकन पैलेस' पर दोबारा कब्जा कर लिया है. इस भवन पर पहले सेना के प्रतिद्वंद्वी अर्धसैनिक बलों ने कब्जा किया था जिसे भारी सुरक्षा निगरानी में रखा गया था.

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सोशल मीडिया पर जारी किए गए वीडियो में सूडानी सैनिकों को राष्ट्रपति भवन पर अपना कब्जा कर लिया. सूडानी सेना के एक अधिकारी ने वीडियो में घोषणा की कि इस्लाम के पवित्र महीने रमजान के 21वें दिन राष्ट्रपति भवन पर उनका अधिकार दोबारा स्थापित हुआ. उन्होंने बताया कि सैनिक राष्ट्रपति भवन के अंदर मौजूद है.

राष्ट्रपति भवन की बात करें तो आंशिक रूप से यह खंडहर में बदल चुका था. सैनिक टूटे हुए टाइलों पर चढ़कर भवन के अंदर जाते दिख रहे थे. सैनिक असॉल्ट राइफलें और रॉकेट-प्रोपेल्ड ग्रेनेड लांचर लिए नारे लगा रहे थे, 'अल्लाह महान हैं.'

सूडान के सूचना मंत्री खालिद अल-ऐसर ने सोशल प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि सेना ने महल पर फिर से कब्जा कर लिया है.

उन्होंने लिखा, 'आज झंडा फहराया गया है, महल वापस आ गया है और जीत पूरी होने तक यात्रा जारी रहेगी.'

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राष्ट्रपति भवन पर कब्जा सूडान की सेना के लिए बड़ी उपलब्धि

रिपब्लिकन पैलेस पर कब्जा सूडान की सेना के लिए युद्ध के मैदान में एक और उपलब्धि है. सेना प्रमुख जनरल अब्देल-फतह बुरहान के नेतृत्व में हाल के महीनों में सूडान की सेना ने भवन पर कब्जे के लिए बड़ी कोशिशें की थीं. नील नदी के किनारे स्थित यह भवन युद्ध शुरू होने से पहले सरकारी कामकाज के लिए इस्तेमाल होता था. भवन को सूडानी बैंकनोट्स और डाक टिकटों पर भी छापा गया है.

सूडान का युद्ध  अप्रैल 2023 में सेना और देश के अर्धसैनिक बल रैपिड सपोर्ट फोर्सेज (RSF) के बीच शुरू हुआ था. RSF का नेतृत्व जनरल मोहम्मद हमदान कर रहे हैं. राष्ट्रपति भवन पर सेना के कब्जे का मतलब है कि RSF का राजधानी के अधिकांश हिस्सों से नियंत्रण समाप्त हो गया है. शुक्रवार को पूरी राजधानी में छिटपुट गोलीबारी की आवाजें सुनाई दीं , हालांकि यह साफ नहीं हो पाया कि गोलीबारी लड़ाई का हिस्सा थी या जश्न मनाते हुए सेना गोलियां चला रही थी.

RSF ने राष्ट्रपति भवन से नियंत्रण हटने की बात स्वीकार नहीं की है और सूडान की लड़ाई अब भी जारी रहने वाली है क्योंकि RSF और उसके सहयोगी अभी भी सूडान के कई इलाकों पर अपना कब्जा जमाए हुए हैं.

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गुरुवार देर रात, आरएसएफ ने दावा किया कि उसने सूडानी शहर अल-मलीहा पर कब्जा कर लिया है. अल-मलीहा चाड और लीबिया की सीमाओं के पास उत्तरी दारफुर में एक रणनीतिक रेगिस्तानी शहर है. सूडान की सेना ने अल-मलीहा के आसपास लड़ाई की बात स्वीकार की है, लेकिन यह नहीं कहा है कि शहर उसके हाथ से निकल गया है. 

संयुक्त राष्ट्र बाल एजेंसी के प्रमुख ने कहा है कि सूडान के संघर्ष ने दुनिया का सबसे बड़ा और मानवीय संकट पैदा कर दिया है.

सूडान युद्ध में 28,000 से ज्यादा लोग मारे गए हैं, लाखों लोगों को अपने घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा है. सूडान भारी अकाल से भी जूझ रहा है जिस कारण कई परिवारों को जिंदा रहने के लिए घास खाने को मजबूर होना पड़ा है. 

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