विदेश मंत्री सुषमा स्वराज अगले हफ्ते 10 और 11 मई को म्यांमार के दो दिन के दौरे पर जाएंगी. यह दौरा 2016 में म्यांमार में लोकतांत्रिक सरकार चुने जाने के बाद भारत और म्यांमार के संबंधों में मजबूती जारी रखने के मद्देनजर किया जा रहा है.
सुषमा स्वराज के इस दौरे की घोषणा विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को की. मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने बताया कि यह दौरा म्यांमार सरकार के साथ जारी उच्चस्तरीय वार्ता का हिस्सा है. उन्होंने यह भी कहा कि इस दौरान स्वराज म्यांमार सरकार के साथ द्विपक्षीय वार्ता, क्षेत्रीय और समान हितों के बहुपक्षीय मुद्दों पर भी चर्चा करेंगी.
पिछले साल सितंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी म्यांमार का दौरा किया था. रवीश कुमार ने कहा,''द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए सितंबर 2017 में प्रधानमंत्री के पिछले दौरे के दौरान लिए गए फैसलों की प्रगति की समीक्षा भी इस दौरे में होने की उम्मीद है.''
दोनों देशों के बीच होंगे कई समझौते
कुमार ने यह भी कहा कि विदेश मंत्री के इस दौरे के दौरान भारत और म्यांमार के बीच द्विपक्षीय संबंधों के विभिन्न पहलुओं को कवर करने वाले कई मुख्य समझौतों पर हस्ताक्षर किए जाने की उम्मीद है.
भारत अपने पड़ोसी देश म्यांमार का मुख्य सहयोगी है. भारत ने यहां बहुत सी बुनियादी परियोजनाएं लागू कर रखी हैं. नई दिल्ली के लिए म्यांमार उसके दक्षिण पूर्वी एशिया में मजबूती की नजर से एक मुख्य सहायक देश है.
इन परियोजनाओं में सिट्टवे बंदरगाह के साथ मिजोरम को जोड़ने वाले कलादान मल्टीमोडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट परियोजना, म्यांमार और थाईलैंड के साथ भारत को जोड़ने वाली त्रिपक्षीय राजमार्ग परियोजना शामिल है.
रोहिंग्या शरणार्थी संकट पर भी होगी चर्चा
सुषमा स्वराज के इस दौरे पर रोहिंग्या शरणार्थी संकट पर भी चर्चा की संभावना है. भारत इस दौरे के दौरान बांग्लादेश से रोहिंग्या शरणार्थियों की वापसी के लिए दी जाने वाली सहायता में भी बढ़ोतरी कर सकता है.
दिसंबर में तत्कालीन विदेश सचिव एस. जयशंकर के दौरे के दौरान भारत और म्यांमार के बीच म्यांमार में दंगा पीड़ितों की सहायता के लिए समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे. जनवरी में म्यांमार और बांग्लादेश के बीच दो साल के भीतर शरणार्थियों को वापस लौटाने को लेकर समझौता हुआ.