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अफ्रीकी देश सूडान दो जनरलों की जिद और उनकी लड़ाई की वजह से सिविल वॉर की आग में जल रहा है. संकटग्रस्त सूडान में भारत समेत कई देशों के नागरिक फंसे हुए हैं. भारत के 'ऑपरेशन कावेरी' की तर्ज पर कई देश अपने नागरिकों को सूडान से बाहर निकालने में जुटे हैं.
भारतीय वायुसेना का C-130J विमान मंगलवार को 148 नागरिकों के साथ जेद्दा पहुंचा था. वहीं, 121 भारतीयों के दूसरे जत्थे के साथ भारत का विमान बुधवार तड़के पोर्ट सूडान से बाहर निकाला. इसके बाद भारतीय वायुसेना ने 135 भारतीयों के तीसरे जत्थे को भी सूडान से सुरक्षित बाहर निकाला गया. इन भारतीयों को अब जेद्दा से सीधे भारत लाया जाएगा. विदेश राज्यमंत्री वी मुरलीधरन बचाव प्रक्रिया का जायजा लेने के लिए जेद्दा पहुंच सकते हैं.
भारत ने सूडान में फंसे अपने तकरीबन 3000 नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए मंगलवार को 'ऑपरेशन कावेरी' शुरू किया था. इस ऑपरेशन के तहत भारत 360 भारतीयों को वापस स्वदेश ला रहा है. इन्हें मंगलवार को 'आईएनएस सुमेधा' से पोर्ट सूडान और फिर वहां से सऊदी अरब के जेद्दा लाया गया था. ये भारतीय नागरिक अब वहां से सीधे नई दिल्ली पहुंचेंगे.
इससे पहले भारत अपने नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए अपने सहयोगी देशों पर निर्भर था. सऊदी अरब ने सूडान से तीन और फ्रांस ने पांच भारतीयों को बाहर निकाला था. लेकिन अब भारत ने पोर्ट सूडान पर अपने विमान और पोत तैनात कर दिए हैं. पोर्ट सूडान दरअसल राजधानी खार्तूम से लगभग 850 किलोमीटर की दूरी पर है.
यह भी कहा जा रहा है कि इस ऑपरेशन का नाम कावेरी नदी पर रखा गया है, जो कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच बहती है. ऐसा कहा जा रहा है कि सूडान में फंसे अधिकतर लोग दक्षिण भारत से ही हैं. हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब किसी ऑपरेशन रेस्क्यू का नाम किसी नदी पर रखा गया है. पिछले साल यूक्रेन पर रूस के हमले के मद्देनजर भारत ने ऑपरेशन गंगा शुरू किया था. इसके तहत युद्धग्रस्त यूक्रेन में फंसे भारतीयों को वपास लाया गया था.
अमेरिका का रेस्क्यू ऑपरेशन
अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने बीते सोमवार को कहा कि बीते 48 घंटों तक चली बातचीत के बाद सूडान आर्म्ड फोर्सेज (एसएएफ) और रैपिड सपोर्ट फोर्सेज (आरएसएफ) के बीच 24 अप्रैल की आधीरात से अगले 72 घंटों तक देशव्यापी संघर्षविराम की सहमति बनी.
लेकिन 72 घंटों के संघर्षविराम के बाद अमेरिका के चिनूक हेलीकॉप्टर्स के जरिए राजनयिकों और उनके परिवारों को सूडान से बाहर निकाला गया. अमेरिकी वायुसेना के सी-130टी विमान ने भी जिबूती सैन्यअड्डे से उड़ान भरी. इससे पहले अमेरिकी सरकार ने बताया कि सूडान में उनके 16000 नागरिक फंसे हुए हैं.
सूडान में फंसे चीन के भी नागरिक
सूडान में चीन के 1000 से अधिक नागरिक फंसे हुए हैं. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने मंगलवार को कहा कि कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) की केंद्रीय समिति सूडान में फंसे चीन के नागरिकों की सुरक्षा को लेकर चिंतित है. मिस्र, इथियोपिया और एरीट्रिया में चीन के दूतावास इस स्थिति पर नजर रखे हुए हैं. पोर्ट सूडान पर चीन की नौसेना के पोत द वेशांशु को देखा जा सकता है.
ब्रिटेन भी नागरिकों को लाने में जुटा
सूडान में ब्रिटेन के नागरिकों की मदद को ब्रिटिश सरकार बड़ी मुस्तैदी से रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही है. सूडान से 40 ब्रिटिश नागरिकों को लेकर रॉयल एयरफोर्स सी-130जे विमान साइप्रस के हवाईअड्डे पहुंच गया. प्रधानमंत्री ऋषि सुनक का कहना है कि अगले 24 घंटे ब्रिटेन के रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए बहुत चुनौतीपूर्ण है. ब्रिटेन के 230 से 240 लोगों को भी जल्द सूडान से सुरक्षित बाहर निकाला जाएगा. सूडान में फिलहाल ब्रिटेन के 2000 नागरिक हैं, जिनके नाम दूतावास के रिकॉर्ड में हैं.
