स्विट्जरलैंड सरकार ने अपने यहां बैंक खाता रखने वाले पांच और भारतीय नागरिकों के नाम प्रकाशित किए हैं. इन सभी के खिलाफ भारत में कर संबंधी जांच चल रही है. यहां के संघीय राजपत्र में प्रकाशित इन नामों में जमीन जायदाद कारोबारी पोंटी चड्ढ़ा के दामाद गुरजीत सिंह कोचर और दिल्ली की महिला उद्योगपति रितिका शर्मा और मुंबई के सिटी लिमोजिन घोटाले में शामिल दो व्यक्तियों के नाम शामिल हैं.
स्विट्जरलैंड की सरकार ने इन भारतीयों के बारे में भारतीय अधिकारियों द्वारा मांगी गई सूचनाओं के बाद उनके नाम प्रकाशित किए हैं. स्विट्जरलैंड के कर विभाग स्विस फेडरल टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन (एफटीए ) इनमें से यश बिड़ला और ब्लेसिंग एपैरल कंपनी की रितिका शर्मा के बारे में कुछ सूचनाएं भारत सरकार के साथ पहले ही साझा कर चुका है. इन पांच के अलावा दो अन्य भारतीयों स्नेहलता साहनी और संगीता साहनी के नाम भी सार्वजनिक किए गए हैं.
नई जानकारी मांगी
सिटी लिमोजीन के जरिए मुंबई में पोंजी योजना चलाने को लेकर जांच का सामना कर रहे सईद मोहम्मद मसूद के बारे में कुछ ब्योरा स्विस प्राधिकरण ने पूर्व में साझा किया था. प्रवर्तन निदेशालय के अनुरोध पर कुछ साल पहले उनका खाता जब्त कर लिया गया था. प्रकाशित अधिसूचना के अनुसार भारत सरकार ने मसूद और सी कौसर मोहम्मद मसूद के बारे में नई जानकारी मांगी है.
नाम प्रकाशित करते हुए एफटीए ने कहा है कि यदि ये लोग चाहते हैं कि कर मामलों पर उनके बीच ‘द्विपक्षीय सहायता’ संधि के तहत उनके बारे में जानकारी भारतीय अधिकारियों के साथ साझा नहीं की जाए तो वे 30 दिन के भीतर फेडरल एडमिनिस्ट्रेटिव कोर्ट में अपील कर सकते हैं. बिड़ला और रितिका शर्मा के मामले में अधिसूचना में उनके भारत में पते का भी जिक्र है, लेकिन राजपत्र में वह सूचना नहीं दी गई है, जिसे भारत को पहले ही उपलब्ध कराया जा चुका है.
ब्रिटेन, स्पेन और रूस के नागरिकों के नाम भी
भारतीय नागरिकों के मामले में उनके नाम और जन्म तिथि के अलावा कोई अन्य ब्योरा नहीं है. इसी तरह की स्थिति ब्रिटेन, स्पेन और रूस के नागरिकों के मामले में है. हालांकि अमेरिकी और इजरायली नागरिकों के संदर्भ में उनके पूरे नाम नहीं बताए गए हैं. इनके लिए केवल नाम के इनीशिअल और जन्म तिथि जारी किए गए हैं.
स्विट्जरलैंड सरकार इस महीने इस प्रकार के कम से कम 40 नोटिस प्रकाशित कराए हैं. आगे भी इस प्रकार के कुछ और नाम सार्वजनिक किए जाने की संभावना है. गौरतलब है कि भारतीयों द्वारा स्विस बैंकों में धन रखने का मुद्दा भारत में बहस का प्रमुख विषय बना हुआ है. भारत सरकार लंबे समय से स्विस अधिकारियों पर संदिग्ध कर चोरी करने वालों की जानकारी साझा करने को लेकर दबाव दे रही है.
-इनपुट भाषा से