H9N2 Virus: कोरोना के बाद चीन ने एक बार फिर दुनिया के सामने नई बीमारी की टेंशन बढ़ा दी है. वहां H9N2 वायरस से हाहाकार मचा है. पूरे देश में रोजाना 7 हजार से ज्यादा मरीज पाए जा रहे हैं. इनमें बच्चों की संख्या सबसे ज्यादा है. चीन का कहना है कि बच्चों में निमोनिया जैसी बीमारी फैल रही है. जिसकी वजह से उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी चीन से बीमारी को लेकर जानकारी मांगी है और टेस्ट रिपोर्ट भी भेजने का आग्रह किया है. पड़ोसी मुल्क में फैली बीमारी से भारत भी अलर्ट है. यहां सरकार ऐसे मामलों पर निगरानी रख रही है. जानिए H9N2 वायरस से जुड़े हर सवाल का जवाब...
दरअसल, चीन के उत्तर पूर्वी इलाके में स्थित लियाओनिंग (Liaoning) प्रांत के बच्चों में इस रहस्यमयी बीमारी फैली है. इसे निमोनिया के लक्षणों से जोड़ा जा रहा है. हालांकि कुछ लक्षण निमोनिया से बिल्कुल अलग हैं. बच्चों के फेफड़ों में सूजन, सांस लेने में दिक्कत के साथ ही खांसी और तेज बुखार की शिकायतें आ रही हैं.
1. सबसे पहले जानिए, क्या है ये वायरस...
इस संक्रमण से सबसे ज्यादा बच्चे और बुजुर्ग बीमार हो रहे हैं. चीनी स्वास्थ्य अधिकारी कहते हैं कि ये निमोनिया की तरह बीमारी है. निमोनिया, फेफड़ों में बैक्टीरिया, वायरस या कवक के कारण होने वाला एक संक्रमण है. निमोनिया के कारण फेफड़े के ऊतकों में सूजन हो जाती है और फेफड़ों में तरल पदार्थ या मवाद पैदा हो सकता है. इससे जान जाने का खतरा भी बना रहता है. निमोनिया के लक्षण हल्के से लेकर गंभीर हो सकते हैं. 2022 में आई WHO की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एशियाई और अफ्रीकी देशों में इस संक्रमण के कारण मरने वालों की संख्या काफी ज्यादा है.
2. निमोनिया से अलग क्यों है ये बीमारी?
निमोनिया के सामान्य लक्षणों की बात करें तो बलगम और बिना बलगम के साथ होने वाली खांसी, बुखार, ठंड लगना, छाती में दर्द, थकान और सांस लेने में दिक्कत होती है. लेकिन, चीन में फैली इस रहस्यमयी बीमारी के कुछ लक्षण बिल्कुल अलग हैं. वहां बिना खांसी के तेज बुखार और फेफड़ों में सूजन के मामले आ रहे हैं. एंटीबायोटिक्स, एंटीवायरल और एंटीफंगल दवाओं की मदद से निमोनिया का इलाज किया जा सकता है. इस संक्रमण से ठीक होने लिए व्यक्ति को कुछ हफ्तों से लेकर एक महीने का भी समय लग सकता है. इस रहस्यमयी बीमारी में गंभीर संक्रमण फैलता है और पीड़ित के फेफड़ों पर अटैक करता है. यह इतना खतरनाक है कि निमोनिया के शिकार बच्चों को तुरंत ही अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ रही है.
3. सांस संबंधी मरीजों के बढ़ने की आशंका
बीजिंग और लियाओनिंग के प्रशासन ने कहा है कि इस सर्दी और वसंत के मौसम में इन्फ्लूएंजा चरम पर होगा और भविष्य में कुछ क्षेत्रों में माइकोप्लाज्मा निमोनिया का संक्रमण अधिक रहेगा. अस्पतालों में इलाज के लिए अत्यधिक मरीजों के पहुंचने से वेटिंग टाइम काफी ज्यादा हो गया है. इसने कोविड संक्रमण के दोबारा बढ़ने के जोखिम के बारे में भी चेतावनी दी है. यह स्थिति इस सप्ताह तब सुर्खियों में आई जब WHO ने बच्चों में अज्ञात निमोनिया के संबंध में एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए चीन से अधिक जानकारी मांगी.