सूडान में फ्रांस का रेस्क्यू ऑपरेशन
फ्रांस के ज्वॉइंट डिफेंस ने खार्तूम में फंसे फ्रांस के नागरिकों के रेस्क्यू की तस्वीरें और वीडियो जारी किए हैं. इन तस्वीरों में देखा जा सकता है कि लोग ट्रांसपोर्ट विमान में अपने बच्चों और पालतू जानवरों के साथ सवार हैं. लगभग 100 लोग खार्तूम से जिबूती पहुंचे और वहां से फ्रांस के लिए रवाना हुए. फ्रांस के एक दूसरे रेस्क्यू ऑपरेशन में 150 सैन्य अधिकारी मदद कर रहे हैं.
इटली एयरफोर्स सूडान में एक्टिव
सूडान में इटली के नागरिक भी फंसे हुए हैं. इटली एयरफोर्स सी-130 ट्रांसपोर्ट विमान ने रविवार शाम को खार्तूम हवाईअड्डे से लगभग 200 लोगों को बाहर निकाला. इन्हें जिबूती ले जाया गया. इटली के विदेश मंत्री एंटोनियो तजानी का कहना है कि इनमें 140 इटली के नागरिक, कुछ स्विट्जरलैंड के हैं.
स्पेन और जॉर्डन के नागरिक भी सूडान में फंसे
सूडान में फंसे स्पेन के 172 नागरिकों को एयरबस ए-400एम विमान से जिबूती लाया गया. इनमें स्पेन के नागरिकों के अलावा अर्जेंटीना, कोलंबिया, आयरलैंड, इटली, मेक्सिको, पुर्तगाल और पोलैंड के भी नागरिक थे. स्पेन एयरफोर्स ए330 एमआरटीटी का इस्तेमाल भी इस रेस्क्यू ऑपरेशन में कर रहा है. संकटग्रस्त सूडान में फंसे जॉर्डन के 343 नागरिकों को विशेष रेस्क्यू ऑपरेशन के तहत बाहर निकाला जा रहा है.
क्या है ऑपरेशन कावेरी?
- संकटग्रस्त देशों में फंसे अपने नागरिकों को निकालने के लिए भारत ऐसे ऑपरेशन शुरू करता है. जब अफगानिस्तान में तालिबान ने कब्जा किया था, तो वहां से अपनों को निकालने के लिए भारत ने 'ऑपरेशन देवी शक्ति' लॉन्च किया था.
- इसी तरह जब पिछली साल रूस ने यूक्रेन के खिलाफ जंग शुरू कर दी थी, तो वहां फंसे भारतीयों को निकालने के लिए भारत ने 'ऑपरेशन गंगा' शुरू किया था.
- अब जब सूडान में हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं तो वहां रह रहे भारतीयों को सुरक्षित निकालने के लिए केंद्र सरकार ने 'ऑपरेशन कावेरी' शुरू किया है.
सूडान में कैसे बिगड़ रहे हालात?
- सूडान में कुछ दिन पहले सेना और पैरामिलिट्री रैपिड सपोर्ट फोर्स (RSF) के बीच जंग शुरू हो गई थी. ये संघर्ष सेना के कमांडर जनरल अब्देल-फतह बुरहान और पैरामिलिट्री फोर्स के प्रमुख जनरल मोहम्मद हमदान डगालो के बीच हो रहा है. जनरल बुरहान और जनरल डगालो, दोनों पहले साथ ही थे.
- मौजूदा संघर्ष की जड़ें अप्रैल 2019 से जुड़ी हैं. उस समय सूडान के तत्कालीन राष्ट्रपति उमर अल-बशीर के खिलाफ जनता ने विद्रोह कर दिया था. बाद में सेना ने अल-बशीर की सत्ता को उखाड़ फेंक दिया था.
- बशीर को सत्ता से बेदखल करने के बावजूद विद्रोह थमा नहीं. बाद में सेना और प्रदर्शनकारियों के बीच एक समझौता हुआ. समझौते के तहत एक सोवरेनिटी काउंसिल बनी और तय हुआ कि 2023 के आखिर तक चुनाव करवाए जाएंगे. उसी साल अबदल्ला हमडोक को प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया.
- लेकिन इससे भी बात नहीं बनी. अक्टूबर 2021 में सेना ने तख्तापलट कर दिया. जनरल बुरहान काउंसिल के अध्यक्ष तो जनरल डगालो उपाध्यक्ष बन गए.
किस बात को लेकर हो रही है जंग?
- जनरल बुरहान और जनरल डगालो कभी साथ ही थे, लेकिन अब दोनों एक-दूसरे के खिलाफ हो गए हैं. इसकी वजह दोनों के बीच मनमुटाव होना है.
- न्यूज एजेंसी के मुताबिक, दोनों के बीच सूडान में चुनाव कराने को लेकर एकराय नहीं बन सकी. इसके अलावा ये भी कहा जा रहा है कि सेना ने प्रस्ताव रखा था जिसके तहत आरएसएफ के 10 हजार जवानों को सेना में ही शामिल करने की बात थी.
- लेकिन फिर सवाल उठा कि सेना में पैरामिलिट्री फोर्स को मिलाने के बाद जो नई फोर्स बनेगी, उसका प्रमुख कौन बनेगा.
- बताया जा रहा है कि बीते कुछ हफ्तों से देशभर के अलग-अलग हिस्सों में पैरामिलिट्री फोर्स की तैनाती बढ़ गई थी, जिसे सेना ने उकसावे और खतरे के तौर पर देखा.