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मिस्र की स्वेज नहर में जो बड़ा सा जहाज 6 दिन तक फंसा था, उसे अब कब्जे में लेने की तैयारी की जा रही है. इस जहाज का नाम "एमवी एवर गिवेन" था, जो चीन से नीदरलैंड्स के पोर्ट रोटेरडम जा रहा था. तभी रास्ते में तेज हवा की वजह से इस जहाज की दिशा बदल गई और ये फंस गया था. जहाज के फंसने से हुए नुकसान की भरपाई के लिए अब इसे कब्जे में लेने की तैयारी हो रही है. इस खबर की पुष्टि बर्नहार्ड श्यूल्ट शिपमैनेजमेंट (बीएसएम) के प्रवक्ता ने की है. बीएसएम एमवी एवर गिवेन जहाज की टेक्निकल मैनेजर है. बीएसएम के प्रवक्ता ने 'इंडिया टुडे' को बताया कि "जहाज के मालिक ने बीएसएम को जानकारी दी है कि स्वेज कैनल अथॉरिटी (SCA) ने जहाज को कब्जे में लेने की प्रोसेस शुरू कर दी है."
इससे पहले लीबिया की एक शिपिंग एजेंसी ने भी ट्वीट किया था कि जहाज और उसकी क्रू को मिस्र ने कब्जे में ले लिया है. हालांकि, इस खबर की पुष्टि अभी तक नहीं हुई है. लीबिया की शिपिंग एजेंसी मेडवेव ने ट्वीट कर दावा किया था. उसने ट्वीट में लिखा था, "एमवी एवर गिवेन जहाज को मिस्र ने कोर्ट के आदेश के बाद कब्जे में ले लिया है. कोर्ट ने जहाज के मालिक से 900 मिलियन डॉलर का भुगतान करने को कहा है."
वहीं, बीएसएम के सीईओ इयान बेवरीज ने स्वेज कैनल अथॉरिटी की तरफ से जहाज को कब्जे में लेने की प्रोसेस शुरू करने पर नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने कहा, "स्वेज कैनल अथॉरिटी का ये फैसला बेहद ही निराशाजनक है. शुरू से ही, बीएसएम और क्रू मेंबर जांच में सहयोग कर रहे हैं. हमने सारा डेटा भी उन्हें दिया है." उन्होंने कहा कि "हम बस चाहते हैं कि इस मामले को जल्द से जल्द सुलझा लिया जाए, ताकि जहाज और क्रू मेंबर स्वेज नहर से निकल सकें."
फिलहाल एमवी एवर गिवेन जहाज मिस्र की ग्रेट बिटर लेक में है. ये तब तक वहां रहेगा जब तक स्वेज कैनल अथॉरिटी और जहाज के मालिक के बीच सुलह नहीं हो जाती. बीएसएम के प्रवक्ता ने बताया कि जहाज में मौजूद सभी क्रू मेंबर पूरी तरह से स्वस्थ हैं और सभी अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं. बीएसएम भी लगातार क्रू और उनके परिवार से संपर्क में है. क्रू मेंबर में 25 भारतीय भी शामिल हैं.
बीएसएम के प्रवक्ता ने 'इंडिया टुडे' को ये भी बताया कि अमेरिकन ब्यूरो ऑफ शिपिंग (ABS) ने जहाज का इन्स्पेक्शन किया था और इसे पूरी तरह फिट बताया था. उन्होंने कहा कि जांच के बाद जहाज को रोटेरडम जाने के लिए फिट माना गया था. बीएसएम ने बताया कि शुरुआती जांच में जहाज में कार्गो डैमेज या इंजन फेल्योर की रिपोर्ट नहीं मिली है.
23 मार्च को स्वेज नहर में फंस गया था जहाज
एमवी एवर गिवेन जहाज जब चीन से नीदरलैंड के पोर्ट रोटेरडम जा रहा था, तभी रास्ते में स्वेज नहर में अटक गया. इससे नहर का रास्ता ब्लॉक हो गया. मिस्त्र के अधिकारियों ने न्यूज एजेंसी एपी को बताया था कि तेज हवा की वजह से जहाज घूम गया और फंस गया. क्योंकि जिस दिन ये जहाज नहर में फंसा था, उस दिन यहां 50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चल रही थी.
कारोबार के लिहाज से स्वेज नहर बहुत मायने रखती है. इस नहर को कारोबार के लिए 1869 में खोला गया था. ये नहर एशिया को यूरोप से और यूरोप को एशिया से जोड़ती है. दुनियाभर में तेल का जितना कारोबार होता है, उसका 7% इसी नहर के जरिए किया जाता है. वहीं वैश्विक कारोबार का 10% कारोबार भी स्वेज नहर से ही होता है. पिछले साल स्वेज नहर से सालभर में 19 हजार से ज्यादा जहाज गुजरे थे. 193 किलोमीटर से भी ज्यादा लंबी स्वेज नहर भूमध्य सागर को लाल सागर से जोड़ती है. अधिकारियों के मुताबिक, स्वेज नहर से हर दिन 50 के आसपास जहाज गुजरते हैं. एक अनुमान के मुताबिक, इस जहाज के फंसने से हर दिन 9 अरब डॉलर का नुकसान हो रहा था.
वहीं, एमवी एवर गिवेन जहाज की बात करें तो इसकी गिनती दुनिया के सबसे बड़े मालवाहक जहाज में होती है. ये जहाज पनामा का है. इसे 2018 में बनाया गया था. इस जहाज की लंबाई 400 मीटर यानी 1,312 फीट और चौड़ाई 59 मीटर यानी 193 फीट है. इस लिहाज से ये दुनिया की सबसे बड़ी कार्गो शिप है. इस जहाज से एक बार में 20 हजार से ज्यादा कंटेनर ले जाए सकते हैं.