4. चीन बोला- यह सामान्य जीवाणु संक्रमण
चीन ने जो डेटा दिया है, उससे पता चलता है कि सांस संबंधी बीमारियों के ताजा मामले माइकोप्लाज्मा निमोनिया जैसे ज्ञात रोगजनकों के प्रसार के साथ-साथ कोविड प्रतिबंधों को हटाने से जुड़े थे. यह एक सामान्य जीवाणु संक्रमण है, जो आमतौर पर बच्चों को प्रभावित करता है और इस साल मई से बीजिंग और लियाओनिंग प्रांत में फैल रहा है. चीन का कहना है कि सांस की बीमारियों में आई अचानक वृद्धि के पीछे कोई नया वायरस नहीं है. इसके पीछे किसी भी असामान्य या नए रोगजनक का पता नहीं चला है. चीन ने सर्दियों के आगमन के साथ सांस की बीमारी में बढ़ोतरी को पिछले साल दिसंबर में हटाए गए सख्त कोरोना प्रतिबंधों से भी जोड़ा है.
5. एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस से टेंशन.. तेजी से फैलती है बीमारी
H9N2 (एवियन इन्फ्लूएंजा) को आमतौर पर बर्ड फ्लू के रूप में जाना जाता है. यह पक्षियों के माध्यम से फैलने वाली बीमारी है. बर्ड फ्लू या एवियन फ्लू A टाइप का इन्फ्लुएंजा वायरस है. H9N2 इसी इन्फ्लुएंजा A वायरस का सबटाइप है. इससे न सिर्फ पक्षी, बल्कि इंसान भी संक्रमित हो सकते हैं. इसके कई सबवैरिएंट भी हैं. एक्सपर्ट कहते हैं कि वर्तमान में उत्तरी चीन में बच्चों में श्वसन संबंधी बीमारी ने H9N2 इन्फ्लूएंजा वायरस की ओर ज्यादा ध्यान आकर्षित कराया है. H9N2 से जुड़े कारणों, लक्षणों और निपटने के उपायों को जानना महत्वपूर्ण है.
6. इसका क्या कारण है?
ये वायरस पॉल्ट्री फार्म में सबसे ज्यादा फैलता है. H9N2 का मुर्गियों और टर्की जैसे मुर्गों का ज्यादा प्रभावित करता है. H9N2 का संचरण संक्रमित पक्षियों, उनके श्वसन स्राव या दूषित वातावरण के सीधे संपर्क से होता है. वायरस पानी और सतहों पर बना रह सकता है, जो झुंड के भीतर और बीच में इसके प्रसार में योगदान देता है. चीन में अक्टूबर 2023 में H9N2 वायरस से संक्रमित एक शख्स के बारे में WHO को सूचना दी गई थी.
7. लक्षण क्या हैं?
पोल्ट्री में H9N2 संक्रमण पक्षियों की प्रजाति, उम्र और अन्य रोगजनकों के आधार पर गंभीर तक हो सकता है. पक्षियों में सामान्य लक्षणों में श्वसन संबंधी परेशानी, अंडे का प्रोडक्शन कम होना और कम भूख लगना शामिल है. मनुष्यों में लक्षण अन्य इन्फ्लूएंजा वायरस के समान होते हैं. इसमें बुखार, खांसी, गले में खराश और सांस लेने में कठिनाई शामिल हो सकती है.
8. वायरस को कैसे रोकें?
