विदेश मंत्री सुषमा स्वराज चार दिवसीय चीन यात्रा पर हैं. इस दौरान उन्होंने कहा कि भारतीय एवं चीनी नागरिकों को एक दूसरे की भाषाएं सीखनी चाहिए क्योंकि यह उन्हें संवाद की मुश्किलों से उबारने में मदद करेगी और इसके परिणाम स्वरूप दोनों पड़ोसी देशों के बीच संबंध में और मजबूती आ सकती है.
विदेश मंत्री ने ‘ भारत - चीन मित्रता में हिंदी का योगदान ’ विषय पर आयोजित भारतीय दूतावास के एक कार्यक्रम के दौरान ये बातें कहीं.
विदेश मंत्री सुषमा ने कहा कि अगर दो दोस्त एक साथ बैठते हैं तो वे क्या चाहते हैं ? वे सिर्फ एक दूसरे से अपने दिल की बात करना चाहते हैं , वे जो महसूस करते हैं उसे साझा करना चाहते हैं और इसके लिये हमें भाषा की जरूरत होती है. जब आप बोलें तो मैं चीनी भाषा समझ सकूं और वैसे ही जब मैं आपसे बात करूं तो आपको भी हिंदी समझ आनी चाहिए. ’’
उन्होंने कहा , ‘‘ दो दोस्तों के बीच अगर कोई दुभाषिया बैठता है तो वह शब्दों को तो अनुवाद करने में सक्षम हो सकता है लेकिन जिस भावना से मैंने बात कही , वह उसे पेश नहीं कर सकता. इसलिए यह जरूरी है कि हम भाषा सीखें और उसे समझें भी. ’’
गौरतलब है कि एक दिन पहले ही यह घोषणा की गई थी कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग 27 अप्रैल से 28 अप्रैल को मध्य चीनी शहर वुहान में औपचारिक बैठक करेंगे.
सुषमा ने कहा कि मैं कहना चाहती हूं कि जिस तरह से भारत और चीन के रिश्तों में मजबूती आ रही है, कारोबार बढ़ रहा है, हमलोग अंतरराष्ट्रीय मंच पर एकसाथ काम कर रहे हैं, तो यह बहुत अहम हो जाता है कि आप हिंदी सीखें और हम चीनी भाषा को सीखें. जब भारतीय चीन की यात्रा पर जाएं तो उन्हें कठिनाई नहीं झेलनी पड़े और जब चीनी नागरिक भारत की यात्रा पर आयें तो आपको किसी द्विभाषीय की जरूरत नहीं पड़े. ’’
सुषमा ने बताया कि चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ कल अपनी बैठक के दौरान उन्होंने उन्हें बताया कि किसी विदेश मंत्री के लिये जनता सबसे बड़ी मजबूती होती है और जब दो देशों की जनता एक दूसरे से प्रेम करती हैं तो इससे सिर्फ सरकारों में मजबूती आती है.