नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष सुशील कोइराला को सोमवार को नेपाल का नया प्रधानमंत्री चुन लिया गया. नेपाली संविधानसभा में 575 मतों में से दो तिहाई मत हासिल कर कोइराला नेपाल के 37वें प्रधानमंत्री बने. संविधानसभा के अध्यक्ष सूर्य बहादुर थापा ने कोइराला को 405 मत प्राप्त होने की घोषणा की.
एकीकृत नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) और कुछ सीमांत पार्टियों के 148 संसद सदस्यों ने कोइराला के विरोध में मतदान किया. हालांकि एकीकृत नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) सहित कई राजनीतिक दलों के समर्थन से खड़े 74 वर्षीय कोइराला नेपाली प्रधानमंत्री पद के एकमात्र प्रत्याशी थे.
कोइराला नेपाल के मुख्य न्यायाधीश खिल राज रेग्मी की अध्यक्षता वाली अंतरिम सरकार की जगह नेपाल की सत्ता संभालेंगे.
नेपाल की संविधानसभा का प्रतिनिधित्व करने वाले 30 राजनीतिक दलों में 16 दलों ने कोइराला के विरोध में मतदान किया, हालांकि सदस्यों की संख्या के आधार पर उन्होंने बहुमत हासिल कर लिया.
पहली संविधानसभा के खंडित होने के 21 महीने बाद तथा दूसरी संविधानसभा के चुने जाने के तीन महीने बाद नेपाल में चुनी हुई नई सरकार बनी.
नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री ने सदन में अपने पहला संबोधन दिया और एक वर्ष के भीतर संघीय लोकतांत्रिक संविधान लाए जाने का आश्वासन दिया. इसके अलावा उन्होंने समस्त संसाधनों का उपयोग नेपाल के आर्थिक विकास के लिए किए जाने का आश्वासन भी दिया.
मशहूर राजनीतिक घराने और नेपाल के लोकतांत्रिक संघर्ष से जुड़े हैं कोइराला
नेपाल का प्रधानमंत्री बनने वाले वह कोइराला परिवार के चौथे सदस्य हैं. उनसे पहले मातृका प्रसाद कोइराला (1951-52 और 1953-55), बिशेश्वर प्रसाद कोइराला (1959-60) और गिरिजा प्रसाद कोइराला (1991-94, 1998-99, 2001-01 तथा 2007-08) नेपाल के प्रधानमंत्री रह चुके हैं.
सुशील कोइराला अपने राजनीतिक करियर में हालांकि अब तक किसी पद पर नहीं रहे.
नेपाली कांग्रेस के समर्पित सदस्य रहे कोइराला 1974 में विमान अपहरण कांड में संलिप्तता के चलते भारत में तीन वर्ष के लिए जेल की सजा भी काट चुके हैं. इस दौरान उन्हें तिहाड़ सहित अररिया, पूर्णिया और भागलपुर जेलों में रखा गया.
नेपाल के दिवंगत महाराज महेंद्र द्वारा पार्टी विहीन पंचायत प्रणाली लागू करने और लोकतंत्र के लिए लड़ने वाले अनेक नेताओं को जेल में डाल दिए जाने के बाद 1960 में कोइराला नेपाल से कोलकाता चले गए.
कोलकाता में उन्होंने पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री बीधम चंद्र रॉय से मुलाकात कर नेपाल में लोकतंत्र के लिए चल रहे संघर्ष पर नैतिक समर्थन मांगा.
कोइराला ने इस मुद्दे पर जयप्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया, अशोक मेहता और मधु दंडवते सहित भारत के अनेक नेताओं से मुलाकात की और उन्हें नेपाल की राजनीतिक परिस्थिति से अवगत कराया तथा भारतीय राजनीतिक दलों से नैतिक समर्थन की मांग की.
निर्वासन का जीवन बिताते हुए कोइराला ने नेपाली कांग्रेस के आधिकारिक पत्र 'तरुण' का संपादन किया. कोइराला 1979 से नेपाली कांग्रेस की केंद्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे, तथा 1996 में महासचिव और 1998 में उपाध्यक्ष चुने गए.
कोइराला को 2008 में तत्कालीन अध्यक्ष गिरिजा प्रसाद कोइराला द्वारा नेपाली कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया, तथा 2010 में वह पार्टी के अध्यक्ष चुन लिए गए.