पशुओं और जानवरों में कई तरह के वायरस होते हैं. जब इंसान इन पशुओं और जानवरों के संपर्क में आते हैं तो यह वायरस इंसानों में भी तेजी से फैलने लगते हैं. पोल्ट्री फार्मों में H9N2 की शुरुआत और प्रसार को रोकने के लिए सख्त जैव सुरक्षा उपायों को लागू करना जरूरी है. इसमें खेतों तक पहुंच को नियंत्रित करना, सुविधाओं का नियमित कीटाणुशोधन करना और यह सुनिश्चित करना शामिल है कि कर्मचारी और उपकरण संक्रमण से मुक्त हैं. H9N2 संक्रमण का जल्द पता लगाने के लिए नियमित निगरानी महत्वपूर्ण है. पक्षियों के स्वास्थ्य की निगरानी करना, नियमित परीक्षण करना और किसी भी असामान्य बीमारी की तुरंत रिपोर्ट करना वायरस के प्रसार को रोकने में मदद कर सकता है.
9. स्वच्छता को लेकर जागरूक रहने की जरूरत
साफ-सफाई का ध्यान रखने की बेहद जरूरत होती है. रोकथाम के लिए पोल्ट्री किसानों, मजदूरों और आम जनता को H9N2 से जुड़े जोखिमों के बारे में जागरूक करना महत्वपूर्ण है. संक्रमित जानवरों के संपर्क में रहने वालों को नियमित रूप से अपने हाथ साफ करने चाहिए. यदि वे पक्षियों के सीधे संपर्क में हैं तो अपने कपड़े और सामान कीटाणुरहित करना चाहिए.
10. भारत किसी भी आपात स्थिति के लिए तैयार
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि उत्तरी चीन में बच्चों में H9N2 मामलों और श्वसन संबंधी बीमारी के फैलने के मामलों की बारीकी से निगरानी की जा रही है. चीन से रिपोर्ट किए गए एवियन इन्फ्लूएंजा के मामलों के साथ-साथ श्वसन संबंधी बीमारी से भारत को कम जोखिम है. WHO को अब तक रिपोर्ट किए गए H9N2 के मामलों में कम मृत्यु दर का संकेत दिया गया है.
संक्रमण पर विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
कई विशेषज्ञों ने कहा, सर्दियों का आगमन, कोविड प्रतिबंधों की समाप्ति और बच्चों में इम्युनिटी की कमी बढ़ते संक्रमण के लिए जिम्मेदार हो सकती है. ऐसी आशंका थी कि लंबे समय तक कोविड लॉकडाउन के कारण, चीन के निवासियों में वायरस के खिलाफ नेचुरल इम्युनिटी विकसित नहीं हुई होगी. यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के प्रोफेसर फ्रेंकोइस बैलौक्स ने कहा, 'चूंकि चीन ने किसी भी अन्य देश की तुलना में कहीं अधिक लंबा और कठोर लॉकडाउन लागू किया था, इसलिए यह अनुमान लगाया गया था कि इसमें ढील के बाद चीन में लोगों को ऐसी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.' ऑस्ट्रेलिया के डीकिन विश्वविद्यालय की प्रोफेसर कैथरीन बेनेट ने बताया कि चीन में सख्त कोविड प्रतिबंधों के कारण स्कूल भी काफी समय तक बंद रहे थे. ऐसे में छोटे बच्चे सामान्य रोगजनकों के संपर्क में नहीं आए होंगे, इसलिए उनमें नेचुरल इम्युनिटी का स्तर कम होगा.
पेरेंट्स रखें इन बातों का ध्यान
इस खतरनाक निमोनिया वायरस से बच्चों को बचाने के लिए जरूरी है कि माता-पिता बच्चों के खान-पान और इम्युनिटी का खास ख्याल रखें. बच्चों की डाइट में ऐसी चीजों को शामिल करना भी काफी जरूरी है कि जिससे उनका इम्यून सिस्टम मजबूत हो और वो इस खतरनाक संक्रमण से लड़ सकें. इसके अलावा जरूरी है कि घर में साफ-सफाई रखें और बच्चों को भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से रोकें. जब आपका बच्चा खांसता या छींकता है तो उसे अपनी नाक और मुंह ढंकना सिखाएं. आपके बच्चे को भी बार-बार हाथ धोना चाहिए. ये उपाय अन्य संक्रमणों को रोकने में भी मदद कर सकते हैं.