श्रीलंका के दौरे पर गईं विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भारतीय मछुआरों का मुद्दा श्रीलंकाई प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के सामने उठाया. इससे पहले विक्रमसिंघे ने कहा था कि जलक्षेत्र सीमा पार करने वाले भारतीय मछुआरों पर गोलीबारी मानवाधिकारों का उल्लंघन नहीं है. भारतीय मछुआरे हमारे जलक्षेत्र में दाखिल होते हैं तभी उन पर ताकत का इस्तेमाल किया जाता है, जो सही भी है.
सुषमा स्वराज ने विक्रमसिंघे को कहा, 'मछुआरे और इटली मरीन दोनों अलग-अलग मुद्दे हैं. मछुआरों का मुद्दा मानवीय है.' दो दिवसीय दौरे पर सुषमा यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आगामी यात्रा के लिए पृष्ठभूमि तैयार करने आई हैं. बीते 25 साल में भारतीय प्रधानमंत्री का यह श्रीलंका का पहला द्विपक्षीय दौरा होगा. लेकिन श्रीलंका प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे ने मोदी के दौरे से पहले भारतीय मछुआरों के खिलाफ बयान देकर माहौल में खटास पैदा कर दी.
एक निजी तमिल न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में विक्रमसिंघे ने कहा था कि जाफना के मछुआरों को मछली पकड़ने की इजाजत मिलनी चाहिए. हम लोग मछली पकड़ने से रोक सकते हैं. यहां भारतीय मछुआरे क्यों आते हैं. मछुआरों के लिए उचित बंदोबस्त की जरूरत है. लेकिन ये बंदोबस्त हमारे उत्तरी मछुआरों की आजीविका की कीमत पर नहीं होगा. कानून का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
मछुआरों को नसीहत देते हुए विक्रमसिंघे ने कहा कि भारतीय मछुआरे हमारे जलक्षेत्र से मछली क्यों पकड़ रहे हैं. उन्हें भारतीय हिस्सों में ही रहना चाहिए. इसके बाद कोई समस्या नहीं होगी. कच्चातिवु श्रीलंका के लिए एक अहम मुद्दा है. कच्चातिवु श्रीलंका का हिस्सा है. इस पर दिल्ली की राय भी हमारी तरह ही है लेकिन मैं जानता हूं कि यह तमिलनाडु की सियासत का भी हिस्सा है.
मानवीय मुद्दा
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरूद्दीन के मुताबिक, भारत और श्रीलंका इस भावनात्मक मुद्दे को मानवीय मुद्दे के
तौर पर ले रहे हैं. यह ऐसा मुद्दा नहीं है जिसका तुरतफुरत समाधान हो सके, लेकिन हम मित्र और नौवहन पड़ोसी के
तौर पर इस पर काम कर रहे हैं.