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'यह खतरनाक कानून...', स्विट्जरलैंड में 'बुर्का बैन' पर शुरू हुआ विवाद

स्विटजरलैंड में मुस्लिम महिलाओं द्वारा पहने जाने वाले बुर्का या हिजाब पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. नए साल के पहले ही दिन बुर्का विरोधी कानून लागू कर दिया गया है. कानून के लागू होने के बाद अगर कोई मुस्लिम महिला बुर्का पहनती है तो उसे भारी जुर्माना देना होगा.

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स्वि्टजरलैंड में बुर्का बैन कानून लागू हो गया है (Photoz- Reuters)
स्वि्टजरलैंड में बुर्का बैन कानून लागू हो गया है (Photoz- Reuters)

नए साल के पहले ही दिन स्विट्जरलैंड में विवादित बुर्का कानून लागू हो गया है. कानून जिसे 'बुर्का बैन' के नाम से जाना जा रहा है, के लागू होने के बाद स्विटजरलैंड में सार्वजनिक जगहों पर बुर्का या नकाब से पूरे चेहरे को ढकने पर पाबंदी लग गई है. कानून का उल्लंघन करने पर 1,000 स्विस फ्रैंक (94,651.06 रुपये) का जुर्माना देना होगा. बुर्का सामान्यतः मुस्लिम महिलाएं पहनती हैं और स्विटजरलैंड के बुर्का बैन कानून को मुस्लिमों को निशाना बनाने के रूप में देखा जा रहा है.

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क्या कहता है बुर्का बैन कानून?

1 जनवरी से लागू हुआ बुर्का बैन कानून सार्वजनिक जगहों और आम जनता के लिए सुलभ निजी इमारतों में नाक, मुंह और आंखों को ढकने पर प्रतिबंध लगाता है. हालांकि, इस कानून में कुछ अपवाद भी हैं. 

यह प्रतिबंध फ्लाइट्स या राजनयिक एवं वाणिज्य दूतावास परिसरों पर लागू नहीं होगा और पूजा और अन्य पवित्र स्थलों पर भी चेहरा ढका जा सकेगा. कानून में यह भी कहा गया कि स्वास्थ्य और सुरक्षा कारणों, स्थानीय रीति-रिवाजों और सर्दी-गर्मी से बचने के लिए चेहरे को ढकने की अनुमति होगी. मनोरंजन और विज्ञापनों के लिए भी चेहरा ढकने पर पाबंद नहीं रहेगी.

बुर्का बैन कानून में यह भी कहा गया है कि अगर अभिव्यक्ति की आजादी और किसी सभा के दौरान व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए चेहरा ढकने की जरूरत है तो इसकी अनुमति दी जा सकती है लेकिन इसके लिए पहले संबंधित अधिकारी से मंजूरी लेनी होगी. अधिकारी को लगेगा कि इससे सार्वजनकि व्यवस्था नहीं बिगड़ रही तभी वो इसकी अनुमति देगा.

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स्विटजरलैंड को क्यों पड़ी बुर्का बैन कानून की जरूरत?

बुर्का पर प्रतिबंध 2021 के एक जनमत संग्रह के आधार पर किया गया है जिसमें स्विटजरलैंड के नागरिकों ने चेहरा ढकने के विरोध में वोट किया था. जनमत संग्रह में कानून के पक्ष में 51.2 प्रतिशत और कानून के विरोध में 48.8% वोट पड़े थे. 

स्विटजरलैंड में लोकतंत्र की व्यवस्था के तहत लोगों को अपने मामलों में सीधे बोलने का अधिकार दिया जाता है. वहां अलग-अलग राष्ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर जनमत संग्रह कराया जाता है जिसमें लोग अपनी मर्जी से वोट करते हैं.

बुर्का बैन का प्रस्ताव स्विटजरलैंड का दक्षिणपंथी पार्टी स्विस पीपुल्स पार्टी (SVP) लेकर आई थी. पार्टी ने 'Stop Extremism (चरमपंथ रोको)' के नारे के साथ बुर्का विरोधी मुहिम शुरू किया था. हालांकि, पार्टी के प्रस्ताव में साफ तौर से इस्लाम को निशाना नहीं बनाया गया था लेकिन माना जा रहा है कि कानून इस्लामिक ड्रेस कोड को निशाना बनाने के लिए ही लाया गया है.

Representative Image- Reuters

स्विटजरलैंड की सरकार ने खुद बुर्का पर प्रतिबंध का विरोध किया. सरकार का कहना था कि यह स्टेट का काम नहीं है कि वो लोगों, खासकर महिलाओं को यह निर्देश दे कि वो क्या पहनेंगी.

वहीं, बुर्का बैन के समर्थक बुर्का को चरमपंथ का प्रतीक और सुरक्षा के लिए खतरा मानते हैं.

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बुर्का बैन कानून की आलोचना

स्विटजरलैंड बुर्का बैन कानून की कई मानवाधिकार संगठनों ने आलोचना की है. एमनस्टी इंटरनेशन ने कहा है कि यह एक खतरनाक कानून है जो महिला अधिकारों, उनकी अभिव्यक्ति की आजादी और धर्म के अधिकार का हनन करता है.

कानून के आलोचकों का तर्क है कि यह प्रतिबंध मुस्लिम महिलाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा क्योंकि बहुत सी मुस्लिम महिलाएं आस्था या व्यक्तिगत विश्वास जताने के रूप में नकाब या बुर्का पहनना पसंद करती हैं.

स्विट्जरलैंड में बस इतनी महिलाओं पहनती हैं बुर्का

स्विटजरलैंड के University of Lucerne के एक शोध से पता चला है कि स्विट्जरलैंड में बुर्का पहनने वाली महिलाओं की संख्या बेहद कम है. वहां की लगभग 30 महिलाएं ही नकाब पहनती हैं.

स्विट्जरलैंड की 86 लाख की आबादी में मुसलमानों की संख्या लगभग 5 प्रतिशत है, जिनमें से अधिकांश मुस्लिम निवासी तुर्की, बोस्निया और कोसोवो जैसे देशों से आए हैं. कानून से प्रत्यक्ष रूप से बेहद कम लोग प्रभावित होंगे बावजूद इसे लेकर भारी बहस छिड़ गई है.

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