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खुद ही काले धन की जानकारी देगा स्विट्जरलैंड, लेकिन स्विस बैंक से पैसा निकालने लगे भारतीय

स्विट्जरलैंड में जमा संदिग्ध काले धन की जानकारी अब भारत और दूसरे देशों को आसानी से मिलेगी.

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काला धन वापसी की ओर पहला कदम
काला धन वापसी की ओर पहला कदम

स्विट्जरलैंड में जमा संदिग्ध काले धन की जानकारी अब भारत और दूसरे देशों को आसानी से मिलेगी.

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बैंकिंग गोपनीयता की 'सील' तोड़ने के लिए स्विट्जरलैंड ने मंगलवार को एक अंतरराष्ट्रीय करार पर दस्तखत किए. इसके तहत वह दूसरे देशों की सरकारों के साथ सूचनाओं का लेन-देन करेगा और कालेधन की जांच के लिए पारस्परिक आधार पर सहयोग करेगा.

स्विट्जरलैंड पर सूचनाएं साझा करने का दबाव बढ़ता जा रहा था. शायद इसी वजह से भारतीयों ने बड़े पैमाने पर अपना पैसा स्विस बैंक से निकालना शुरू कर दिया है.

काले धन वालों ने ढूंढा नया ठिकाना?
स्विस नेशनल बैंक के ताजा आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, 2012 के अंत तक स्विट्जरलैंड के बैंकों में भारतीय द्वारा जमा धन रिकॉर्ड निचले स्तर 9,000 करोड़ रुपये पर आ गया था. एक साल पहले यह आंकड़ा 14,000 करोड़ रुपये था. इस दौरान दुनिया भर की इकाइयों की ओर से स्विस बैंकों में जमा धन 2012 में घटकर 1500 अरब डॉलर पर आ गया. इससे एक साल पहले यह 1,650 अरब डालर था.

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स्विटजरलैंड सरकार करेगी सहयोग
नई संधि के बाद स्विट्जरलैंड के बैंकों की गोपनीयता की दीवार कमजोर हो जाएगी. स्विट्जरलैंड सरकार टैक्स मामलों में हर तरह का आपसी सहयोग करेगी, जिसमें जानकारी के लिए आग्रह पर सहयोग, खुद-ब-खुद सूचनाओं का आदान-प्रदान, टैक्स की जांच और टैक्स जुटाने में आधिकारिक सहायता आदि शामिल होगा.

स्विट्जरलैंड पर लंबे समय से स्विस बैंक के खातों की सूचनाएं साझा करने का दबाव पड़ रहा है. भारत समेत कई देशों के 'मालदार' लोग और संस्थाएं टैक्स से बचने के लिए अपना पैसा स्विस बैंक में जमा करवाते हैं.

भारत समेत 58 देशों ने किए दस्तखत
स्विट्जरलैंड को आखिरकार अंतरराष्ट्रीय दबाव के आगे झुकना ही पड़ा और आर्थिक सहयोग व विकास संगठन (ओईसीडी) की 'कर मामलों पर आपसी प्रशासनिक सहयोग की बहुपक्षीय संधि' पर दस्तखत करने पड़े. इस संधि पर भारत समेत 58 देशों ने हस्ताक्षर किए हैं. संधि पर दस्तखत करने वाले सभी देश आपस में सूचना व सहयोग का लेन-देन करेंगे.

पेरिस स्थित ओईसीडी ने टैक्स चोरी और काले धन को छिपाने से रोकने के लिए वैश्विक कर मानदंड बनाए हैं.

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