बकरीद के मौके पर स्वीडन में जलाए गए कुरान को लेकर शुरू हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. 57 मुस्लिम बहुल देशों के संगठन ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन' की कड़ी प्रतिक्रिया के बाद संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने भी कुरान जलाए जाने की घटना पर एक आपात बैठक बुलाई है. रिपोर्ट के मुताबिक, संयुक्त राष्ट्र ने यह बैठक पाकिस्तान के अनुरोध पर बुलाई है.
मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के एक प्रवक्ता ने कहा कि इस सप्ताह के अंत में धार्मिक घृणा को लेकर बढ़ते मामले पर बहस होने की संभावना है.
पाकिस्तानी वेबसाइट Tribune Express के मुताबिक, UNHRC के प्रवक्ता पास्कल सिम ने कहा, "पाकिस्तान के साथ कुछ अन्य देशों ने यूरोपीय और अन्य देशों में पवित्र कुरान के बार-बार अपमान और धार्मिक घृणित कृत्यों पर चिंता व्यक्त करते हुए इस पर चर्चा की मांग की थी. संयुक्त राष्ट्र इस अनुरोध पर तत्काल सत्र आयोजित करेगा."
जिनेवा में पाकिस्तान के राजूदत खलील हाशमी ने सोमवार को पाकिस्तान और इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) के 19 सदस्य देशों की ओर से UNHRC के अध्यक्ष को पत्र लिखकर तत्काल चर्चा की मांग की थी. हाशमी ने कहा कि स्वीडन में कुरान जलाए जाने की घटना एक भड़काऊ कृत्य है. जिसकी दुनिया भर के देशों ने निंदा की है. इस तरह की निरंतर घटनाएं मानवाधिकार परिषद की ओर से तत्काल कार्रवाई की मांग करती है.
स्वीडन में बकरीद के मौके पर सलवान मोमिका ने स्टॉकहोम सेंट्रल मस्जिद के सामने कुरान जलाकर प्रदर्शन किया था. स्वीडिश पुलिस ने मोमिका को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सुरक्षा के तहत कुरान जलाने की अनुमति दी थी. अधिकारियों से अनुमति मिलने के बाद मोमिका ने 200 लोगों की उपस्थिति में कुरान जलाई थी.
यह पहली बार नहीं है जब स्वीडन में कुरान जलाने की घटना सामने आई है. इससे पहले जनवरी में भी स्टॉकहोम में कुरान जलाने की घटना सामने आई थी. डेनमार्क के एक धुर-दक्षिणपंती नेता ने कुरान को फाड़कर उसमें आग लगा दी थी.
पाकिस्तान मनाएगा 'कुरान की पवित्रता दिवस' (Sanctity of Quran Day)
स्वीडन में कुरान जलाए जाने की घटना के खिलाफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने देश भर में विरोध प्रदर्शन करने की अपील की है. रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान शुक्रवार को कुरान की पवित्रता दिवस मनाएगा और स्टॉकहोम में कुरान जलाए जाने की घटना का विरोध करेगा. शहबाज शरीफ ने सभी राजनीतिक दलों से इस विरोध प्रदर्शन में भाग लेने की अपील की है.
इसके अलावा शहबाज शरीफ ने स्वीडन की घटना पर आगे की कार्य योजना तैयार करने के उद्देश्य से गुरुवार को संसद का एक संयुक्त सत्र बुलाया है. रिपोर्ट के मुताबिक, शहबाज शरीफ ने कहा, "पवित्र कुरान का सम्मान करना हमारी आस्था का हिस्सा है और इसके लिए हम सभी एकजुट हैं. देश की भावनाओं को संसद के माध्यम से पूरी तरह से व्यक्त किया जाना चाहिए."
शहबाज शरीफ ने यह भी कहा कि दिग्भ्रमित लोग (Misguided minds) इस्लामोफोबिया का नेगेटिव ट्रेंड फैलाकर अपना एजेंडा चला रहे हैं. सह-अस्तित्व में विश्वास करने वाले शांतिप्रिय देशों और नेताओं को इस्लामोफोबिया और धार्मिक पूर्वाग्रहों को बढ़ावा देने वाली हिंसक शक्ति को रोकना चाहिए.
कुरान जलाए जाने की घटना पर स्वीडन सरकार ने क्या कहा?
स्टॉकहोम में मस्जिद के सामने कुरान जलाए जाने की घटना को स्वीडन सरकार ने इस्लामोफोबिक कृत्य बताया है. 57 मुस्लिम देशों के संगठन ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया के बाद स्वीडिश सरकार ने बयान जारी करते हुए कहा, "हम इन कृत्यों की कड़ी निंदा करते हैं. कुरान या किसी अन्य पवित्र ग्रंथ को जलाना एक घृणित, अपमानजनक और एक उकसावे वाला कृत्य है."
स्वीडिश सरकार ने आगे कहा, "हम चीज से अवगत हैं कि प्रदर्शनों के दौरान कुछ व्यक्तियों का इस्लामोफोबिक कृत्य मुसलामानों के लिए अपमानजनक हो सकता है. ऐसे कृत्य स्वीडिश सरकार के विचारों को प्रदर्शित नहीं करते हैं. नस्लवाद, जेनोफोबिया और उससे संबंधित किसी भी तरह की असहिष्णुता का स्वीडन या यूरोप में कोई स्थान नहीं है."
OIC ने भी बुलाई थी तत्काल बैठक
कुरान जलाए जाने की घटना को लेकर इस्लामिक देशों के संगठन OIC ने भी तत्काल बैठक बुलाई थी. इस्लामिक सहयोग संगठन ने बैठक के बाद बयान जारी करते हुए कहा था कि ओआईसी के सदस्य देश उन देशों को रोकने के लिए एक साथ आएं जो इस्लाम की पवित्र किताब कुरान को जला रहे हैं.
बैठक से एक दिन पहले इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) ने बयान जारी करते हुए कहा था कि यह घृणित कृत्य पवित्र कुरान और अन्य इस्लामी मूल्यों, प्रतीकों और पवित्रता का उल्लंघन का प्रयास है. ओआईसी सभी देशों से अपील करता है कि संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के तहत सार्वभौमिक रूप से सभी लोगों के लिए मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करें. सभी देश रंग, लिंग, भाषा, धर्म, नस्ल और राजनीतिक भेदभाव के बिना सभी को स्वतंत्र मानव अधिकार प्रदान करे.