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इस्लामिक देश जब देते थे पाकिस्तान का साथ, तब भी बशर अल-असद रहे भारत के साथ

बशर अल असद कश्मीर मुद्दे पर हमेशा भारत का समर्थन करते रहे हैं. उन्होंने कहा था कि कश्मीर का मुद्दा भारत का अंदरूनी मसला है. लेकिन अब सीरिया में सत्ता बदल गई है. इसके बाद माना जा रहा है कि सीरिया में राजनीतिक अस्थिरता का दौर लंबा चलेगा जो भारत के लिए भी सही नहीं होगा.

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बशर अल-असद का पतन भारत के लिए भी परेशान करने वाला है (Photo- AFP)
बशर अल-असद का पतन भारत के लिए भी परेशान करने वाला है (Photo- AFP)

सीरिया में इस्लामिक समूह हयात तहरीर अल शाम (HTS) के नेतृत्व में राष्ट्रपति बशर अल-असद का तख्तापलट भारत के लिए भी एक झटके के तौर पर देखा जा रहा है. असद के परिवार के साथ भारत के रिश्ते हमेशा अच्छे रहे और सीरिया ने हर बड़े मुद्दे पर भारत का समर्थन किया था, खासकर कश्मीर के मामले में. ऐसे वक्त में जब बहुत से इस्लामिक देश कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ खड़े थे, सीरिया उन कुछेक देशों में शामिल था जो पाकिस्तान से अलग खड़े होकर भारत की संप्रभुता के लिए अपना समर्थन जताता था.

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असद के नेतृत्व वाली सीरियाई सरकार कहती रही है कि कश्मीर विवाद भारत का अंदरूनी मामला है और नई दिल्ली को इसे अपने तरीके से हल करने का अधिकार है.

2016 में सीरिया ने कश्मीर विवाद पर कहा था कि भारत को कश्मीर मुद्दे को 'किसी भी तरीके से' और 'बिना किसी बाहरी मदद के' हल करने का अधिकार है.

कश्मीर पर सीरिया का यह रुख इस्लामिक देशों के संगठन इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) के बहुत से देशों से अलग है जिन्होंने अक्सर इसके उलट रुख अपनाया है और पाकिस्तान के एजेंडे का शिकार हुए हैं.

अनुच्छेद 370 पर भी सीरियाई सरकार ने किया था भारत का समर्थन

भारत ने 2019 में जब अनुच्छेद 370 हटाकर जम्मू और कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा खत्म कर दिया था तब सीरियाई सरकार ने इसे भारत का 'अंदरूनी मामला' बताया था.

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उस वक्त नई दिल्ली में सीरिया के राजदूत रियाद अब्बास ने कहा था, 'हर सरकार को अपने लोगों की रक्षा के लिए अपनी जमीन पर जो चाहे करने का अधिकार है. हम किसी भी कार्रवाई में हमेशा भारत के साथ हैं.'

अल-जुलानी के बाद क्या बदलेगा कश्मीर पर सीरिया का रुख?

यदि सीरिया में HTS नेता अबू मोहम्मद अल जोलानी की नॉन स्टेट एलिमेंट्स से बनी नई सरकार पूरी तरह से सीरियाई नीति में बदलाव नहीं करती है तो कश्मीर पर सीरिया का रुख पहले जैसा ही रहने की उम्मीद है. 

नई दिल्ली स्थित थिंक टैंक ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ORF) के उप निदेशक कबीर तनेजा ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा, 'भारत के लिए अभी भी एक अच्छी बात है कि नॉन स्टेट आतंकवादी तत्वों को भी भारत से कोई समस्या नहीं है और वे इसे तटस्थ मानते हैं. इससे क्षेत्र में अपने नागरिकों की सुरक्षा के इर्द-गिर्द सांप्रदायिक विभाजन को कम करने में मदद मिली है.'

बशर अल-असद के पतन की वजह से सीरिया में चरमपंथी समूहों का फिर से उभार हो सकता है जो मध्य-पूर्व के साथ-साथ भारत को भी प्रभावित कर सकता है. HTS नेता अल-जोलानी आईएसआईएस की पृष्ठभूमि से आते हैं और ऐसे में अगर सीरियाई नेतृत्व में शून्यता के कारण चरमपंथी समूह फिर से सक्रिय होते हैं तो आईएसआईएस जैसे आतंकी समूह भारत के लिए चुनौती पेश कर सकते हैं.

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सऊदी अरब में भारत के पूर्व राजदूत तलमीज अहमद ने कहा, 'सीरिया में लंबे समय तक राजनीतिक अस्थिरता कायम रह सकती है. फिलहाल के लिए तो भारत के हित प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित नहीं हुए हैं, इजरायल के साथ भी हमारे संबंध ठीक ही हैं. लेकिन भारत को जिस बात को लेकर फिक्रमंद होना चाहिए, वो ईरान का मसला है. इजरायल अमेरिका के साथ मिलकर ईरान पर हमला करना चाहता है और अगर ऐसा होता है तो क्षेत्र एक लंबे संघर्ष में फंस जाएगा जिसका भारत पर भी असर होगा.'

सीरिया के वर्तमान हालात पर विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर शांति कायम करने का आह्वान किया है. विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा, 'हम सीरिया में चल रहे घटनाक्रमों के मद्देनजर वहां की स्थिति पर नजर रख रहे हैं. हम सभी पक्षों से सीरिया की एकता, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखने की दिशा में काम करने का आग्रह करते हैं.'

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