सीरिया में विद्रोह के बिगुल के बीच तख्तापलट हो चुका है. इस्लामिक विद्रोहियों ने हालात ऐसे कर दिए कि राष्ट्रपति बशर अल असद को देश छोड़कर भाग जाने पर मजबूर होना पड़ा और इस तरह सीरिया में असद परिवार के 50 सालों का वर्चस्व खत्म हुआ.
रूस का कहना है कि असद और उनके परिवार ने मॉस्को में शरण ली है. उन्हें मानवीय आधार पर शरण दी गई है. असद ने इससे पहले विद्रोही समूहों के साथ बातचीत के बाद शांतिपूर्ण ढंग से सत्ता सौंपने के लिए हामी भर दी थी. इस तरह इस्लामिक समूह हयात तहरीर अल शाम (एचटीएस) की अगुवाई में विद्रोही गुट राजधानी दमिश्क तक पहुंचे और असद सरकार का तख्तापलट कर दिया.
बता दें कि अल कायदा के पूर्व कमांडर अबू मोहम्मद अल जोलानी हगयात तहरीर अल शाम ग्रुप की अगुवाई कर रहे हैं. यह सीरिया का सबसे बड़ा विद्रोही धड़ा है और फिलहाल देश की बागडोर इसी के हाथ में है. जोलानी का कहना है कि असद की सरकार का पतन इस्लामिक राष्ट्र की जीत है. इस समय सीरिया में हालात ऐसे हैं कि सीरियाई नागरिकों ने बशर अल असद के दिवंगत पिता हाफीज अल असद की देशभर में लगी मूर्तियों को तोड़ दिया.
लेकिन ऐसे में सवाल उठते हैं कि क्या सीरिया कई हिस्सों में बंटने जा रहा है? क्या इजरायल और तुर्की मौका देखकर सीरिया के कई टुकड़े कर सकते हैं? या फिर सीरिया में ही मौजूद कई विद्रोही गुटों के बीच टकराव से देश बंट जाएगा?
सीरिया में कहां-कहां किसका दबदबा?
सीरिया में कुर्दों के वर्चस्व वाली सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेज (SDF) का पूर्वी सीरिया के एक बड़े हिस्सा पर कब्जा है. अमेरिका समर्थित इस ग्रुप की स्थापना 10 अक्तूबर 2015 को हुई थी. एसडीएफ का कहना है कि इसका उद्देश्य सीरिया को सेक्युलर, डेमोक्रेटिक और संघीय बनाना है. तुर्की एक तरह से एसडीएफ का कट्टर विरोधी है. तुर्की का कहना है कि एसडीएफ का पीकेके से सीधा संबंध है, जिसे वह आतंकी संगठन मानता है.
हयात तहरीर अल शाम (HTS) और उसके सहयोगी गुटों के विद्रोह के बाद ही बशर अल असद ही देश छोड़ने को मजबूर हुए हैं. यह अल नुसरा फ्रंट का ही मौजूदा स्वरूप है. इदरिश और अलेप्पो सहित देश के बड़े हिस्सों पर इसका कब्जा है. इन समूहों को तुर्की का समर्थन हासिल है. इसका अब मध्य सीरिया पर पूरी तरह से दबदबा है. जो उत्तरी सीमा पर तुर्की की सीमा से लेकर दक्षिणी सीमा में जॉर्डन की सीमा तक फैला है.
उत्तरी सीरिया में सीरियन नेशनल आर्मी का दबदबा है. यह तुर्की का समर्थित विद्रोही समूह है. यह गुट 2011 के विद्रोह के बाद असद की सेना से अलग हो गया था. बशर अल असद के सुरक्षाबलों के खिलाफ उत्तरपश्चिमी सीरिया में देश के बड़े हिस्से पर कब्जा है.
असद समर्थित अलावायत फोर्सेज मुख्यतौर पर पश्चिमी सीरिया के तटवर्ती क्षेत्रों में है. अलावायत फोर्सेज के ईरान, इराक और लेबनान के हिज्बुल्लाह ग्रुप से मजबूत संबंध हैं. इन इलाकों को असद समर्थित गुटों का मजबूत गढ़ कहा जा सकता है. ऐसे में सीरिया के लिए आगे की राह आसान नहीं होगी. माना जा रहा है कि ये छोटे-छोटे धड़े बगावती सुर भी अख्तियार कर सकते हैं.
आखिर इजरायल का इरादा क्या है?
सीरिया में अलकायदा से जुड़े सुन्नी विद्रोही गुट एचटीएस का कब्जा हो गया है. बशर के रूस भाग जाने के बाद इजरायल ने सीरिया के सैन्य ठिकानों पर हमला कर दिया है. सिर्फ हवाई हमले ही नहीं बल्कि जमीनी स्तर पर भी इजरायली सेना सीरिया की सीमा के भीतर घुस गई. 1994 के एग्रीमेंट के बाद यह पहली बार है, जब इजरायली सेना ने सीरिया की जमीं पर कदम रखा है. इजरायली सेना ने गोलान हाइट्स के नजदीक 10 किलोमीटर भीतर सीरियाई जमीन पर कब्जा करके बफर जोन भी बना दिया है. ऐसे में कई रिपोर्ट्स में ये भी कहा जा रहा है कि इजरायल ने सीरियाई इलाकों पर कब्जे की योजना बनाई है और अपनी इसी प्लानिंग को वह बहुत जल्द अंजाम देने वाला है.
क्या हैं तुर्की के मंसूबे?
बशर अल असद के देश छोड़कर भाग खड़े होने के बाद तुर्की का सीरिया में प्रभाव बढ़ गया है. एचटीएस की अगुवाई में दमिश्क पर कब्जे से तुर्की अधिक प्रभावशाली ताकत बन गया है. इस बीच तुर्की का पूरा जोर सीरिया के विपक्षी गुटों के साथ बातचीत पर है. रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि तुर्की का लक्ष्य सीरिया में एक ऐसी सरकार स्थापित करने पर है, जो सभी गुटों को रिप्रेजेंट कर सकें. लेकिन साथ ही ऐसे भी कयास लगाए जा रहे हैं कि तुर्की अपनी सीमाओं का विस्तार कर सकती है और सीरिया के कुछ हिस्सों पर कब्जा कर सकती है. ऐसे में सीरिया का कई टुकड़ों में विभाजित होने के कयास लगना लाजिमी नजर आ रहा है.