भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स (Sunita Williams) आज तीसरी बार अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरने के लिए तैयार थी लेकिन बोइंग स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट में तकनीकी दिक्कतों की वजह से उड़ान से कुछ देर पहले ही इसे टाल दिया गया.
नासा ने बताया कि रॉकेट के वॉल्व में दिक्कत की वजह से इस लॉन्चिंग को रोकना पड़ा. अंतरिक्षयान की दोबारा लॉन्चिंग को लेकर अभी कोई फैसला नहीं किया गया है.
सुनीता विलियम्स बोइंग स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट से उड़ान भरने वाली थीं. उनके साथ बुच विल्मोर (Butch Wilmore) नाम के एक और अंतरिक्ष यात्री इस मिशन पर जाने वाले थे. अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के मुताबिक, ये स्पेसक्राफ्ट भारतीय समयानुसार सुबह 8 बजकर 4 मिनट पर लॉन्च होने वाला था. इसे कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च किया जाना था.
बोइंग स्टारलाइनर के जरिए पहली बार अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस ले जाना तय हुआ था. इससे पहले 2019 में Boe-OFT और 2022 में Boe-OFT2 लॉन्च किया गया था.
सुनीता विलियम्स इससे पहले दो बार अंतरिक्ष जा चुकी हैं
सुनीता विलियम्स इससे पहले अब तक दो बार अंतरिक्ष की यात्रा कर चुकी हैं. इससे पहले वो 2006 और 2012 में अंतरिक्ष जा चुकी हैं. नासा के मुताबिक, उन्होंने अंतरिक्ष में कुल 322 दिन बिताए हैं. 2006 में सुनीता ने अंतरिक्ष में 195 दिन और 2012 में 127 दिन बिताए थे.
2012 के मिशन की खास बात ये थी कि सुनीता ने तीन बार स्पेस वॉक की थी. स्पेस वॉक के दौरान अंतरिक्ष यात्री स्पेस स्टेशन से बाहर आते हैं. हालांकि, पहली यात्रा के दौरान उन्होंने चार बार स्पेस वॉक की थी. सुनीता विलियम्स अंतरिक्ष की यात्रा करने वाली भारतीय मूल की दूसरी महिला हैं. उनसे पहले कल्पना चावला अंतरिक्ष जा चुकी थीं.
कौन हैं सुनीता विलियम्स?
1987 में यूएस नेवल एकेडमी से ग्रैजुएट होने के बाद सुनीता विलियम्स नासा पहुंचीं. 1998 में नासा में उन्हें एस्ट्रोनॉट चुना गया था. उनके पिता दीपक पांड्या 1958 में अहमदाबाद से अमेरिका जाकर बस गए थे. 1965 में सुनीता का जन्म हुआ था. अमेरिकी नेवल एकेडमी से ग्रैजुएट सुनीता विलियम्स लड़ाकू विमान भी उड़ा चुकी हैं. उनके पास 30 तरह के लड़ाकू विमानों पर तीन हजार से ज्यादा घंटों की उड़ान भरने का अनुभव है.
उन्होंने एक बार अपनी अंतरिक्ष यात्रा का अनुभव भी साझा किया था. उन्होंने बताया था कि अंतरिक्ष में पानी टिका नहीं रहता. बुलबुलों की तरह इधर-उधर उड़ता है. हाथ-मुंह धोने के लिए तैरते बुलबुलों को पकड़कर कपड़ा गीला करते थे. वहां खाना भी अजीब तरीके से खाना पड़ता था. सभी अंतरिक्ष यात्री खाने वाले कमरे में जाते और उड़ते हुए पैकेटों को पकड़ते थे. अंतरिक्ष में कंघी करने की जरूरत भी नहीं पड़ती थी, क्योंकि वहां हमेशा बाल खड़े रहते हैं.